रिजर्व के तौर पर मिला अनुभव मैदान में काम आयाः सिमरनजीत सिंह

नई दिल्ली। भारतीय हॉकी टीम के स्टार मिडफील्डर सिमरनजीत सिंह का मानना है कि कई बार रिजर्व बेंच पर बैठना वरदान भी साबित होता है और रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर उनका अनुभव टोक्यो ओलम्पिक में अच्छे प्रदर्शन में काम आया। हॉकी इंडिया के पाडकास्ट 'हॉकी ते चर्चा' में विशेष मेहमान के तौर पर आए सिमरनजीत ने अपने करियर और टोक्यो ओलिंपिक पर बात की।
भारतीय टीम ने टोक्यो में 41 साल बाद ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता। सिमरनजीत ने सीनियर टीम में पदार्पण के बाद मार्गदर्शन के लिए सीनियर खिलाड़ियों को श्रेय दिया। उन्होंने बताया, "सरदार सिंह उसी पोजीशन पर खेलते थे जहां मैं खेलता हूं। मैं हमेशा से उनका खेल देखता था और उनकी सलाह को ध्यान से सुनता था। वह हमेशा कहते हैं कि हर मौके का पूरा उपयोग करो। हर शिविर में वह कहते थे कि अपना 100 फीसद दो और टीम में रहने की भूख हर दिन चयनकर्ताओं को महसूस कराओ।"
टोक्यो ओलिंपिक में उनका सफर परीकथा से कम नहीं रहा। रिजर्व बेंच से टीम में शामिल होने के बाद उन्होंने जर्मनी के खिलाफ कांस्य पदक के मुकाबले में दो गोल किए। वह जून में चुनी गई मूल टीम का हिस्सा नहीं थे। 
उन्होंने कहा, "हर खिलाड़ी की तरह मुझे लगता था कि 16 सदस्यीय टीम में जगह मिलनी चाहिए थी। मुझे पता था कि कोच को मुझ पर भरोसा है। जब मुझे पता चला कि रिजर्व खिलाड़ी भी टोक्यो जाएंगे तो पहले मुझे यकीन नहीं हुआ। मुझे फिर पता चला कि रिजर्व होने पर भी मुझे कम से कम एक मौका खेलने का मिलेगा। मैं उसका पूरा उपयोग करना चाहता था। मैंने बेंच से न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया की टीमों का खेल देखा और यह मंथन करता रहा कि इन हालात में बेहतर प्रदर्शन कैसे कर सकता हूं। इससे मुझे वास्तव में खेलने पर काफी मदद मिली।" 

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