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100 और 200 मीटर दौड़ में दिखाया दम
नूतन शुक्ला
कानपुर। हर जीव जन्म से ही खेलना-कूदना शुरू कर देता है। उम्र बढ़ने के साथ ही इंसान की इच्छाएं और अपेक्षाएं बदलने लगती हैं। सैकड़ों में सिर्फ कुछ व्यक्ति ही ऐसे होते हैं जोकि खेलों को आत्मसात कर करियर के रूप में स्वीकारते हैं। ऐसे ही लोगों में परदेवनपुर, लाल बंगला कानपुर निवासी अविनिंदर जीत सिंह भी शामिल हैं। इन्होंने पूर्ण मनोयोग से न केवल एथलेटिक्स को स्वीकारा बल्कि सीमित साधनों के बाद भी सफलता के कई पड़ाव तय करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर 100 और 200 मीटर दौड़ों में कानपुर का नाम गौरवान्वित किया।
अविनिंदर जीत सिंह को खेल विरासत में मिले हैं। इनके पिता गुरमीत सिंह भी राज्यस्तर के दमदार एथलीट रहे हैं। गुरमीत का सपना था कि उनका बेटा एथलेटिक्स में शिरकत करे और उत्तर प्रदेश ही नहीं देश का नाम दुनिया में रोशन करे। पिता की इच्छा को देखते हुए अविनिंदर जीत की स्कूल स्तर से ही खेलों में अभिरुचि हो गई। इन्होंने पहली दफा सेंट जोसफ सीनियर सेकेण्डरी स्कूल के खेलों में 100 और 200 मीटर में सहभागिता कर स्वर्णिम सफलता हासिल की थी। तब अविनिंदर को इस शानदार सफलता के लिए विद्यालय प्रबंधन द्वारा पुरस्कृत किया गया था।
कहते हैं यदि सफलता शुरुआती दिनों में ही मिल जाए तो इंसान का मनोबल बढ़ जाता है। 100 और 200 मीटर दौड़ों की इस सफलता ने अविनिंदर की कल्पनाओं व अपेक्षाओं को पंख लगा दिए। सेंट जोसफ सीनियर सेकेण्डरी स्कूल की वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के बाद अविनिंदर जीत ने अंतर-जनपदीय इंग्लिश स्कूल खेलों में भी जीत का शानदार अध्याय लिखते हुए, तय कर लिया कि वह न केवल दौड़ेंगे बल्कि कुछ हासिल करके ही दम लेंगे। शुरुआती दिनों में अविनिंदर जीत के खेल को निखारने का काम इनके खिलाड़ी पिता ने ही किया। उसके बाद इनकी प्रतिभा को निखारने का जिम्मा स्पोर्ट्स टीचर प्रतीक सेन और पीटीआई दीक्षित सर ने सम्हाला।
अविनिंदर जीत सिंह ने 1987 में पहली बार जिला स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में न केवल शिरकत किया बल्कि 100 और 200 मीटर दौड़ों में स्वर्ण पदक जीतकर अपने हौसले को नए आयाम दिए। अविनिंदर की प्रतिभा व कौशल से उस समय के एक और उदीयमान खिलाड़ी दिनेश सिंह भदौरिया बहुत प्रभावित हुए। श्री भदौरिया ने अविनिंदर के खेल को निखारने में काफी मदद की। इसके बाद राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अविनिंदर जीत सिंह ने जीत की ऐसी कहानी लिखी जिससे समूचा कानपुर गौरवान्वित हुआ। 1990 में कानपुर जिला एथलेटिक्स मीट में अविनिंदर जीत सिंह ने 100 मीटर दौड़ में न केवल स्वर्ण पदक जीता बल्कि 25 साल पुराना रिकार्ड भी बराबर कर दिया। इसी साल इन्होंने यूपी स्टेट जूनियर एथलेटिक्स मीट की फर्राटा दौड़ में चांदी का तमगा जीतने में भी सफलता हासिल की। इस सफलता के बाद अविनिंदर जीत सिंह का चयन एशियन ट्रैक एण्ड फील्ड प्रतियोगिता के प्रशिक्षण शिविर हेतु किया गया।
1991 में इन्होंने अंतर-राज्यीय खेलकूद प्रतियोगिता की 200 मीटर स्पर्धा में कांसे का तमगा जीता तो 100 मीटर दौड़ 10.7 सेकेण्ड में पूरी की। इसी साल यू.पी. ओपन एथलेटिक्स मीट में इन्होंने 100 और 200 मीटर दौड़ में स्वर्णिम सफलताएं हासिल कीं तो भारतीय जीवन बीमा निगम की नेशनल एथलेटिक मीट में भी इन विधाओं के स्वर्ण पदक जीत दिखाए। अविनिंदर जीत सिंह की नायाब सफलताओं को देखते हुए इन्हें कई बार सम्मानित किया गया है।
1994 में भी इन्होंने यू.पी. एथलेटिक्स मीट में 100 मीटर दौड़ में पहला स्थान हासिल किया था। इसी साल भारतीय जीवन बीमा निगम का प्रतिनिधित्व करते हुए इन्होंने नेशनल मीट में 100 मीटर दौड़ में पांचवां स्थान हासिल किया था। श्री सिंह 1990 में भारतीय जीवन बीमा निगम में भर्ती हुए और वर्तमान में कानपुर में ही सहायक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। श्री सिंह अगले साल होने वाले ओलम्पिक खेलों में भारतीय एथलीटों की सफलता के बारे में कहते हैं कि अभी मुझे ऐसा कोई एथलीट नजर नहीं आता जिससे हम एथलेटिक्स में पदक की उम्मीद कर सकें।