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इस खेल ने महिलाओं की जीवन धारा बदल दी
खेलपथ संवाद
चंडीगढ़। नौ वर्ष की माहिरा हों या 80 वर्षीय गुनवंत कौर और 76 वर्षीय कुलजीत सूरी...गोल्फ क्लब में हाथ न आजमाएं तो आनंद ही नहीं आता। सुबह सवेरे हाथ में क्लब लेकर कोई 18 होल की दूरी तय करती हैं तो कोई नौ होल तक खेलकर शांत हो जाती हैं। जी हां, यह गेम ऐसा ही है। जिसने इन महिलाओं की जीवन धारा बदल दी।
ऐसा नहीं है कि यह महिलाएं शुरू से गोल्फर रहीं। इसमें से कइयों ने पच्चीस साल पहले गोल्फ क्लब थामा तो किसी ने बीस साल पहले। अगर पूछो तो कहती हैं कि इस गेम में हमारा अपने से ही मुकाबला होता है। गवर्नमेंट कॉलेज मोहाली से रिटायर्ड लेक्चरार और कैंसर सर्वाइवर गुनवंत कौर ने बताया कि उन्होंने 56 वर्ष की आयु में गोल्फ क्लब थामा। थोड़ा समय लगा था गेम को समझने में। लेकिन जब समझ गईं तो रोजाना यहां आने लगीं। उन्होंने बताया कि मौका मिला तो कोलकाता, पटियाला, लुधियाना, देहरादून से लेकर आस्ट्रेलिया तक खेल आईं।
76 वर्षीय कुलजीत सूरी ने बताया कि उनके पति आर्मी में रहे। उनको गोल्फ खेलना पसंद था तो अक्सर गोल्फ अपने पति के साथ गोल्फ क्लब में आती जाती रहती थीं। उनके साथ वॉक करती थीं। फिर जब चंडीगढ़ आईं तो गोल्फ खेलना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि सुबह चार बजे उठ जाती हैं और 6 बजे क्लब पहुंच जाती हैं। जैसे ही टी ऑफ मिल गया गोल्फ शुरू हो जाता है। उन्होंने बताया कि इससे उनको मन की शांति मिलती हैं। उन्होंने बताया कि वह दस साल पहले इंडिपेंडेंस कप जीत चुकी हैं। कई राज्यों में होने वाले टूर्नामेंट में भी प्रतिभागिता कर चुकी हैं। घर में एक अलमारी है जिसमें उनके मेडल्स रखे हैं।
फीडर टूर 2022 और 23 में पहले स्थान पर रहने वाली भाव्या मान ने बताया कि वह ग्यारहवीं में हैं पर अपनी स्टडी से समय निकालकर गोल्फ जरूरी खेलती हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप ठान लें तो कोई काम मुश्किल नहीं है। वहीं, 15 वर्षीय प्रभलीन कौर ने बताया कि फीडर टूर को उन्होंने अपनी कैटेगरी में जीता। उन्होंने कहा कि गोल्फ सिर्फ गेम नहीं सिखाता बल्कि पर्सनालिटी भी डेवलप कर देता है।