राजनीतिक-प्रशासनिक दिलासा का दंश झेलता लव वर्मा

दिव्यांग भारतीय क्रिकेटर रोजगार के अभाव में परेशान

खेलपथ प्रतिनिधि

सोनभद्र। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निःशक्तों को दिव्यांग शब्द देकर जो उम्मीद जगाई थी वह राजनीतिक-प्रशासनिक दिलासा का दंश झेलते-झेलते इस दशा को पहुंच चुकी है कि उस पर सिर्फ तरस आने लगा है। उत्तर प्रदेश के एक दिव्यांग भारतीय क्रिकेटर को अब तक मदद तो नहीं मिली अलबत्ता उसे फुटबाल जरूर बना दिया गया है। भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के उप कप्तान अनपरा सोनभद्र निवासी लव वर्मा हर किसी से मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन इन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।

लव वर्मा की उपलब्धियां बेमिसाल हैं। लव देश के लिए आठ अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिताओं में अपनी उपयोगिता दिखा चुके हैं लेकिन भारत को एशिया कप दिलाने वाले इस दमदार क्रिकेटर की सुध लेने वाला कोई नहीं है। लव पिछले लगभग छह वर्षों से रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। वह जहां भी जाते हैं इन्हें आश्वासन का झुनझुना थमा दिया जाता है। फिलवक्त यह क्रिकेटर अनपरा क्षेत्र में छोटे-छोटे बच्चों को प्रशिक्षण देकर बमुश्किल अपना गुजारा चला रहा है।

लव वर्मा अब तक जनपद के जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, सांसद, सदर विधायक, ओबरा विधायक, दुद्धी विधायक, जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग सहित सभी को अपनी उपलब्धियों के पत्र देकर नौकरी की फरियाद कर चुका है। बताते हैं कि सांसद, सदर विधायक, ओबरा विधायक, दुद्धी विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है, जिसका अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। कई माह से लव वर्मा की परेशानियों को देख रहे अपना दल के प्रदेश उपाध्यक्ष आनंद पटेल दयालु ने भी अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मिर्जापुर सांसद अनुप्रिया पटेल को लव की परेशानियों से सम्बन्धित पत्र लिखा है। अनुप्रिया पटेल ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए केन्दीय खेल राज्यमंत्री किरेन रिजिजू को भी पत्र लिखा है लेकिन वहां से भी किसी तरह का जवाब नहीं मिला है। आपको बता दें कि कुछ समय पूर्व ही लव वर्मा को उनके खेल के प्रति समर्पित रहने के लिए सवर्ण भारत राष्ट्रीय खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

तीन दिसम्बर को सम्पूर्ण दुनिया में विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। पहले इसे विकलांग शब्द से सम्बोधित किया जाता था लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे " दिव्यांग " शब्द दिया जिसका अर्थ दिव्य शक्ति, अद्भुत शक्ति है। विश्व दिव्यांग दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देना और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक जीवन में दिव्यांग लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। अफसोस की बात है कि अधिकतर लोगों को तो इस बात की भी जानकारी नहीं होती कि उनके घर के आस-पास कितने दिव्यांग रहते हैं। उन्हें समाज में बराबरी का अधिकार मिल रहा है या नहीं। सरकारी योजनाएं कुछ भी हों, सच्चाई यह है कि भारत में दिव्यांग आज भी अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए दूसरों पर आश्रित हैं। कहने को दिव्यांग इस समाज के विशेष व्यक्ति हैं लेकिन इन्हें सामान्य व्यक्तियों से अलग रखा जाता है। इन्हें अपने अधिकारों के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ती है।

लव वर्मा बताते हैं कि जनपद सोनभद्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत उन्हें निखारने की है। वह कहते हैं कि सामान्य खिलाड़ी देश के लिए खेलता है तो उसे तमाम तरह की सुविधाओं सहित बड़े पद पर सेवा का अवसर प्रदान किया जाता है किंतु दिव्यांग खिलाड़ियों के सौतेला व्यवहार होता है। लव कहते हैं कि जब हमारे भीतर दिव्य शक्ति, अद्भुत शक्ति है एवं समाज के हम विशेष व्यक्ति हैं तो हमारे साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों हो रहा है, हमें भी सामान्य खिलाड़ियों की तरह तमाम सुविधाएं क्यों नहीं मिलतीं। देखा जाए तो जनपद सोनभद्र में कई बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं किंतु ये दिव्यांग खिलाड़ियों के जीविकोपार्जन के लिए उन्हें कुछ भी उपलब्ध नहीं करातीं। दिव्यांग खिलाड़ी भी देश के लिए ही खेलते हैं उन्हें जीविकोपार्जन के के लिए क्यों भटकना पड़ रहा है।

लव वर्मा ने उत्तर प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि वह दिव्यांग नीति की नियमावली में बदलाव लाकर दिव्यांग क्रिकेटरों के भविष्य को भी आगे लाये जिससे कि दिव्यांग क्रिकेटर भी जीविकोपार्जन का साधन पाकर पूरे तन-मन के साथ देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। लव कहते हैं कि रोजगार के अभाव में खेल बहुत प्रभावित हो रहा है। अगर रोजगार जल्द से जल्द मिल जाता तो पूरे तन-मन के साथ अपने खेल पर ज्यादा ध्यान दे पाते। उन्होंने बताया कि जनपद के जनप्रतिनिधियों ने पूरा विश्वास दिलाया है कि वे हरसम्भव मदद करेंगे और इस समस्या को सरकार तक अवगत कराएंगे। लव वर्मा दिसम्बर-जनवरी में दुबई में होने वाले दिव्यांग प्रीमियर लीग में भी प्रतिभाग करेंगे।

अब देखना यह है कि छह  वर्षों से रोजगार की उम्मीद में जिन्दा लव वर्मा की कोई सुध लेता भी या नहीं। सितम्बर महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सामान्य खिलाड़ियों की भांति दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने को अपनी स्वीकृति दी है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सरकारी तंत्र इस वर्ग की मदद के मामले में कतई संजीदा नहीं है।

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