जी. साथियान ने जीता टेबल टेनिस का पहला राष्ट्रीय खिताब

फाइनल में शरथ कमल को हराया
खेलपथ प्रतिनिधि
पंचकूला।
भारतीय टेबल टेनिस स्टार जी. साथियान ने 82वीं सीनियर नेशनल टेबल टेनिस चैम्पियनशिप में शरथ कमल को 4-2 से हराकर पहली बार राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किया। उन्होंने खिताबी मुकाबले में नौ बार के चैम्पियन शरथ को 11-6, 11-7, 10-12, 7-11, 11-8, 11-8 से हराया। साथियान को खिताबी जीत के लिए दो लाख 50 हजार रुपये की इनामी राशि मिली।
राष्ट्रीय चैम्पियन बनते ही साथियान अपने कोच एस. रमन के गले लगकर रोने लगे। चार बार के राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके रमन की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। दरअसल यह रमन ही हैं जिन्होंने साथियान के लिए पिछले कुछ वर्षों में कोच की ही नहीं बल्कि पिता की भूमिका भी निभाई है। पांच वर्ष पहले ही साथियान के पिता ज्ञानशेखरन की कैंसर से मृत्यु हो गई थी। 
ज्ञानशेखर अपने बेटे को टेबल टेनिस में सफल होते देखना चाहते थे, लेकिन उनके सामने सथियन राष्ट्रीय चैंपियन तक नहीं बने।
साथियान ने पिता की मृत्यु के बाद अपनी दो बहनों में से एक की शादी की और वह इस वक्त मां का सहारा बने हुए हैं। रमन खुलासा करते हैं सथियन के पिता सेवानिवृति के कुछ समय बाद ही कैंसर का शिकार हो गए और दो माह में उनकी मृत्यु हो गई। 
साथियन उस वक्त टूट सा गया था, लेकिन यहां से उसने अपने को टेबल टेनिस में झोंक दिया। तभी वह उसे हमेशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झंडे गाडने के लिए प्रेरित करते रहे। यही कारण है कि इस राष्ट्रीय खिताब को जीतकर वह भावुक हो गए और साथियान भी अपने पिता को यादकर रो पड़े। रमन के मुताबिक साथियान ने इस खिताब को अपने पिता को समर्पित किया है।
खिताब जीतने के बाद कहा, 'तीसरी बार में मैं भाग्यशाली रहा। मेरे कंधे से बड़ा बोझ उतर गया। यह अच्छा मुकाबला था और वह जीत का हकदार था।' शरत ने हार के लिए पांचवें गेम में एकाग्रता गंवाने को जिम्मेदार ठहराया जबकि वह 8-6 से आगे चल रहे थे। उन्होंने कहा, 'उस समय दो बड़ी गलतियों का खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा। लेकिन साथियान ने तीसरे गेम में मुझे वापसी का मौका दिया। यह खेल का हिस्सा है। मुझे उसके लिए खुशी है।'

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