माता-पिता के त्याग का नतीजा है नौकायन में मिली उपलब्धि

भारतीय नौकाचालकों के प्रशिक्षण पर बड़ा खर्च
खेलपथ प्रतिनिधि
चेन्नई।
ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाले चार भारतीय नौकाचालकों के माता-पिता ने टोक्यो के लिए टिकट कटाने की उनकी यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की ट्रेनिंग के लिए नौकाओं को किराये पर लेने के लिए प्रत्येक महीना एक लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए। भारत के लिए पहली बार चार सेलरों ने टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया है। 
नेत्रा कुमानन (लेजर रेडियल स्पर्धा), विष्णु सरवनन (लेजर स्टैंडर्ड क्लास), गणपति चेंगप्पा और वरुण ठक्कर (49आर क्लास) की जोड़ी ने ओमान में एशियाई क्वालीफायर से यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। लेकिन उनकी यह उपलब्धि उनके माता-पिता की मुश्किलों और आर्थिक तंगी के बाद आई है।
वरुण के पिता अशोक ठक्कर तमिलनाडु सेलिंग संघ से जुड़े हुए हैं, इसके अलावा वह शिपिंग व्यवसाय भी करते हैं। उन्होंने दूरभाष पर बताया कि मैं वरुण के लिए प्रत्येक महीने कम से कम डेढ़ लाख रुपये खर्च करता हूं। यह काफी महंगा खेल है, उपकरण महंगे हैं। वरुण सामान्य तौर पर एक दिन में छह घंटे ट्रेनिंग करता है। 
ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला नेत्रा के पिता वीसी कुमानन ने कहा कि शुरुआती स्तर पर इसका खर्चा उठाया जा सकता था लेकिन बाद में यह खर्चीला बनता गया। विष्णु आमतौर पर मुंबई में भारतीय सेना द्वारा मुहैया कराई जाने वाली नौकाओं का इस्तेमाल करता है। उनके पिता रामचंद्रन सरवनन ने कहा, हम उसकी ट्रेनिंग पर हर महीने 50,000 रुपये के करीब खर्च करते हैं।

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