टीम इंडिया में समस्या चोट की नहीं, फिटनेस की है

हमारा फिटनेस सिस्टम ही दशकों पीछे
मुम्बई।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खिलाड़ियों की चोट ने लोगों को असमंजस में डाला, लेकिन यह चिंताजनक नहीं है, जैसा दिख रहा है। सभी चोट खराब फिटनेस मैनेजमेंट के कारण नहीं हैं। पहले ईशांत शर्मा और रोहित शर्मा पर आते हैं। दोनों दौरे के पहले से चोटिल थे। ईशांत फिट थे, लेकिन गेंदबाजी के लिए फिट नहीं थे। फिटनेस दो तरह की हाेती है। मैच फिटनेस और सामान्य फिटनेस।
इशांत टेस्ट में 25-30 ओवर फेंकने के लिए फिट नहीं थे। वे मुश्ताक अली ट्रॉफी में दिल्ली की ओर से खेल रहे हैं और पुरानी लय में आ रहे हैं। लेकिन रोहित को लेकर असमंजस की स्थिति बनी। यह रहस्य अब तक खत्म नहीं हुआ है। उनका केस फिटनेस की समस्या से आगे का है, क्योंकि हैमस्ट्रिंग ओवरलोड या ओवर यूज के कारण होती है। शमी, उमेश, सैनी, हनुमा विहारी, अश्विन, जडेजा, बुमराह और लोकेश राहुल चोटिल हुए। इनमें से शमी, जडेजा और राहुल को चोट गेंद लगने के कारण हुई। यह किसी के साथ भी हो सकता है। यह समस्या नहीं है। उमेश, सैनी, विहारी, बुमराह और अश्विन की चोट चिंता वाली बात है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह समस्या थकान की वजह से होती है। खिलाड़ी तीनों फॉर्मेट में खेल रहे हैं।
हर फॉर्मेट के लिहाज से तैयारी भी अलग होती है। टेस्ट में आपके एंड्योरेंस का टेस्ट होता है। ये खिलाड़ी चार महीने बिना खेले और बिना प्रैक्टिस के IPL खेलने गए। इसके बाद फिर क्वारेंटाइन में रहने के बाद ऑस्ट्रेलिया में खेलने उतरे। बायो बबल ने खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर परेशान किया, क्योंकि खिलाड़ियों को कमरे से निकलने की इजाजत नहीं थी।
ऑस्ट्रेलिया में नियम बेहद कड़े थे। होटल में रहने के कारण खिलाड़ी खुद को तैयार नहीं कर सके। उदाहरण के लिए विहारी प्लेइंग-11 में जगह बनाने के लिए आश्वस्त नहीं थे और इस कारण दबाव में थे। खिलाड़ियों ने खुद पर दबाव बना लिया। इससे कमजोर टिशू पर प्रभाव पड़ता है, इस कारण काफी लोग चोटिल होते हैं। खेल में मानसिक तनाव समय के साथ बढ़ता जाता है।
अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकतर इंजरी को मैनेज किया जा सकता है। लेकिन मानसिक तनाव जो बायो बबल के कारण लंबा हो गया, इसने अधिक प्रभाव डाला। भारत का वर्कलोड मैनेजमेंट स्ट्रक्चर ठीक नहीं है। नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) का उपयोग रिहैब के लिए किया जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार हमारा फिटनेस मैनेजमेंट ऑस्ट्रेलिया से दो और इंग्लैंड से एक दशक पीछे है। NCA एक दशक से हाई परफॉर्मेंस सेंटर बनने का इंतजार कर रहा है। यहां वैज्ञानिक सुविधाएं होती हैं। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका। इस दौरे की चोट हमारे लिए आंख खुलने की तरह है। अब पूरी तरह से वर्कलोड और फिटनेस मैनेजमेंट की जरूरत है।

रिलेटेड पोस्ट्स