उजड़े परिवार में एका कराने का महती कार्य करेगा भारतीय तीरंदाजी संघ

भारतीय तीरंदाजी महासंघ के महासचिव प्रमोद चांदुरकर ने दिया भरोसा

खेलपथ प्रतिनिधि

ग्वालियर। मैं यह नहीं कह सकता कि मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी, जबलपुर के मुख्य प्रशिक्षक रिछपाल सिंह सलारिया और उनकी पत्नी के बीच चल रही अनबन को दूर कर पाएंगे या नहीं लेकिन हम चाहते हैं कि दोनों को दिल्ली बुलाकर भारतीय तीरंदाजी महासंघ के अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा के सामने उनकी समस्याओं से जरूर अवगत हों। विश्वास है कि हमारा संगठन दोनों के बीच एका कराने में जरूर सफल होगा। यह कहना है भारतीय तीरंदाजी महासंघ के महासचिव प्रमोद चांदुरकर का।

खेलपथ से बातचीत में महासचिव प्रमोद चांदुरकर ने बताया कि हमारी रिछपाल सिंह सलारिया और उनकी पत्नी से प्रायः बात होती रहती है। दोनों अपनी-अपनी परेशानियां बताते हैं। यह संगठन का मामला न होकर पारिवारिक मामला है। मुझे भरोसा है कि संगठन एक-डेढ़ महीने में इस मामले को अवश्य सुलझा लेगा। ज्ञातव्य है कि तीरंदाजी प्रशिक्षक रिछपाल सिंह सलारिया और उनकी पत्नी के बीच लम्बे समय से आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है। इन दोनों के बीच जम्मू की अदालत में वाद भी चल रहे हैं। अदालत जाने की पहल रिछपाल सिंह ने ही की थी। प्रशिक्षक रिछपाल मीडिया से जहां इस मामले को पारिवारिक मसला करार देते हैं वहीं अपनी जवाबदेही से भी पल्ला झाड़ने से बाज नहीं आ रहे।

रिछपाल की पत्नी का कहना है कि यदि उनके पति ने पारिवारिक जवाबदेहियों को समझा होता तो सात माह से पत्नी-बच्चों से दूर कैसे रह सकते थे। मुझसे बात करते या नहीं करते कम से कम एक अच्छे पिता होने के नाते बेटे और बेटी से बात तो जरूर करते। ज्ञातव्य है कि प्रशिक्षक रिछपाल और खेल एवं युवा कल्याण विभाग के बीच 2016 में चार साल का अनुबंध हुआ था, जिसकी अवधि 28 फरवरी को ही समाप्त हो चुकी है, ऐसे में रिछपाल के जबलपुर में रुके रहने का औचित्य समझ से बाहर है। मोहनी सलारिया का कहना है कि उन्होंने अपनी परेशानी से संचालनालय खेल भोपाल को पत्र के माध्यम से जरूर अवगत कराया लेकिन मीडिया से उन्होंने अपने पति के बारे में कोई बात नहीं की।

गौरतलब है कि पति-पत्नी के बीच चल रही अनबन और आरोप-प्रत्यारोप का संज्ञान लेते हुए भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष अर्जुन मुण्डा ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 11 जुलाई, 2020 को एक पत्र लिखा था, जिस पर क्या कार्रवाई हुई उससे भारतीय तीरंदाजी संघ आज भी अनभिज्ञ है। प्रशिक्षक रिछपाल को लेकर मध्य प्रदेश तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष और पूर्व विधायक घनश्याम शर्मा ने भी मुख्यमंत्री, खेल मंत्री और संचालक खेल को पत्र लिखा है लेकिन उनके पत्र को भी रद्दी को टोकरी में डाल दिया गया। इस गम्भीर मामले में खेल एवं युवा कल्याण विभाग की कार्यप्रणाली समझ से परे है।

इस संदर्भ में मध्य प्रदेश तीरंदाजी संघ की सचिव प्रीति जैन भी पशोपेश में हैं। उनका कहना है कि भारतीय तीरंदाजी संघ के साथ ही मध्य प्रदेश तीरंदाजी संघ ने अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश की है लेकिन खेल संचालकों के बार-बार हुए बदलाव तथा सरकारी सिस्टम की सुस्ती से मामला बिगड़ता चला गया। प्रीति जैन की जहां तक बात है वह जबलपुर में ही रहती हैं, ऐसे में उन्हें इस मामले से जुड़ी हर बात मालूम होगी इससे इंकार नहीं किया जा सकता। दुखद तो यह है कि रिछपाल जिस मामले को अपना पारिवारिक मामला मानते हैं, उसे वह अदालत तक ले जाने के भी कसूरवार हैं।

संचालनालय खेल, मध्य प्रदेश रिछपाल सिंह सलारिया और उनकी पत्नी के बीच सामंजस्य बिठाने में जहां असफल रहा वहीं उसने प्रशिक्षक को क्लीन चिट देकर महिला अधिकारों का भी हनन किया है। जो भी हो मध्य प्रदेश तीरंदाजी संघ और भारतीय तीरंदाजी संघ यदि चाह लें तो इस मामले को चुटकी बजाते हल कर सकते हैं। संगठन में इतनी ताकत होती है कि वह चाहे तो उसकी मर्जी के खिलाफ न ही प्रशिक्षक देश में कहीं प्रशिक्षण दे सकता है और न ही खिलाड़ी किसी प्रतियोगिता में शिरकत कर सकता है। भारतीय तीरंदाजी महासंघ पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर या फिर कसूरवार को दोषी ठहराकर खेलों में एक नजीर जरूर स्थापित कर सकता है।    

 

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