लवलीना की पराजय ने छोड़े कई सवाल

बॉक्सिंग फेडरेशन में क्षेत्रवाद की सुगबुगाहट
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
जीत-हार खेल का हिस्सा है लेकिन जब पदक का दावेदार खिलाड़ी हारकर बाहर हो जाता है तो उससे उसके प्रशंसकों को सदमा जरूर पहुंचता है। बर्मिंघम में ओलम्पिक पदकधारी लवलीना बोरगोहेन की पराजय ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। खेलों के जानकारों का मानना है कि बॉक्सिंग फेडरेशन मिसमैनेजमेंट के दौर से गुजर रहा है तथा इसमें क्षेत्रवाद के भी संकेत मिल रहे हैं।
देखा जाए तो लवलीना बोरगोहेन कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने की दावेदार थीं। ओलम्पिक की तुलना में कॉमनवेल्थ गेम्स में प्रतिस्पर्धा का स्तर काफी कम होता है, बावजूद लवलीना के पंच दगा क्यों दे गए और लवलीना क्वार्टर फाइनल में ही हार गईं। वह गोल्ड छोड़िए ब्रॉन्ज भी नहीं जीत पाईं। एक नजर में यह खेल और खिलाड़ियों से जुड़ी दुखद, लेकिन सामान्य घटना लग सकती है। आखिर खेल में हार-जीत लगी जो रहती है, लेकिन अगर हम लवलीना से जुड़े पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो मामला असामान्य नजर आने लगता है। इसमें एक स्टार एथलीट की जिद, भारतीय बॉक्सिंग में चल रहे क्षेत्रवाद और भारी मिसमैनेजमेंट जैसे पहलू उभरकर सामने आते हैं।
लवलीना की इस हार को बॉक्सिंग फेडरेशन से जुड़े लोग नहीं पचा पा रहे हैं। नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर फेडरेशन से जुड़े एक ऑफीशियल ने बताया कि जिस तरह से लवलीना कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने के कुछ दिन पहले से सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रही हैं उससे लगता है कि उनको कोई और ड्राइव कर रहा है। लवलीना ने गेम्स शुरू होने से पहले ट्वीट कर कहा था कि उनको मेंटली हैरेस किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें अपने कोच के साथ ट्रेनिंग नहीं करने दी जा रही है और उनके कोच को उनसे दूर रखा जा रहा है। लवलीना ने कहा था कि उनके कोच को कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में एंट्री नहीं दी गई।
फेडरेशन और लवलीना दोनों को जानने वालों का कहना है कि लवलीना बॉक्सिंग फेडरेशन की क्षेत्रीय राजनीति में पड़ गई हैं। माना जा रहा है कि बॉक्सिंग फेडरेशन में उत्तर भारत और नॉर्थ-ईस्ट के खेमे के बीच खींचतान चल रही है और लवलीना इसमें इस्तेमाल हो रही हैं। फेडरेशन के एक तबके का कहना है कि लवलीना ने बहकावे में आकर सोशल मीडिया पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया।
लवलीना के इस आरोप के बाद बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी सफाई दी थी। बॉक्सिंग फेडरेशन ने कहा कि सिर्फ लवलीना के कोच ही नहीं बल्कि कई अन्य सपोर्ट स्टाफ भी गेम्स विलेज के बाहर रह गए। गेम्स के आयोजकों ने कुछ ही स्टाफ को गेम्स विलेज में आने का कोटा दिया था। इसलिए कुछ स्टाफ बाहर रहा। लवलीना के इस आरोप के बाद नॉर्थ-ईस्ट से राजनीतिक दबाव बना। इसके बाद लवलीना की कोच संध्या गुरुंग को गेम्स विलेज में जगह दिलवाने के लिए टीम के डॉक्टर को बाहर कर दिया गया। 
पहले यह योजना बनी की नॉर्थ-ईस्ट से ताल्लुक रखने वाले एक सपोर्ट स्टाफ को बाहर कर संध्या को लाया जाएगा, लेकिन नॉर्थ-ईस्ट से राजनीतिक दखल के बाद डॉक्टर को ही बाहर कर दिया गया। बॉक्सिंग टीम के मुख्य कोच ने गेम्स विलेज में अपना कमरा खाली कर लवलीना के कोच को सौंप दिया और खुद होटल में शिफ्ट हो गए। पसंदीदा कोच की डिमांड पूरी होने के बावजूद लवलीना का गुस्सा खत्म नहीं हुआ था। वे ओपनिंग सेरेमनी को भी बीच में छोड़कर चली गई थीं। वे एक अन्य भारतीय बॉक्सर मुहम्मद हुसामुद्दीन के साथ अलेक्जेंडर स्टेडियम से खेलगांव के लिए जल्दी निकल गईं। उन्होंने कहा कि सुबह अभ्यास करना है और इसी वजह से जल्दी जाना चाहती हैं। उन्हें टैक्सी नहीं मिली और दोनों घंटों बाहर फंसे रहे।
लवलीना को क्वार्टर फाइनल में वेल्स की रोसी एसेल्स ने उलटफेर करते हुए 3-2 से हराया था। इस मैच में लवलीना ने दमदार शुरुआत की थी। दूसरे राउंड में उन्होंने बढ़त भी हासिल कर ली, लेकिन इसके बाद उनका खेल बदला-बदला नजर आया। कोचिंग स्टाफ ने उन्हें खेल पर ध्यान देने को भी कहा और सिचुएशन के हिसाब से सुझाव भी दिए, लेकिन आरोप है कि लवलीना ने इन सुझावों को नजरअंदाज कर दिया और लापरवाही भरा खेल दिखाते हुए मैच हार गईं। वे काफी रफ खेलने लगी थीं। इसके लिए उन्हें रेफरी ने चेतावनी भी दी। कोचों ने भी समझाया कि वे रफ के बजाय अपने खेल पर फोकस करें, लेकिन लवलीना ने किसी की नहीं सुनी। ऐसे में पहले दो राउंड में उन्हें पूरे पॉइंट देने वाले एक जज ने आखिरी राउंड में एक अंक कम दिया और लवलीना और उनके साथ ही भारत के हाथ से एक मेडल निकल गया।

 

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