टोक्यो ओलम्पिक पर संशय के बादल

तीन बार रद्द हो चुके हैं ओलम्पिक खेल
श्रीप्रकाश शुक्ला

जानलेवा कोरोना वायरस के चलते टोक्यो ओलंपिक 2020 पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ओलंपिक अधिकारी डिक पॉन्ड की मानें तो जुलाई में शुरू होने वाले खेलों के महाकुंभ से तीन माह पहले ही इस आयोजन के भविष्य का फैसला हो जाएगा। फिलहाल इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी किसी भी तरह का कोई फैसला लेने की स्थिति में नहीं है। मतलब साफ है कि 24 अप्रैल तक पर्दा उठ जाएगा कि क्या किसी बीमारी की वजह से पहली बार ओलंपिक जैसा बड़ा आयोजन रद्द होने जा रहा है। क्योंकि खराब हालातों में न तो ओलंपिक का समय बदला जाएगा और न ही इन्हें स्थगित किया जाएगा, बल्कि खेल रद्द कर दिए जाएंगे। 
चीन सहित विश्व के दूसरे देशों में मौजूदा स्थिति की बात करें तो हालात विस्फोटक हैं। संक्रमित मरीजों का इलाज भी हो रहा है, लेकिन ठीक होने वालों की संख्या बेहद कम है। यूरोप से लेकर अमेरिका और एशिया से लेकर अरब देशों तक इस जानलेवा वायरस ने अपनी दस्तक दे दी है। अगर हालात पर काबू नहीं पाए गए तो स्थिति अकल्पनीय होगी।
टोक्यो ओलंपिक की तरह 2016 में हुए रियो ओलंपिक में भी जीका वायरस का खतरा था। जब 2009 में रियो ने खेलों की मेजबानी हासिल की थी तो ब्राजील को उम्मीद नहीं थी कि उसे आर्थिक मंदी के दौर, बेरोजगारी और मच्छरों से होने वाले जीका वायरस, राजनीतिक संकट, बुनियादी ढांचे में रुकावट जैसी बाधाओं से जूझना होगा, जिसके बाद राष्ट्रपति दिल्मा रूसेफ पर महाभियोग चला दिया गया। इन सबने रियो की 2016 ओलिंपिक की मेजबानी की खुशी को खत्म कर दिया था। ओलिंपिक नौकायान और विंडसर्फिंग स्पर्धाओं के प्रतिस्पर्धियों को जहरीने पानी में भाग लेने का डर था, जो शहर की आधी जनसंख्या के सीवेज से भरा था। आज की ही तरह आठ साल पहले भी यही कयास लगाए जा रहे थे कि क्या इस वायरल के चलते ओलंपिक खेल रद्द हो जाएंगे, लेकिन इन चुनौतियां पर पार पाते हुए रियो में 5 से 21 अगस्त 2012 तक शानदार ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ था।
चीन के बाद अगर किसी बाहरी देश में कोरोनायरस के सबसे ज्यादा मरीज पाए गए हैं तो वह जापान ही है। कई एथलीट्स का कहना है कि हम चार साल तक इन खेलों का ही इंतजार करते हैं। दिन-रात एक कर ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतने का सपना देखते हैं। अगर समय से यह समस्या हल हो गई तो हमें बहुत खुशी होगी। दूसरी ओर टोक्यो ओलंपिक खेलों के आयोजनकर्ता, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी और इंटरनेशनल पैरालंपिक कमेटी के अधिकारी पूरी तरह सफल आयोजन के लिए आशांवित है। 2010 में वैंकूवर में हुए शीतकालीन ओलंपिक में भी महामारी का खतरा था। फिर उसे आगे बढ़ाया गया न तो मेजबानी करने वाले देश को इससे कोई दिक्कत हुई और न ही दुनिया भर के अन्य देशों के लिए यह बीमारी कोई विशेष समस्या बन पाई। ऐसे बदतर हालातों में यह उदाहरण टोक्यो ओलंपिक को रद्द न कर आगे बढ़ाने के लिए बेहतर होगा।
ओलंपिक रद्द होने पर कितनी कीमत चुकानी होगी?
युद्ध के अलावा किसी भी चीज के कारण अब तक कोई भी ओलंपिक को रद्द या स्थगित नहीं किया गया है। एक वायरस के लिए ऐसा करना अभूतपूर्व होगा। हालांकि, कोरोनावायरस जैसी फैलने वाली बीमारी टोक्यो 2020 के लिए बीमा पॉलिसी का हिस्सा होगा। इस ओलंपिक का कुल बजट 26 बिलियन डॉलर (18,62,69,20,00,000.00 भारतीय रुपये) है। बीबीसी की एक रिपोर्ट की मानें तो आमतौर पर जब ओलंपिक जैसे बड़े इवेंट के लिए पॉलिसी खरीदते हैं तो इस तरह फैलने वाली बीमारियों को इससे बाहर रखा जाता है। सैद्धांतिक रूप से, अगर कोरोनोवायरस के कारण टोक्यो खेलों से किसी भी चीनी एथलीटों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई तो यह भी सही नहीं होगा। खेलों के बीमा के लिए आयोजकों ने कितना भुगतान किया होगा, इस बारे में पूछे जाने पर एक विशेषज्ञ ने कहा कि, 'एक दर इस बात पर निर्भर करेगी कि ओलंपिक कहां हैं, लेकिन आप वास्तविक बीमा राशि पर 1.5% से लेकर शायद 3% तक कुछ भी भुगतान कर सकते हैं।' हालांकि आयोजक आमतौर पर टिकट बिक्री से खोए हुए राजस्व को कवर करने के लिए बीमा करेंगे, लेकिन आईओसी ने प्रायोजन और प्रसारण राजस्व को कवर करने के लिए अपना बीमा भी लिया हो सकता है।
1896 में ग्रीस की राजधानी एथेंस से शुरू हुए ओलंपिक खेल अब तक 30 बार हो चुके हैं। हालांकि इस दौरान तीन बार पूरी तैयारी होने के बावजूद ओलंपिक को रद्द भी करना पड़ा। विश्व युद्ध छिड़ जाने के कारण 1916, 1940 और 1944 में ओलंपिक खेल आयोजित नहीं कराए गए। तैयारी के बावजूद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को इन खेलों का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा।
प्रथम विश्व युद्ध छिड़ने के कारण 1916 में बर्लिन में होने वाले ओलंपिक खेल रद्द कर दिए गए। 1940 में जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक खेलों का आयोजन होना था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के कारण ये खेल नहीं कराए गए। दूसरा विश्व युद्ध 1939 से 1945 यानी छह वर्षों तक चला, जिसकी वजह से दो बार ओलंपिक खेलों को स्थगित करना पड़ा। 1944 में लंदन में होने वाले ओलंपिक खेल इसी के चलते रद्द किए गए। फिर साल 1948 में लंदन को मेजबानी का मौका मिला। जर्मनी और जापान को खेलों से अलग रखा गया था। वहीं ओलिंपिक समिति से मान्यता न मिलने के कारण सोवियत रूस के खिलाड़ियों ने हिस्सा नहीं लिया।
वर्ष जगह
1916 ओलंपिक, बर्लिन, जर्मनी
1940 ओलंपिक, टोक्यो, जापान
1944 ओलंपिक, लंदन, इंग्लैंड
ओलंपिक का पहला आधिकारिक आयोजन 776 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि आखिरी बार इसका आयोजन 394 ईसा में हुआ। प्राचीन काल में शांति के समय योद्धाओं के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ खेलों का विकास हुआ। दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे। इनमें से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले योद्धा प्रतिस्पर्धी खेलों में अपना दमखम दिखाते थे। इसके बाद रोम के सम्राट थियोडोसिस ने इसे मूर्ति पूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंधित कर दिया था।
1896 में पहली बार आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन ग्रीस की राजधानी एथेंस में हुआ। 6 से 15 अप्रैल 1896 के दौरान यूनान की राजधानी एथेंस में हुए इन खेलों में 14 देशों के 241 खिलाड़ियों ने इन खेलों में भाग लिया। 9 खेलों के 43 इवेंट इस ओलंपिक में हुए। 43 प्रतियोगिताओं में पहली बार मैराथन दौड़ को भी शामिल किया गया। ज्यादातर मुकाबलों में मेजबान देश के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। प्रमुख मुक़ाबलों में शामिल थे- टेनिस, ट्रैक एंड फील्ड, भारोत्तोलन, साइकिलिंग, कुश्ती, तीरंदाजी, तैराकी और जिम्नास्टिक। क्रिकेट और फुटबॉल प्रतियोगिताएं इसलिए रद्द कर दीं गईं क्योंकि इन मुकाबलों में हिस्सा लेने वाली टीमों की कमी थी। इन खेलों की कुल लागत 37,40,000 ड्रैकमस (यूनानी करेंसी) की थी।

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