श्रीलंकाई जयसूर्या और रणतुंगा ने भारत से मांगी मदद
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की, भारत को बताया बड़ा भाई
नई दिल्ली। श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसी बीच, वर्ल्ड कप विजेता कप्तान और पूर्व पर्यटन-उड्डयन मंत्री अर्जुन रणतुंगा और सनथ जयसूर्या ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। जयसूर्या ने भारत को बड़ा भाई बताते हुए मदद के लिए आभार जताया है और आगे भी मदद की उम्मीद जताई है। वहीं रणतुंगा ने देश में चल रहे आर्थिक संकट के बीच भारत द्वारा मदद पहुंचाए जाने पर पीएम मोदी के बारे में बात की। रणतुंगा ने कहा कि भारत की मदद से हम जाफना इंटरनेशनल एयरपोर्ट को शुरू करने में सफल रहे।
रणतुंगा ने कहा, "भारत ने सिर्फ पैसे देने का काम नहीं किया बल्कि हमारी जरूरतों के हिसाब से मदद की है। भारत की मदद से हमारे यहां पेट्रोल और दवाई जैसी चीजों की मदद पहुंच रही है। इन चीजों की कमी हमारे यहां आने वाले समय में हो सकती है। भारत हमारे लिए एक बड़ा भाई रहा है। मुझे खुशी है कि वे श्रीलंका को पैसा देने के बजाय स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। भारत हमारी बड़ी मदद कर रहा है।"
सनथ जयसूर्या ने कहा "आप हमेशा ही एक अच्छे पड़ोसी रहे हैं। हमारे देश के बड़े भाई हमारी मदद कर रहे हैं। हम भारत सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के आभारी हैं। हमारे लिए गुजारा करना मुश्किल है। बस किसी तरह जीवन चल रहा है। मुझे उम्मीद है कि चीजें बदल जाएंगी। हम भारत और अन्य देशों की मदद से इस स्थिति से बाहर आने की कोशिश कर रहे हैं।" भारत अब तक श्रीलंका को 270,000 मीट्रिक टन से अधिक ईंधन की आपूर्ति कर चुका है, ताकि वहां बिजली का संकट दूर किया जा सके।
पूर्व श्रीलंकाई कप्तान ने आगे कहा, "मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि मैं खून की नदियां नहीं देखना चाहता। मैं बहुत डरा हुआ हूं। मैं नहीं चाहता कि लोग एक और युद्ध शुरू करें, जिसे हम वर्षों तक झेलते रहे। सरकार में कुछ राजनेता यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बीमारी (कोविड-19) को तमिलों और मुसलमानों ने बनाया है। ऐसा करके वे देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं।"
देश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बारे में रणतुंगा ने सही ठहराया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोविड-19 महामारी को ठीक से नहीं संभाला। श्रीलंका को विदेशी मुद्रा की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। इस कारण खाद्य और ईंधन आयात करने की क्षमता प्रभावित हुई है। इस कारण देश में बिजली की कटौती भी हुई है। आवश्यक वस्तुओं की कमी ने श्रीलंका को मित्र देशों से सहायता लेने के लिए मजबूर किया।
रणतुंगा ने कहा, "आम जनता बुनियादी चीजें जैसे चावल, पेट्रोल, भोजन आदि मांगने के लिए बाहर आई है। जो हिंसा हो रही है उससे मैं सहमत नहीं हूं। ऐसा नहीं होना चाहिए, लेकिन पिछले दो सालों में देश में एक बड़ी गड़बड़ी हो गई है। सरकार बहाना बना रही है कि यह कोविड-19 के कारण हुआ है, लेकिन अन्य देश भी तो इससे गुजरे हैं। इन लोगों ने चीजों को ठीक से नहीं संभाला और अति आत्मविश्वास से भरे हुए थे कि वे कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने अपने अदालती मामलों से भी छुटकारा पा लिया और यही कारण है कि लोग सड़क पर आ गए।"