ऊंची कूद में तेजस्विन शंकर ने जीता कांस्य पदक

राष्ट्रमंडल खेलों में हाई जम्प में पदक जीतने वाले पहले भारतीय
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
दस दिन पहले खुद तेजस्विन ने उम्मीद नहीं की थी कि वह बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पहुंचेंगे और भारतीयों को गर्व महसूस करने का मौका देंगे। वह बर्मिंघम रवाना होने के लिए भारतीय दल में शामिल होने वाले आखिरी नाम थे। तेजस्विन सबसे आखिर में बर्मिंघम पहुंचे, लेकिन उन्होंने ट्रैक एंड फील्ड में भारत के लिए पहला पदक जीता है। 
भारत ने 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में 18 पदक जीत लिए हैं। छठे दिन भारत के लिए हाई जम्पर तेजस्विन शंकर ने दिन का आखिरी पदक जीता। उन्होंने बर्मिंघम में ट्रैक एण्ड फील्ड (एथलेटिक्स) में भारत के पदकों का खाता खोला। हालांकि, उनकी ये कामयाबी इतनी आसान नहीं रही है। इसके लिए तेजस्विन को काफी संघर्ष करना पड़ा है। पिछले एक महीने में उनके साथ जो कुछ हुआ, तेजस्विन ने वह सब कुछ भुलाकर बस एक बात याद रखी कि उन्हें भारत के लिए पदक जीतना है और बुधवार को कांस्य पदक जीतकर अपना सपना पूरा किया। पुरुषों के हाईजम्प के फाइनल में 2.22 मीटर के जम्प के साथ तेजस्विन तीसरे स्थान पर रहे। 
दरअसल, पिछले एक महीने से उनकी भागीदारी को लेकर संशय बना हुआ था। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने शुरुआत में यूएसए में प्रैक्टिस कर रहे तेजस्विन शंकर को भारतीय टीम से बाहर कर दिया था, क्योंकि उन्होंने भारत की राष्ट्रीय अंतरराज्यीय मीट में भाग नहीं लिया था। हालांकि, यूएसए में तेजस्विन ने एक प्रतियोगिता में राष्ट्रमंडल खेलों के एएफआई के मानकों को पार कर लिया था। इसके बाद उन्होंने एएफआई के फैसले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के कहने पर तेजस्विन को राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने की मंजूरी मिल गई थी। 
आखिर में तेजस्विन शंकर को राष्ट्रमंडल खेल 2022 के लिए भारतीय स्क्वॉड में घायल रिले धावक अरोकिया राजीव के रिप्लेसमेंट के तौर पर शामिल किया गया था। इसके बाद भी राह आसान नहीं रही। कॉमनवेल्थ गेम्स के ऑर्गेनाइजर्स ने तेजस्विन के देर से हिस्सा लेने की अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के अनुरोध पर राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) ने तेजस्विन शंकर को आगामी बर्मिंघम खेलों में भाग लेने की अनुमति दी।
तेजस्विन को जब शुरुआत में कॉमनवेल्थ गेम्स के स्क्वॉड में शामिल नहीं किया गया था, तो वह दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में स्ट्रीट डॉग्स के बीच प्रैक्टिस करते हुए नजर आए थे। उनक संघर्ष दिखाती और निराश करती तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। 28 जुलाई को कॉमनवेल्थ गेम्स की ओपनिंग सेरेमनी के दौरान तेजस्विन दिल्ली में अपने घर में सोफे पर लेटकर वह सेरेमनी देख रहे थे। तब उनका मामला वीजा को लेकर अटक गया था।
तीन दिन पहले यानी 31 जुलाई को तेजस्विन बर्मिंघम पहुंचे थे। तीन दिन बाद उनका फाइनल था। ऐसे में तेजस्विन ने अपनी प्रैक्टिस पर भरोसा रखा और फाइनल में अपना बेस्ट दिया। तेजस्विन 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में छठे स्थान पर रहे थे। उसकी यादें भी तेजस्विन के जहन मे थीं। बीते चार वर्षों में उन्होंने जमकर मेहनत की और अपने प्रदर्शन में काफी सुधार किया। तेजस्विन ने इस पदक को जीतने के लिए अपनी जी जान लगा दी। उन्होंने हर संघर्ष को भूलकर बस इस बात पर ध्यान दिया की भारत के लिए एक पदक जीत सकें। बुधवार को उनका यह संघर्ष कांस्य के रूप में उन्हें फल देकर गया।
हालांकि, बर्मिंघम में फाइनल में वह अपने पर्सनल बेस्ट के करीब नहीं पहुंच सके। तेजस्विन नेशनल चैम्पियन भी हैं और उनके नाम हाई जम्प में राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है। उनका पर्सनल बेस्ट 2.29 मीटर हाई जम्प का है। तेजस्विन ने इस सीजन 2.27 मीटर का जम्प भी लगाया है। हालांकि, फाइनल में वह सिर्फ 2.22 मीटर का जम्प लगा सके, लेकिन यह सभी जम्प उन्होंने पहले प्रयास में ही हासिल की हैं। बर्मिंघम में फाइनल के दौरान शंकर ने अपने पहले प्रयासों में 2.10 मीटर, 2.15 मीटर, 2.19 मीटर और 2.22 मीटर की जम्प लगाई। 
बर्मिंघम में पुरुषों के हाई जम्प में स्वर्ण जीतने वाले जीलैंड के हामिश केर ने 2.25 मीटर की जम्प लगाई थी। वहीं, दूसरे स्थान पर रहे ऑस्ट्रेलिया के ब्रैंडन स्टार्क ने भी इतने ही मीटर की जम्प लगाई, लेकिन उन्होंने इसके लिए प्रयास ज्यादा लिए। इस वजह से ब्रैंडन को रजत मिला। तेजस्विन ने आखिर में गोल्ड हासिल करने की भी कोशिश की। उन्होंने 2.28 मीटर जंप लगाने की कोशिश की और न्यूजीलैंड के हामिश केर को पीछे छोड़ना चाहा, लेकिन विफल रहे। तब उनके पास एक ही प्रयास बचा था। इस तरह तेजस्विन ने कांस्य पदक अपने नाम किया। तेजस्विन शंकर ने न सिर्फ कांस्य के रूप में भारत के लिए ट्रैक एंड फील्ड में पहला पदक जीता बल्कि वो किसी भी राष्ट्रमंडल खेलों में हाई जम्प में भारत के लिए पदक जीतने वाले पहले एथलीट बन गए।

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