ओलम्पिक न हुए तो...।

80 फीसदी जापानी नहीं चाहते कि ओलम्पिक खेल हों

श्रीप्रकाश शुक्ला

जापान मुश्किलों का सबसे बड़ा लड़ाका है। 57 साल पहले वह खेलों के महाकुम्भ ओलम्पिक का शानदार आयोजन कर दुनिया को यह साबित कर चुका है। कोरोना संक्रमण से जहां दुनिया हलाकान है, हर देश की आर्थिक स्थिति चरमरा सी गई है, ऐसे नाजुक दौर में भी जापान बहुत खर्चीले ओलम्पिक खेलों के आयोजन को तैयार है। यदि ओलम्पिक न हुए तो मेजबान जापान को 3.15 लाख करोड़ का नुकसान होगा। जानकर ताज्जुब होगा कि 80 फीसदी जापानी नहीं चाहते कि ओलम्पिक खेल हों। जापान में इस साल ओलम्पिक खेल 23 जुलाई से आठ अगस्त तक होने हैं।

अतीत पर गौर करें तो जापान ने हमेशा मुश्किलों को जीता है। दैवीय प्रकोपों के बावजूद उसने अपने आपको अनगिनत बार सम्हाला है। जापान ओलम्पिक खेलों में एशिया महाद्वीप से 1964 में पहली बार मेजबान बना था। 10 अक्टूबर, 1964 से शुरू हुए उन खेलों में 93 देशों के 5,133 एथलीटों ने 20 खेल प्रतियोगिताओं में 163 आयोजनों में अपनी असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया था। तब मेजबान जापान ने युद्ध के बाद के बुनियादी ढांचे में नाटकीय विकास का ऐसा परिदृश्य पेश किया था कि दुनिया हैरत में पड़ गई थी। उसी दौर में वहां मेट्रो पॉलिटन एक्सप्रेस वे और टोकेडो शिंकानसेन रेलवे (बुलेट ट्रेन) का आगाज भी शामिल है। जापानी इतने मेहनती हैं कि वे अपने मुल्क के आर्थिक विकास को कभी थमने नहीं देते।  

जापान में हाल ही हुए पब्लिक ओपिनियन पोल पर यकीन करें तो  80 प्रतिशत से ज्यादा जापानी नागरिक चाहते हैं कि इस साल टोक्यो ओलम्पिक हों। यदि यह खेल रद्द हुए तो इससे जापानी इकोनॉमी को बड़ा झटका लगेगा। मेजबान ही नहीं कई मेहमान देशों को भी भारी नुकसान होगा। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टोक्यो ओलम्पिक और पैरालम्पिक रद्द हुए तो 4.5 ट्रिलियन येन (करीब 3.15 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान होगा। इसमें सरकार, आयोजन समिति, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, टूरिज्म सेक्टर, रिटेल आउटलेट को होने वाला नुकसान शामिल है। खेल न होने से करीब 42 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान पहले ही हो चुका है, क्योंकि इसके लिए तैयार स्पोर्ट्स सुविधाएं, इन्फ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव का खर्च बढ़ गया। इस घाटे को कवर करने के लिए आयोजक नए एडवरटाइजर तलाश रहे हैं। उन्होंने गेम्स का बीमा कराया है। इनके पोस्टपोन या कैंसिल होने पर 480 मिलियन डॉलर (करीब 3520 करोड़ रुपए) मिलेंगे।

आयोजकों ने ओलम्पिक की तैयारी परखने के लिए टेस्ट इवेंट भी कराए हैं। टोक्यो और योकोहामा में बेसबॉल मैच आयोजित किए जा चुके हैं। यद्यपि इसमें सीमित संख्या में ही दर्शकों को प्रवेश दिया गया था। दर्शकों के बीच एक-एक सीट खाली रखी गई थी। उन्हें मास्क पहनना अनिवार्य था। जगह-जगह सेनिटाइजर स्टेशन बनाए गए थे। आयोजकों के अनुसार, इन इवेंट का आयोजन सफल रहा था। अब अगले कुछ महीनों में टेस्ट इवेंट का आयोजन पहले हो चुके टूर्नामेंट से सबक लेकर किया जाएगा।

इन ओलम्पिक खेलों की लागत पहले 25 बिलियन डॉलर (करीब 1.82 लाख करोड़ रुपये) थी। कोरोना के कारण तारीख आगे बढ़ने से लागत 2.8 बिलियन डॉलर (करीब 20 हजार 450 करोड़ रुपये) और बढ़ गई। इसमें वेन्यू से जुड़ा खर्च सबसे ज्यादा है। गेम्स के लिए आयोजकों ने 19 नए वेन्यू बनाए हैं, जिसमें 10 अस्थाई हैं वहीं, 18 रिनोवेट हुए हैं।

जापान के खिलाड़ी इस विवाद से दूर रहना चाहते हैं कि गेम्स आयोजित किए जाएं या नहीं। उनका मानना है कि यह राजनीतिक फैसला है, जो जल्द ले लिया जाना चाहिए। खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा गेम्स के आयोजन को लेकर चल रही अनिश्चितता का है। उनका कहना है कि अगर गेम्स इस साल जुलाई में होते हैं तो वे उसके हिसाब से तैयारी करेंगे। अगर नहीं होंगे तो तैयारी का तरीका बदल जाएगा। वहीं, फैंस की भी गेम्स की सुरक्षा को लेकर अलग-अलग राय है। कुछ फैंस इवेंट देखने के लिए जाना चाहते हैं। उनका मानना है कि यह जिंदगी में एक बार मिलने वाला मौका है। वे जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ जाना चाहते हैं। कुछ फैंस रिस्क नहीं लेना चाहते।

आयोजकों ने गेम्स के टेस्ट इवेंट को एक महीने के लिए आगे बढ़ा दिया है। पहले ये मार्च में होने थे। अब अप्रैल में शुरू होंगे। फाइनल आर्टिस्टिक स्वीमिंग क्वालीफायर 4 से 7 मार्च तक होने थे। जापान में इमरजेंसी के कारण ट्रैवल बैन को देखते हुए अब ये एक से 4 मई तक कराए जाएंगे। टोक्यो ओलम्पिक और पैरालम्पिक खेलों के लिए शुरुआती 18 टेस्ट इवेंट अब 3 से 4 अप्रैल तक होंगे। इसमें ह्वीलचेयर रग्बी भी शामिल है। ये इवेंट्स योयोगी नेशनल स्टेडियम में होंगे। इसके बाद 18 से 23 अप्रैल तक फिना डाइविंग वर्ल्ड कप होगा। यह टोक्यो एथलेटिक्स सेंटर में होगा। यह भी ओलम्पिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट है।     

 

 

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