भारतीय दिव्यांगों का टोक्यो में तहलका

53 साल के कुल मेडलों के कीर्तिमान को एक में ही तोड़ा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
किसी ने सपने में भी उम्मीद नहीं की थी कि हमारे 54 दिव्यांग खिलाड़ी टोक्यो पैरालम्पिक में ऐसा तमाशाई प्रदर्शन करेंगे और वहां 53 साल के कुल मेडलों का कीर्तिमान ध्वस्त हो जाएगा। जबकि ऐसा अजूबा हो चुका है। रियो पैरालम्पिक के चार मेडलों के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बहुत पीछे छोड़ते हुए हमारे जांबाजों ने 17 मेडलों पर मुहर लगा दी है। अभी दो दिन बाकी हैं, हमारे कई खिलाड़ी पदक की होड़ में हैं।
इस साल जापान के टोक्यो में हुए ओलम्पिक गेम्स के बाद पैरालम्पिक गेम्स में भी भारत का जबरदस्त प्रदर्शन जारी है। भारतीय खिलाड़ी अब तक कुल 17 मेडल्स पर मुहर लगा चुके हैं यानी पिछले सभी पैरालम्पिक गेम्स के कुल 12 मेडलों का रिकॉर्ड काफी अंतर से पीछे छूट चुका है। भारतीय खिलाड़ियों ने अब पैरालम्पिक की सर्वकालिक पदक जीतने (पैरालम्पिक ऑल टाइम) का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। दरअसल, भारत ने 1968 में पैरालम्पिक में हिस्सा लेना शुरू किया था। तब से लेकर 2016 तक भारत के कुल 95 एथलीट्स 12 मेडल्स ही हासिल करने में सफल हो पाए। हालांकि, 2020 के टोक्यो पैरालम्पिक में भारत का 54 खिलाड़ियों का दल अब तक 17 पदक अपने नाम कर चुका है।
पांच सितम्बर तक चलने वाले पैरालम्पिक में अभी एक दिन बाकी है। इस दौरान भारत को कम से कम आठ इवेंट्स में मौका मिलेगा। इनमें कुल 12 खिलाड़ियों का हिस्सा लेना बाकी है, जो पदक के बड़े दावेदार हैं। इन इवेंट्स में एथलेटिक्स से लेकर बैडमिंटन और शूटिंग और तीरंदाजी की प्रतियोगिताएं शामिल हैं। इन खेलों में टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना पटेल ने तीसरे दिन रजत पदक जीतकर भारत का खाता खोला था, वहीं निषाद कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद में 2.06 मीटर की उछाल भरते हुए एशियाई रिकॉर्ड की बराबरी की और एक और रजत पदक भारत के नाम किया।
इसके बाद आया भारत के लिए पैरालम्पिक का सबसे बेहतर छठा दिन, जब सुबह ही अवनि लेखरा ने 10 मीटर शूटिंग में गोल्ड जीता और विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की। इसी दिन भाला फेंक में देवेंद्र झाझरिया ने रजत पदक जीता और सुंदर सिंह गुर्जर ने कांस्य पर कब्जा जमाया। पुरुषों के डिस्कस थ्रो इवेंट में योगेश कठुरिया ने चांदी जीत ली। दिन का दूसरा स्वर्ण पदक आया भाला फेंक से, जिसमें सुमित अंतिल ने अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोड़ा और 68.55 मीटर दूर भाला फेंक कर भारत की पदक तालिका को और ऊपर पहुंचा दिया यानी सोमवार को पांच मेडल्स जीतने के बाद भारत की पदक तालिका में कुल सात मेडल्स पहुंच गए।
इसके बाद मंगलवार का दिन भी भारत के लिए जबरदस्त रहा। पुरुषों के 10 मीटर पिस्टल शूटिंग इवेंट में सिंहराज अढाना ने कांस्य पदक जीता, जबकि पुरुषों की ऊंची कूद में मरियप्पन थंगावेलु ने रजत पदक पर कब्जा जमाया। यह पैरालम्पिक में उनका कुल दूसरा रजत पदक रहा। इसी इवेंट में थंगावेलु के साथ शरद कुमार भी शामिल रहे, जिन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया। इसी के साथ मंगलवार तक भारत के खाते में कुल 10 पदक आ गए।
19 वर्षीय अवनि लेखरा ने रचा इतिहास
भारत की गोल्डन गर्ल अवनि लेखरा ने महिलाओं की 50 मीटर राइफल की पी-3 एसएच-1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इस दौरान उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए ब्रांन्ज मेडल पर निशाना साधा। अवनि ने 445.9 का स्कोर करते हुए पदक पर कब्जा करने में सफल रहीं। टोक्यो पैरालम्पिक में अवनि का यह दूसरा पदक है। इससे पहले वह गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। वह भारत की पहली महिला एथलीट हैं जिन्होंने एक पैरालम्पिक में दो मेडल जीते हैं। उनसे पहले जोगिंदर सिंह सोढ़ी इन खेलों के एक ही चरण में कई पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे।
अवनि लेखरा ने इससे पहले इसी पैरालम्पिक में 30 अगस्त को 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच-1 स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था। अवनि ने 21 निशानेबाजों में सातवें स्थान पर रहकर फाइनल में क्वालीफाई किया था। अवनि ने स्वर्ण पदक मुकाबले में 60 सीरीज के छह शॉट के बाद 621.7 का स्कोर बनाया जो शीर्ष आठ निशानेबाजों ने सर्वश्रेष्ठ था।  वहीं कांस्य पदक जीतने के बाद अवनि लेखरा ने कहा, मुझे बहुत खुशी हो रही है। इसपर विश्वास नहीं हो रहा है। पूरे भारत का बहुत सपोर्ट रहा है। पूरी भारतीय टीम, कोच और स्टाफ  की आभारी हूं। 
हरविंदर सिंह ने कांस्य जीतकर रचा इतिहास
हरविंदर सिंह ने पैरालम्पिक खेलों में इतिहास रच दिया है। उन्होंने भारत को पैरा तीरंदाजी में पहला पदक दिलाया है। हरविंदर ने टोक्यो में जारी पैरालम्पिक खेलों के 10वें दिन तीरंदाजी में देश के लिए पहला पदक जीता। उन्होंने पुरुषों के व्यक्तिगत रिकर्व में कांस्य पदक अपने नाम किया। हरविंदर ने कांस्य पदक (प्लेऑफ) मुकाबले में कोरियाई खिलाड़ी को शूटऑफ में 6-5 से हराया। उन्होंने शूटऑफ में सटीक निशाने के साथ 10 का स्कोर किया और कोरिया के किम मिन सु को शिकस्त दी। 

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