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19 वर्षीय दिव्या ने कोनेरू हम्पी को टाईब्रेकर में हराया
विश्व चैम्पियन बनने वाली पहली भारतीय महिला
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। महिला शतरंज विश्व कप के फाइनल मुकाबले में दिव्या देशमुख ने ग्रैंडमास्टर और हमवतन कोनेरू हम्पी को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। वह फिडे महिला शतरंज विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। कोनेरू हम्पी के पास वापसी का एक छोटा सा मौका था, लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा सकीं। दिव्या ने काले मोहरों पर एक शानदार जीत दर्ज की।
अंतरराष्ट्रीय मास्टर दिव्या देशमुख ने अपने से ऊंची रैंकिंग वाली ग्रैंडमास्टर और हमवतन कोनेरू हम्पी को फिडे महिला विश्व कप फाइनल के पहले और दूसरे गेम में कोई मौका दिए बिना ड्रॉ खेलने पर मजबूर किया था। इससे मैच टाईब्रेकर में पहुंचा था।
टाई-ब्रेकर में 15-15 मिनट के दो गेम होंगे जिसमें हर चाल के बाद 10 सेकेंड का इजाफा होगा। स्कोर इसके बाद बराबर रहता तो दोनों खिलाड़ियों को 10-10 मिनट प्रति गेम के हिसाब से एक और सेट खेलने का मौका मिलता। इसमें भी हर चाल के बाद 10 सेकेंड का इजाफा होता। दोनों के बीच पहला रैपिड टाईब्रेकर भी ड्रॉ रहा। फिर दूसरे टाईब्रेकर में फैसला आया।
मैच का परिणाम अगर दूसरे टाईब्रेकर में भी नहीं निकलता, तो पांच-पांच मिनट के दो और गेम होते और इसमें हर चाल के बाद तीन सेकेंड की बढ़ोतरी होती। इसके बाद एक गेम का मुकाबला होता जिसमें दोनों खिलाड़ियों को तीन मिनट मिलते और दो सेकंड का इजाफा होगा। यह तब तक चलता, जब तक कोई खिलाड़ी विजेता न बना जाए। हालांकि, इसकी नौबत नहीं आई। नागपुर की 19 वर्षीय दिव्या अब खिताब जीतकर ग्रैंडमास्टर बन चुकी हैं।
खिताबी जीत के बाद भावुक हुईं दिव्या
19 वर्षीय दिव्या ने न केवल फिडे महिला शतरंज विश्व कप जीता है, बल्कि इस जीत के साथ 'ग्रैंडमास्टर' का खिताब भी हासिल किया है। इस जीत के बाद भावुक हो गईं। दिव्या के लिए ये यादगार पल हैं। दिव्या कैंडिडेट्स शतरंज के लिए पहले ही क्वालिफाई कर चुकी हैं।