मीराबाई चानू ने अपनाया नया भार वर्ग

अब 55 किलो में राष्ट्रमंडल खेलों के लिए करेंगी क्वालीफाई
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में देश की झोली में एक और स्वर्ण पदक डालने के लिए वेटलिफ्टर मीराबाई चानू टोक्यो ओलम्पिक में रजत पदक दिलाने वाले भार वर्ग 49 किलो को त्यागने जा रही हैं। मीराबाई इस साल अगस्त में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में नए भार वर्ग 55 किलो में स्वर्ण जीतने की तैयारियों में जुट गई हैं। 
मीरा 55 किलो में बर्मिंघम का टिकट हासिल करने के लिए अगले माह 25 से 27 फरवरी को सिंगापुर में होने वाली राष्ट्रमंडल खेलों की क्वालिफाइंग इवेंट 'सिंगापुर इंटरनेशनल' में खेलने जा रही हैं। मीराबाई ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सारी सुर्खियां 48 और 49 किलो वर्ग में बटोरी हैं। राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण, रजत, विश्व चैंपियनशिप का स्वर्ण और ओलंपिक रजत उन्होंने इन्हीं भार वर्गों में जीते हैं। खास बात यह है कि वह ओलंपिक में रजत जीतने के कारण वह 49 किलो में राष्ट्रमंडल खेलों का टिकट भी हासिल कर चुकी हैं। 
हालांकि, भारोत्तलन संघ के अध्यक्ष सहदेव यादव और चीफ कोच विजय शर्मा बर्मिंघम में देश को अतिरिक्त स्वर्ण दिलाने के लिए मीराबाई के लिए अलग से रणनीति बना डाली। 49 किलो में झिली डालबेहरा 170 से अधिक वजन उठाने की कूवत रखती हैं। झिल्ली अगर 49 किलो में खेलती हैं तो इस प्रदर्शन पर उनका स्वर्ण आ सकता है। 
टीम मैनेजमेंट को लगता है अगर मीरा 55 किलो में खेलेंगी तो वहां भी वह आसानी से स्वर्ण जीतेंगे। ऐसे में मीरा को 49 किलो में उतार एक स्वर्ण का नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी को ध्यान में रख राष्ट्रमंडल खेलों के अंतिम क्वालिफाइंग इवेंट सिंगापुर इंटरनेशनल में झिलr को 49 और मीरा को 55 किलो में उतारा जा रहा है। यहां दोनों को इन भार वर्गों में अच्छा प्रदर्शन कर बर्मिंघम के लिए क्वालिफाई करना होगा। सहदेव के अनुसार मीरा का भार बदलने से एक के बदले तीन स्वर्ण पदक पर बात बन सकती है। 55 किलो में हाल ही में विश्व चैंपियनशिप में स्नैच का कांस्य जीतने वाली बिंदिया रानी खेलती हैं। 
उन्हें अब 59 किलो में उतार सिंगापुर राष्ट्रमंडल खेलों के लिए क्वालिफाई करने भेजा जा रहा है। यह प्रयोग सफल रहा तो राष्ट्रमंडल खेलों में देश को बड़ा फायदा होगा। मीरा के लिए एशियाई खेलों की अलग रणनीति बनेगी। सिंगापुर इंटरनेशनल के लिए सात पुरुष और नौ महिला लिफ्टर भेजे जा रहे हैं।

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