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दो बार ऐसा वक्त आया था जब लगा कि खेलना छोड़ दूं
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। कई बार ऐसा समय आया जब लगा कि खेल छोड़ देना चाहिए. लेकिन पिता ने प्रेरित किया और आगे बढ़ने का हौसला दिया। कुछ सीक्रेट है जो साझा नहीं कर सकते। हर खिलाड़ी का एक मोटिवेशनल सीक्रेट होता है जो उन्हें बुरे समय में मोटिवेट करता है। यह बातें अपने करियर के संघर्षों को साझा करते हुए महेश भूपति ने कहीं।
भारतीय टेनिस के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी महेश भूपति ने कहा कि भारत में टेनिस का भविष्य उज्ज्वल है। सुमित नागल जैसे युवा खिलाड़ी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। हम सबको मिलकर इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
भूपति ने कहा कि किसी भी खिलाड़ी के करियर में चोट एक बड़ी चुनौती होती है, लेकिन वर्तमान समय में मेडिकल सपोर्ट स्टाफ की बेहतरीन सुविधाएं खिलाड़ियों को तेजी से उबरने में मदद कर रही हैं। पहले टेनिस जैसे महंगे खेल में खिलाड़ियों को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब सरकार की खेल नीतियों और योजनाओं के चलते यह समस्या काफी हद तक कम हो गई है।
बातचीत के दौरान सिंगल्स और डबल्स टेनिस के बीच के महत्वपूर्ण अंतर को स्पष्ट करते हुए भूपति ने कहा कि सिंगल्स मुकाबलों में व्यक्तिगत प्रतिभा का विशेष महत्व होता है, जबकि डबल्स में सही जोड़ीदार का मिलना जरूरी है। अपने करियर को लेकर कहा कि उन्होंने डबल्स को इसलिए चुना क्योंकि उन्हें लिएंडर पेस जैसा एक अच्छा जोड़ीदार मिला, जिसने उनके खेल को और मजबूत किया।
दरअसल, महेश भूपति बिहार में टेनिस के विकास को लेकर पटना पहुंचे। बिहार राज्य खेल प्राधिकरण की ओर से राज्य में टेनिस के विकास को लेकर योजनाएं बनाने के लिए महेश भूपति को बुलाया गया था। महेश भूपति ने कहा कि वह राज्य खेल विभाग के साथ मिलकर इस दिशा में कार्य करने को तत्पर हैं ताकि यहां से भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के टेनिस खिलाड़ी उभरकर सामने आ सकें।
महेश भूपति ने बिहार में टेनिस के विकास के लिए राज्य खेल प्राधिकरण और खेल विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन संकरण और खेल विभाग के मुख्य सचिव बी. राजेंद्रन से मुलाकात कर बिहार में टेनिस के बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण सुविधाओं को बेहतर करने के विषय पर चर्चा की।