बकरियां चराने वाला जीतू बना सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज

जन्म से नेपाली जीतू राय हैं भारतीय सेना के जवान

खेलपथ प्रतिनिधि
इंदौर।
जिस जीतू राय को आज दुनिया 'पिस्टल किंग' कहती है, जिन हाथों ने निशानेबाज़ी में बड़े-बड़े मेडल जीते हैं, 12 साल पहले तक वो हाथ नेपाल में एक छोटे से गाँव में मक्के और आलू की फ़सल बोता था। बकरियां चराता था और भैंसों के लिए चारे की व्यवस्था करता था। जन्म से नेपाली जीतू राय का शूटिंग से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। जीतू के पिता नेपाल के संखुवासभा जिले के रहने वाले थे और भारतीय सेना के गोरखा राइफल्स रेजीमेंट में थे। भारतीय सेना में नौकरी मिलने के बाद जीतू के पिता परिवार को नेपाल छोड़कर भारत आ गए थे। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया था। 
साल 2006 में जीतू राय ने अपने पिता को खो दिया। जीतू राय ब्रिटिश फ़ौज में भर्ती होना चाहते थे। गौरतलब है कि ब्रिटेन और भारत की सेना नेपाल के गोरखाओं को उनकी लड़ाका प्रवृत्ति की वजह से अपनी फौज में शामिल करती हैं। भारतीय फौज में गोरखाओं के लिए ​अलग से 'गोरखा रेजीमेंट' भी है। बात साल 2006-07 की है, जीतू राय ब्रिटिश फ़ौज में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन ब्रिटिश फौज के लिए रजिस्ट्रेशन में समय था। भारतीय सेना के कैंप में रजिस्ट्रेशन चालू था, जीतू राय ने भारतीय सेना में रजिस्ट्रेशन करवाया और उनका चयन भी हो गया।
जीतू राय की पोस्टिंग लखनऊ कैंटोनमेंट में हुई। जीतू राय को शूटिंग पसंद तो नहीं थी अलबत्ता उनका निशाना गजब का था। जीतू की प्रतिभा देख अधिकारियों ने उन्हें मऊ के आर्मी मार्कमेन यूनिट में भेजा। हालांकि, नायब सूबेदार जीतू को वहां लगातार दो साल फेल होने के बाद वापस लखनऊ भेज दिया गया। जीतू राय की जिंदगी में यहीं से रोमांचक मोड़ आया। उन्होंने अपनी हार को जीत में बदलने की ठानी और जिस निशानेबाज़ी को वो पसंद नहीं करते थे उसी में खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए जी -जान से जुट गए। भारतीय सेना में रहते हुए 2013 से जीतू राय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगे और एक साल के अंदर वह दुनिया भर में छा गए।
लखनऊ को अपना बेस बनाने वाले जीतू राय ने 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स में 50 मीटर पिस्टल वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। 2014 के एशियन गेम्स में भी भारत को पहला गोल्ड जीतू राय ने ही दिलाया। साल 2014 में ही जीतू राय ने शूटिंग में नौ दिन के अंदर तीन वर्ल्ड कप मेडल जीतकर रिकॉर्ड बना दिया। जिसमें 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड और 50 मीटर एयर पिस्टल में रजत शामिल है। हालांकि, जीतू राय का सपना एक बार फिर टूटा। वह 2016 के रियो ओलम्पिक में पदक जीतना चाहते थे। लेकिन उनका खाली हाथ देश लौटना काफी निराशाजनक रहा। जीतू राय ने हार नहीं मानी, 2018 में एक बार फिर वापसी की और इस साल मेक्सिको में हुए वर्ल्ड कप में कांस्य पदक जीता।
मजे की बात तो ये है कि जीतू राय के घरवालों को पता भी नहीं था कि उनका बेटा निशानेबाजी का शानदार खिलाड़ी बन चुका है और दुनिया भर में मेडल जीत रहा है। जब जीतू राय को भारत सरकार ने अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया तो उनकी मां दिल्ली आईं और उन्हें अपने बेटे की उप​लब्धियों के बारे में पता चला। शूटिंग के अलावा जीतू राय को वॉलीबॉल खेलना पसंद है और आमिर खान उनके पसंदीदा फिल्म स्टार हैं। जीतू राय आमिर की फिल्में खूब देखते हैं।

 

रिलेटेड पोस्ट्स