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बचपन में अपने मजदूर पिता से सीखे क्रिकेट के गुर खेलपथ संवाद मिर्जापुर। मिर्जापुर की बेटियां देशभर में नाम रोशन कर रही है। हाल ही में मिर्जापुर की सानिया मिर्जा ने एनडीए की परीक्षा में 149वीं रैंक हासिल कर फ्लाइंग विंग में दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया। इसी के साथ सानिया देश की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट बन सकती है। इस उपलब्धि से जिले के हर शख्स का सीना चौड़ा हो गया होगा। वहीं अब मिर्जापुर के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले की एक अन्य बेटी ने भी पूरे प्रदेश का नाम बढ़ाया। ज्योति यादव नाम की लड़की का चयन महिला टी20 टीम में हुआ है। ज्योति यादव का राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में सिलेक्शन होना हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है, जो विपरीत परिस्थितियों के बाद भी सपने देखती है और उसे पूरा करना चाहती है। ज्योति यादव मिर्जापुर के कछवा थाना क्षेत्र के छोटे से गांव आहीं (तिवारी का पुरा) की रहने वाली है। वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है। उसके पिता का नाम काशीनाथ यादव है, जोकि एक दिहाड़ी मजदूर हैं। ज्योति पांच बहनों और एक भाई के बीच चौथे नम्बर की संतान है। ज्योति ने बचपन में अपने पिता से क्रिकेट के गुर सीखे। उन्होंने देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखा तो पिता को इस बात की चिंता सताने लगी कि बेटी के सपने को कैसे पूरा करेंगे। दिहाड़ी मजदूरी के जरिए वह एक दिन में लगभग 350 रुपये तक कमा लेते हैं। घर पर कमाने वाले वह इकलौते सदस्य हैं। परिवार के पास न तो कोई जमीन है और न कोई निश्चित आय। एक तरफ बेटी के सपने थे तो दूसरी तरफ उसकी शिक्षा। ज्योति ने 12वीं की परीक्षा तो चार साल पहले ही पास कर ली, लेकिन उसके पास मार्कशीट नहीं है। दरअसल, ज्योति की स्कूल की फीस अब तक बकाया है। लगभग 4000 रुपये स्कूल में फीस के तौर पर जमा करने पर ही स्कूल से मार्कशीट जारी की जाएगी। जब ज्योति को मैच खेलने के लिए दिल्ली भेजना था तो काशीनाथ की चिंता बढ़ गई, क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे। ज्योति जिस बल्ले से खेलती है, वह भी पास के गांव के एक परिचित ने उन्हें दिया है। ज्योति ने क्रिकेट की प्रैक्टिस फसल कटने के बाद खाली खेतों में की। हालांकि जब फसलें बढ़ जातीं तो ज्योति घर के पास छोटे भाई के साथ मैच खेलती है। ज्योति के जीवन में आर्थिक परेशानियां रहीं लेकिन उनके परिवार और गांव के लोगों ने ज्योति को हमेशा प्रोत्साहित किया। उसके गांव में कोई लड़की क्रिकेट नहीं खेलती है। लेकिन जब ज्योति ने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो किसी ने उसे बल्ला तो किसी ने पुराना मोबाइल दिया। मोबाइल के जरिए ज्योति क्रिकेट ट्रायल्स के बारे में जानकारी प्राप्त करती है। समय बीता और उसकी मुलाकात राष्ट्रीय खिलाड़ी गौरव बिंद से हुई, जिसके जरिए ज्योति को डीएलसीएल ट्रायल के बारे में पता चला। गौरव बिंद भदोही के रहने वाले हैं। ज्योति किसी तरह साल 2021 में ट्रायल के लिए दिल्ली पहुंची। उसने महज तीन ओवर ही खेले लेकिन लोगों का ध्यान अपनी ओर जरूर खींचा। डीएलसीएल के क्वालीफाइंग राउंड में उसने सेलेक्टर्स को प्रभावित किया। अब यह दाएं हाथ की विस्फोटक बल्लेबाज और ऑलराउंडर खिलाड़ी टी20 मैच में जौहर दिखाएगी।