पहले ही राष्ट्रमंडल खेलों में अंशु मलिक ने जीता रजत

फाइनल में हार के बाद रोने लगीं
खेलपथ संवाद
बर्मिंघम।
भारतीय महिला पहलवान अंशु मलिक ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीत लिया है। यह अंशु का पहला राष्ट्रमंडल खेल है और उन्होंने रजत पदक से शुरुआत की है। अंशु ने राष्ट्रमंडल खेलों में जबरदस्त प्रदर्शन किया और महिलाओं के 57 किलोग्राम भारवर्ग में अपने तीन में से दो मुकाबले सिर्फ 64 सेकेंड में जीते थे।
फाइनल में अंशु का सामना नाइजीरिया की ओदुनायो फोलासादे अदेकुओरोए से था। इसमें उन्हें 7-3 से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, अंशु ने कुश्ती में भारत के पदकों का खाता खोल दिया। फाइनल में हार के बाद अंशु मैट पर ही रो पड़ीं। ओदुनायो 2014 और 2018 राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हैं। अब 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में भी ओदुनायों ने स्वर्ण पदक जीता।
अपने पहले मैच में क्वार्टर फाइनल में अंशु का सामना ऑस्ट्रेलिया की आइरीन सीमेओंडिस से था। यह मैच उन्होंने 10-0 से अपने नाम किया। विपक्षी पहलवान द्वारा कोई भी अंक हासिल नहीं कर पाने पर तकनीकी दक्षता के आधार पर इस मैच में अंशु ने जीत हासिल की। यह मैच अंशु ने 64 सेकेंड में जीत लिया और सेमीफाइनल में जगह बनाई।
अंशु ने सेमीफाइनल में भी इस फॉर्म को जारी रखा। इस मैच को भी अंशु ने तकनीकी दक्षता के आधार पर 64 सेकेंड में जीता। सेमीफाइनल में भारतीय पहलवान ने श्रीलंका की नेथमी पोरूथोतागे को 10-0 से हराया। अंशु ने श्रीलंकाई पहलवान को एक बार पटकने के बाद उन्हें उठने का मौका नहीं दिया। इस जीत के साथ ही अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में अंशु ने कम से कम रजत पदक पक्का कर लिया।
अंशु की सबसे बड़ी चुनौती फाइनल थी। उनके सामने नाइजीरिया की ओदुनायो थीं। ओदुनायो भी शानदार फॉर्म में थीं और अपने दोनों मैच जीत चुकी थीं। इस मैच में अंशु और ओदुनायो के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। हालांकि, नाइजीरियन पहलवान ने मजबूती दिखाई और शुरुआती मिनट में ही अंशु को टेकडाउन कर चार अंक हासिल कर लिए। अंशु ने पहले एक अंक हासिल किया। इसके बाद आखिरी 30 सेकेंड में अंशु ने तीन अंक हासिल किए। हालांकि, वह आखिरी के दो अंक नहीं हासिल कर सकीं और 7-3 से मुकाबला हार गईं। 
ओदुनायो ने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था। तब उन्होंने भारत की ही पूजा ढांढा को हराया था। वहीं, 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में ओदुनायो ने भारत की ही ललिता सेहरावत को हराया था। अब लगातार तीसरे राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने भारतीय पहलवान को हराया।
अंशु का परिवार कुश्ती से जुड़ा रहा है
टोक्यो ओलंपिक में अंशु मलिक को निराशा मिली थी। वह अपने पहले ही राउंड में हार गई थीं, लेकिन इससे उसका हौसला कम नहीं हुआ, बल्कि वह और अधिक मेहनत करने लगीं। अंशु मलिक ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिए लखनऊ में तैयारी की। 
21 वर्षीय अंशु मलिक ने इससे पहले भी कई पदक जीत चुकी हैं। उनके पिता धर्मवीर मलिक भी अंतरराष्ट्रीय पहलवान रह चुके हैं। उनके चाचा पवन मलिक तो दक्षिण एशियाई खेलों के गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। अंशु का छोटा भाई शुभम भी पहलवानी करता है। इस तरह इनका पूरा परिवार पहलवानी से जुड़ा हुआ है। अंशु मलिक ने 13 वर्ष की आयु में ही पहलवानी शुरू कर दी थी। उन्होंने जगदीश श्योराण से कुश्ती के गुर सीखे। 
अंशु मलिक ने अब तक जीते हैं ये पदक
अंशु मलिक ने 2016 में एशियन सब जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, 2016 में ही विश्व कैडिट चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल, 2017 में विश्व खेल स्कूल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, 2017 में एशिया कैडिट कुश्ती चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल, 2017 में ही एथेंस में विश्व कैडिट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, 2018 में एशियन सब जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, विश्व जूनियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल, विश्व सब जूनियर चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल और 2019 में एशियन सब जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। 
इसके बाद 2020 में विश्व रेंकिंग कुश्ती चैंपियनशिप में अंशु ने सिल्वर मेडल, सीनियर एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल, सीनियर एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप दिल्ली में ब्रॉन्ज मेडल, सीनियर वर्ल्ड कप रेसलिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल, 2021 में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। वहीं अब उन्होंने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है।

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