हैंडबॉल, वॉलीबाल, ताइक्वांडो, कराटे व जूडो परिसंघों की मान्यता पर रोक

केन्द्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में दी जानकारी

खेलपथ संवाद

नई दिल्ली। भारतीय हैंडबॉल, वॉलीबाल, ताइक्वांडो, कराटे व जूडो परिसंघों में चल रहे विवाद के कारण इनके मान्यता नवीनीकरण पर रोक लगाई गई है। यह जानकारी युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर की ओर से सांसद श्याम सिंह यादव के सवाल के जवाब में लोकसभा में दी गई है। यद्यपि श्री ठाकुर ने कहा कि इन खेलों से जुड़े खिलाड़ियों को मान्यता प्राप्त खेल प्रतियोगिताओं (एशियाड, कॉमनवेल्थ, ओलम्पिक) में सहभागिता के अवसर दिलाने को सरकार प्रतिबद्ध है।

श्री ठाकुर ने कहा कि केन्द्र सरकार ने भारतीय हैंडबॉल महासंघ सहित 5 खेल परिसंघों की मान्यता का नवीनीकरण रोक दिया है। प्रबंधन में विवाद के कारण केन्द्र ने यह कार्रवाई की है। भारतीय हैंडबॉल संघ में लम्बे समय से विवाद चल रहा है। इन संगठनों में आर्थिक अनियमितताओं के मामले भी सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि जो खेल संगठन राष्ट्रीय खेल संहिता-2011 का अनुपालन नहीं करेगा उसे किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी। देखा जाए तो एक जून, 2022 को राष्ट्रीय खेल संहिता-2011 का अनुपालन नहीं करने वाले राष्ट्रीय खेल संघों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने भी अहम निर्णय सुनाया था।

न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी व न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने स्पष्ट किया था कि इन संघों को मिलने वाला कर लाभ, यात्रा रियायतें, खिलाड़ियों और अधिकारियों को दिए जाने वाले आवास समेत अन्य सुविधाओं का खर्च सार्वजनिक धन से किया जाता है। ऐसे संघों के प्रति कोई भी उदारता न दिखाई जाए और न ही आगे उन्हें किसी भी प्रकार की कोई छूट दी जाए। पीठ ने कहा कि किसी भी नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (एनएसएफ) या खेल इकाई को अन्यायपूर्ण लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा की एक याचिका पर लम्बी सुनवाई के बाद अपने निर्णय में पीठ ने कहा कि रिट याचिका 2020 से लम्बित है और अनुपालन के संबंध में जनवरी 2021 में आदेश पारित किया गया था। निश्चित रूप से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पंद्रह महीने एक लम्बा समय है।

पीठ ने कहा था कि यह सभी जानते हैं कि आम बच्चों की दिल्ली में स्टेडियम, खेल के मैदान और अन्य खेल सुविधाओं तक आसान पहुंच नहीं है। ऐसे में सरकारी स्कूलों या प्राधिकरणों के स्वामित्व या प्रबंधन वाले अन्य स्कूलों के खेल के मैदान उपलब्ध कराकर यह सुविधा दी जा सकती है। पीठ ने दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम और केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) को मामले की जांच करने और अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के तहत स्कूलों में खेल मैदान खोलने के लिए अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा कि इसे पे-एंड-प्ले के आधार पर किया जा सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशनों द्वारा खेल संहिता और अदालतों द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन करने की मांग की गई थी। उन्होंने दलील दी थी कि एक दशक बीत जाने के बाद भी अधिकतर नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन खेल संहिता का उल्लंघन करके सरकारी अनुदान, रियायतों और मान्यता का आनंद ले रहे हैं।

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