हरभजन सिंह का क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास

‘टर्बनेटर’ का आकर्षक अध्याय समाप्त
नई दिल्ली।
टेस्ट क्रिकेट में हैटट्रिक लेने वाले भारत के पहले गेंदबाज और दिग्गज ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने शुक्रवार को अपने शानदार क्रिकेट करिअर को अलविदा कह दिया। पंजाब के 41 वर्षीय खिलाड़ी ने अपने शानदार करिअर में 103 टेस्ट में 417 विकेट, 236 एकदिवसीय मैचों में 269 विकेट और 28 टी 20 आई में 25 विकेट लिए हैं। हरभजन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से यह कदम उनके दिमाग में था और अब वह इसकी घोषणा कर रहे हैं।
इस ऑफ स्पिनर ने ट्वीट किया, ‘मैं उस खेल को अलविदा कह रहा हूं जिसने मुझे जीवन में सब कुछ दिया है, सभी अच्छी चीजें भी समाप्त हो जाती हैं। मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस 23 साल के लंबे सफर को बेहतरीन और यादगार बनाया।’ उन्होंने कहा, ‘जालंधर की तंग गलियों से लेकर टीम इंडिया का ‘टर्बनेटर’ बनने तक का बीते 25 सालों का सफर खूबसूरत रहा है।’ 
उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय टीम में जर्सी (मैदान पर खेलते हुए) में संन्यास लेने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने मार्च 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की शृंखला में 32 विकेट लिये थे, जिसमें एक भारतीय द्वारा पहली टेस्ट हैट्रिक भी शामिल थी। यह उनके शानदार करिअर के सबसे यादगार पलों में से एक है। हरभजन ने 1998 में शारजाह में न्यूजीलैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैच से अंतर्राष्ट्रीय पदार्पण किया था। 
उन्होंने भारत के लिए मार्च 2016 में ढाका में संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ टी20 अंतरराष्ट्रीय में अपना आखिरी मैच खेला था। सचिन तेंदुलकर ने एक बार कहा था, ‘हरभजन सिंह ने एक पीढ़ी को ऑफ स्पिन की कला से प्यार करना सिखा दिया।’ उसने सचमुच ऐसा किया, हरभजन ने 2016 में अंतिम बार भारत के लिये नीली जर्सी पहनी थी। आज भारत के ‘टर्बनेटर’ के आधिकारिक रूप से संन्यास की घोषणा से भारतीय क्रिकेट के आकर्षक अध्याय का अंत हो गया।
सौ से ज्यादा टेस्ट मैच और 400 से ज्यादा विकेट लेने वाले हरभजन हमेशा ही भारत के एलीट क्रिकेटरों में शामिल रहेंगे।
उनके लिये उनके नेतृत्वकर्ता हमेशा सौरव गांगुली रहे जिनकी दूरदर्शिता ने शायद उन्हें 2000 के शुरू में पिता के निधन के बाद अमेरिका में जाकर बसने से रोक दिया। चैपल बनाम गांगुली दौर में वह एकमात्र क्रिकेटर थे जिन्होंने अपने कप्तान का समर्थन किया था। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में बासी खाने के विरोध में तब के प्रमुख हनुमंत सिंह द्वारा बाहर तक कर दिये गये थे।
गेंदबाजी एक्शन पर भी सवाल उठे और दो बार उन्हें इसका परीक्षण कराना पड़ा जिसमें वह ठीक पाये गये।
‘मंकीगेट’ प्रकरण में एंड्रयू साइमंड्स ने नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप लगाया था और इसका उन पर मानसिक तौर पर असर पड़ा। आईपीएल में एस श्रीसंत को धक्का देने का विवाद हुआ और पहले चरण में हुई इस घटना से उन्हें निलम्बित कर दिया गया।
रिकी पोंटिंग जैसे महान क्रिकेटर को हरभजन ने टेस्ट क्रिकेट में दर्जनों बार आउट किया। पोंटिंग कभी भी हरभजन के ‘दूसरा’ को नाप-तौल नहीं सके।
आस्ट्रेलिया के खिलाफ उनके 32 विकेट (3 टेस्ट की सीरीज में) हमेशा उनके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की चमकदार उपलब्धि रहेगी।
जब अनिल कुंबले और हरभजन सिंह सबसे घातक मैच विजेता गेंदबाजी जोड़ी थी तब भारत ने ज्यादातर मैच चौथे या पांचवें दिन के शुरू में जीते। ‘दूसरा’ गेंद जो सरल शब्दों में ऑफ स्पिनर की लेग ब्रेक होगी जो उन्होंने सकलेन मुश्ताक को देखकर सीखी।
अक्सर विकेटकीपर कहते कि जब हरभजन लय में हों तो गेंद सांप की तरह फुफकार निकालती थी।
वर्ष 2007 से 2011 के बीच तब के कोच गैरी कर्स्टन के मार्गदर्शन में उन्हें नयी जिंदगी दी जिसमें वह सफेद गेंद के शानदार गेंदबाज बन गये। 2011 से 2016 के बीच उनका करिअर नीचे जाने लगा जिसमें रविचंद्रन अश्विन की स्पिन ने कमाल दिखाना शुरू किया। वह आसानी से 500 विकेट के पार जा सकते थे, लेकिन जब 2011 में उन्होंने चोट से वापसी की तो चयनकर्ताओं ने आगे बढ़ने का फैसला किया। 

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