प्रवासी मजदूरों को अपनी बिल्डिंग देने को तैयार भूटिया

गरीबों की मदद में जुटे भारतीय फुटबॉलर

कोलकाता। भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मदद करने के लिए सिक्किम स्थित लुम्सेय, तडोंग में अपनी बिल्डिंग देने की पेशकश की है। ये प्रवासी मजदूर 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान अपने-अपने घरों को जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। देश में जारी 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण भूटिया भी इस समय पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में फंसे हुए हैं। भूटिया ने कहा, “यहां पर कई सारे प्रवासी श्रमिक हैं, जोकि सिक्किम में भी फंसे हुए हैं। सिक्किम में कोरोना वायरस के अब तक मामले सामने नहीं आए हैं। इसलिए मैंने अपनी बिल्डिंग श्रमिकों के लिए देने का फैसला किया है, जोकि अभी पूरी नहीं हुई है।” 

उन्होंने कहा, “मुझे कोलकाता से लौटना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण मैं यहां फंसा हुआ हूं। इसलिए मैं यहीं से सबकुछ संभाल रहा हूं। मेरे बिल्डिंग में करीब 100 लोग रह सकते हैं। यह पांच मंजिला है। इसमें पहले ही 10 श्रमिक रह रहे हैं और हम उन्हें भोजन मुहैया करा रहे है। हमने स्थानीय सरकार से मदद मांगी है।” 

पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि वो और उनका यूनाइटेड सिक्किम फुटबॉल क्लब (यूएसएफसी) भी बंगाल में श्रमिकों की मदद कर रहे हैं और उनको राशन मुहैया करा रहे हैं। 43 साल के भूटिया ने कहा, “हम स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर बातचीत कर रहे है। देखते हैं कि उनके लिए बंगाल में भी क्या कर सकते है।” पश्चिम बंगाल सरकार ने भी इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही को रोकने के लिए सभी जिला प्रशासनों को आदेश दिया है कि वे अस्थायी शेल्टर्स का प्रबंध करें और उसमें भोजन की भी व्यवस्था करें।

भारतीय फुटबॉलर्स ने भी बढ़ाए मदद के हाथ
भूटिया के अलावा भारतीय फुटबॉल टीम के खिलाड़ी अपने अपने इलाकों में इन जरूरतमंदों को मदद मुहैया कराने में जुटे हैं। इन खिलाड़ियों ने अपने इलाकों में वित्तीय मदद के अलावा शिविर लगाने और खाना जुटाने में अहम भूमिका निभायी है। वे इस महामारी से बचने के लिए सामाजिक दूरी के बारे में भी जागरूकता फैला रहे हैं। भारतीय कप्तान सुनील छेत्री विश्व संस्था फीफा और एशियाई फुटबॉल परिसंघ के कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए बने 'ब्रेक द चेन जागरूकता अभियान से जुड़े हैं। डिफेंडर प्रीतम कोटल, मिडफील्डर प्रणय हलदर और डिफेंडर प्रबीर दास ने पश्चिम बंगाल में जरूरतमंदों की मदद के लिए करीब चार लाख रुपये इकट्ठे किए हैं। 

प्रणय ने कहा, ''बैरकपुर मंगल पांडे फुटबॉल कोचिंग शिविर में काफी सारे बच्चे हैं जो रोज कमाकर खाते हैं। अब हालात थोड़े मुश्किल हो गये हैं और मैं इस समय उनकी मदद करने की कोशिश में जुटा हूं।'' वहीं यह मिडफील्डर अपने इलाके में कुछ अनाथों की देखभाल भी कर रहा है, उन्होंने कहा, ''मैं अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्टेशन पर रहने वालों और बाहर रहने वाले अन्य लोगों को बुनियादी चीजें बांट रहा हूं। 

इस महामारी से अब तक दुनिया भर में 34,000 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सात लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं। कोटल ने कहा, ''इस महामारी के बीच हम सभी को एकजुट होकर इससे लड़ने की जरूरत है। हमें मुख्यमंत्री द्वारा शुरू किए गए कोष में थोड़ा योगदान करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, ''हमें घर पर रहने की जरूरत है और भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए। उम्मीद है कि यह जल्द ही खत्म हो जाएगा।''

प्रबीर दास राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के लिए भी खेल चुके हैं। उन्होंने कहा, ''कोविड-19 काफी फैल चुका है और हम अब इसे हल्के में नहीं ले सकते। इन हालात में इससे लड़ने के लिए सामाजिक दूरी बनानी होगी।'' उन्होंने कहा, ''भारतीय होने के नाते, मेरी जिम्मेदारी है कि मैं सरकार का हाथ बटाऊं और मैंने ऐसा ही करने की कोशिश की।''

स्वास्थ्य संबंधित संकट के दौरान गरीबों की मदद के लिए 'प्लेयर्स फॉर ह्यूमैनिटी' नाम का ग्रुप भी बनाया हुआ है जिसे मौजूदा और पूर्व खिलाड़ियों ने मिलकर गया है, जिसमें मेहताब हुसैन, सैयद रहीम नबी, डेनसन देवदास, संदीप नंदी और देबब्रत रॉय मौजूद हैं। इसमें मौजूदा खिलाड़ियों में कोटल, हलदर, अरिंधम भट्टाचार्य, प्रबीर दास, सौविक चक्रवर्ती और देबजीत मजूमदार शामिल हैं। इन फुटबॉलरों ने पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री राहत कोष भी कुछ राशि का योगदान किया है।

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