विदेशी प्रशिक्षकों ने प्रतिबंधित दवाएं खिलाकर खिलाड़ियों को खराब किया

संसद की स्थायी समिति को खेल संघ पदाधिकारी ने दिया टका सा जवाब

खेलपथ प्रतिनिधि

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण को लेकर भले ही हमारे देश में खेल गतिविधियां रफ्तार न पकड़ रही हों लेकिन संसद की 30 सदस्यीय स्थायी समिति खेल संघ पदाधिकारियों से टोक्यो ओलम्पिक की तैयारियों का जायजा लेकर यह जान रही है कि अगले साल भारतीय खिलाड़ी पदकों की संख्या दोहरे अंक में पहुंचा पाएंगे या नहीं? विदेशी प्रशिक्षकों के सवाल पर एक खेल संघ पदाधिकारी का जवाब खेल मंत्रालय की आंखें खोलने वाला है।

गत दिवस संसद की स्थायी समिति ने टोक्यो ओलम्पिक की तैयारियों का जायजा लेने के लिए खेल मंत्रालय और साई के अधिकारियों के अलावा पांच राष्ट्रीय खेल संघों हॉकी, वेटलिफ्टिंग, शूटिंग, कुश्ती, बॉक्सिंग के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया। राज्यसभा सांसद विनय प्रभाकर सहस्रबुद्धे की अगुआई वाली 30 सांसदों की समिति के समक्ष खेल मंत्रालय ने टोक्यो ओलम्पिक में दोहरे अंकों में पदक आने की सम्भावना जताई जबकि एक महासंघ के पदाधिकारी ने अपनी बेबाक बातचीत से समिति को ही हक्का-बक्का कर दिया।

दरअसल, समिति ने जब एक खेल संघ पदाधिकारी से पूछा कि पदक के दावेदार होने के बावजूद उनके पास कोई विदेशी कोच क्यों नहीं है? इस पर खेल संघ के पदाधिकारी ने कहा कि उन्हें विदेशी कोच की जरूरत नहीं है। विदेशी कोचों ने अब तक प्रतिबंधित दवाएं खिलाकर खिलाड़ियों को खराब करने का ही काम किया है। जो भी हो इस संघ पदाधिकारी की तारीफ करनी होगी कि उसने कम से कम सांसदों की समिति को उस सच से रूबरू कराया जिसे लेकर खेल मंत्रालय का करोड़ों रुपया हर साल विदेशी प्रशिक्षकों पर जाया होता है। समिति ने कहा कि दीपावली के बाद खेल संघों को तैयारियों के प्रस्तुतीकरण के लिए बुलाया जाएगा।

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