एआईएफएफ का निलम्बन केंद्र सरकार की नाक का सवाल

केन्द्रीय मंत्रालय और फीफा के बीच बातचीत जारी
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई सोमवार तक टली
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
फीफा द्वारा एआईएफएफ का निलम्बन केंद्र सरकार की नाक का सवाल बन गया है। केन्द्र सरकार को भरोसा है कि इस मामले का समाधान शीघ्र निकलेगा। फीफा द्वारा भारतीय फुटबॉल महासंघ को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने पर केंद्र सरकार एक्शन में है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले को लेकर सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र से अंडर-17 विश्व कप के आयोजन को सुनिश्चित करने और एआईएफएफ के निलम्बन को हटाने के लिए सक्रिय कदम उठाने को कहा है।
दरअसल, मंगलवार को फीफा द्वारा एआईएफएफ को बैन करने पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की थी। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ को बताया था कि फीफा ने भारत को निलम्बित करते हुए एक पत्र भेजा है जो पब्लिक डोमेन में है और इसे रिकॉर्ड में लाने की जरूरत है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बुधवार की तारीख तय की जा चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा अनुरोध किए जाने के बाद फीफा द्वारा अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को निलम्बित करने से संबंधित मामले पर सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी है। कोर्ट ने केंद्र से अंडर-17 विश्व कप के आयोजन को सुनिश्चित करने और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के निलम्बन को हटाने के लिए सक्रिय कदम उठाने को कहा है।
एसजी तुषार मेहता ने कहा- सफलता मिलेगी
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले एसजी तुषार मेहता ने एससी को बताया कि मामले पर और क्या-क्या किया जा सकता है। इसके बारे में कई कारकों पर विचार करते हुए मंगलवार को केंद्र ने फीफा के साथ इस मुद्दे को उठाया और उसमें प्रशासकों की समिति ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फीफा भी मामले को ठीक तरह से सुन रहा है। एसजी तुषार मेहता ने बताया कि सरकार अब खुद फीफा से बात कर रही है। सफलता मिलने की उम्मीद है।
दरअसल, मंगलवार को FIFA ने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के कारण AIFF को निलंबित कर दिया था। फीफा के नियमों और संविधान के गंभीर उल्लंघन की वजह से यह निर्णय लिया गया। भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को अपने 85 साल के इतिहास में पहली बार फीफा से निलंबन झेलना पड़ा। फीफा के इस फैसले ने अक्तूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी के अधिकार भी भारत से छीन लिए।
कौन है तीसरा पक्ष, जिसके हस्तक्षेप से शुरू हुआ मामला?
एआईएफएफ के चुनाव फीफा परिषद के सदस्य प्रफुल्ल पटेल के नेतृत्व में दिसंबर 2020 तक होने थे, लेकिन इसके संविधान में संशोधन पर गतिरोध के कारण इसमें देरी हुई। इसके बाद इसी महीने की शुरुआत में (तीन अगस्त) सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत चुनाव कराने का आदेश दिया था और कहा था कि निर्वाचित समिति (CoA) तीन महीने की अवधि के लिए एक अंतरिम निकाय होगी। सीओए ने चुनाव को अपने मुताबिक कराने का तय किया और इसमें कुछ पूर्व प्रमुख खिलाड़ियों से वोट कराने का फैसला लिया। इसे फीफा ने तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप माना।
पांच अगस्त को ही फीफा ने तीसरे पक्ष (सीओए) के हस्तक्षेप को लेकर भारतीय फुटबॉल महासंघ को निलंबित करने की धमकी दी थी। इसके साथ ही फीफा ने अक्तूबर में होने वाले महिला अंडर-17 विश्वकप की मेजबानी के अपने अधिकार भी छीन लेने की चेतावनी दी थी। 16 अगस्त को फीफा ने कुछ सुधार न होने पर AIFF को बैन कर दिया। इस बीच सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासकों की समिति ने चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी है। 28 अगस्त को चुनाव होने हैं।
फीफा के नियमों के मुताबिक, सदस्य संघों को अपने-अपने देशों में कानूनी और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई प्रशासकों की समिति के हस्तक्षेप और उनके मुताबिक चुनाव कराए जाने पर फीफा ने भारतीय फुटबॉल महासंघ को सस्पेंड कर दिया। फीफा ने पहले इसी तरह के मामलों में अन्य राष्ट्रीय संघों को भी निलंबित किया है।
कब निलम्बन हटाएगा फीफा?
फीफा ने सोमवार के बयान में कहा- एआईएफएफ कार्यकारी समिति की शक्तियों को ग्रहण करने के लिए प्रशासकों की एक समिति गठित करने के आदेश के निरस्त होने और एआईएफएफ प्रशासन एआईएफएफ के दैनिक मामलों पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के बाद निलंबन हटा लिया जाएगा। फीफा के निलंबन का मतलब यह है कि जब तक यह जारी रहेगा तब तक भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम और भारतीय महिला फुटबॉल टीम किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच में हिस्सा नहीं ले पाएगी। साथ ही कोई भी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय लीग में हिस्सा नहीं ले पाएगा।

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