चरखी दादरी नेशनल कबड‍्डी में ‘अंतिम’ ने जीता गोल्ड

संसाधनों की कमी नहीं रोक पायी प्रतिभा
खेलपथ संवाद
चरखी दादरी।
दो बहनों के बाद पैदा हुई अंतिम ने केवल 19 साल बाद अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी बनकर परिवार को गौरवान्वित किया है। गांव की बेटी अंतिम का अब ओलम्पिक खेलना और देश के लिए मेडल जीतना ही लक्ष्य है। 
बता दें कि हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में अंतिम, भतेरी, माफी और काफी जैसी बेटियों के नाम रखना आम बात थी। चरखी दादरी के गांव कलाली निवासी किसान विजय सिंह और कृष्णा देवी की तीसरी बेटी हुई तो उसका नाम अंतिम रख दिया। उसी तीसरी बेटी अंतिम ने 19 साल बाद राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी बनकर परिवार को गौरवान्वित किया है। अंतिम ने हाल ही में शिमला में आयोजित अंतर-विश्वविद्यालय चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है। 
5 फुट 8 इंच लम्बाई वाली अंतिम कलाली फिलहाल हरियाणा कबड्डी टीम में शक्तिशाली रेडर हैं। उन्होंने सब-जूनियर कबड्डी चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक, जूनियर कबड्डी चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक, खेलो-इंडिया 19 और अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। अंतिम कलाली रोहतक के वैश्य गर्ल्स कॉलेज में बीए फाइनल ईयर की छात्रा हैं। वह बचपन से कुश्ती, कबड्डी खेलती रही हैं। अंतिम के पिता विजय सिंह भी खेल से जुड़े रहे हैं और वे ग्राम स्तर का पहलवान थे। हालांकि वे भी बड़े पहलवान बनना चाहते थे, लेकिन परिवार ने अनुमति नहीं दी। उसकी बड़ी बहन रितु भी कबड‍्डी खिलाड़ी हैं। 

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