तारक पारकर ने दिल्ली में बुलंद की दद्दा को भारत रत्न देने की आवाज

मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम में हुआ जांबाज का भव्य स्वागत

खेलपथ प्रतिनिधि

नई दिल्ली। हिम्मत बंदे मदद खुदा। इस बात को चरितार्थ किया है मध्य प्रदेश के लाल तारक कुमार पारकर ने। जांबाज तारक कुमार पारकर ने खरगौन से दिल्ली तक की लगभग साढ़े 12 सौ किलोमीटर की लम्बी पदयात्रा में हर मुश्किल का हंसते हुए सामना किया है। वह कालजयी हाकी खिलाड़ी दद्दा ध्यान चंद को भारत रत्न दिलाने दिल्ली के मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम पहुंचे जहां उनका अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों द्वारा भव्य स्वागत किया गया।

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिलाने के उद्देश्य के साथ 63 बरस के तारक पारकर 15 दिसम्बर, 2019 को खरगौन (मध्य प्रदेश) से शुरू पदयात्रा को पूरी कर गुरुवार 13 फरवरी को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम पहुंचे। तारक कुमार पारकर ने अपनी 1250 किलोमीटर लम्बी यात्रा पूरी करने के बाद दद्दा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। बुधवार रात वह बदरपुर पहुंचे और वहां से गुरूवार को नेशनल स्टेडियम पहुंचे।

युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहने का संदेश देने वाले तारक 1978 में नेपाल की 1600 किलोमीटर पैदल यात्रा सहित अब तक देश भर में 30 हजार किलोमीटर से अधिक की पदयात्राएं कर चुके हैं। तारक का दिल्ली तक की इस पदयात्रा में जगह-जगह स्वागत और सम्मान किया गया। मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम में पारकर के साथ ध्यानचंद के पुत्र और पूर्व ओलम्पियन अशोक कुमार सिंह, भारत के पूर्व कोच एम.के. कौशिक, रोमियो जेम्स, अब्दुल अजीज, क्रिकेटर सुरेन्दर खन्ना, पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजेश चौहान, अजीत सिंह, राष्ट्रीय खेल समीक्षक श्रीप्रकाश शुक्ला, रघुनंदन प्रसाद, मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम की प्रशासक अमर ज्योति, लोकनायक जयप्रकाश अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विकास केन्द्र के राष्ट्रीय महासचिव अभय सिन्हा, विकास कुमार पासवान, टिल्लन रिछारिया, गौरव कुमार सिंह सहित बड़ी संख्या में खेलप्रेमी मौजूद थे।

तीन साल पहले पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त हुए तारक पिछले करीब चार दशक से देश भर में युवाओं को 'नशा छोड़ें, खेलों से जुड़ें तथा पैदल चलें, स्वस्थ रहें' का संदेश दे रहे हैं। उन्होंने अपने इस उद्देश्य के लिए कहा कि जब 1978 में उन्होंने अपनी 1600 किलोमीटर की पदयात्रा की थी तब दद्दा ने उनका हौसला बढ़ाया था। बकौल तारक पारकर जब दद्दा से झांसी में मिला तो दो दिन तक उनके घर पर रहने के साथ उनका मुरीद हो गया। खरगौन से दिल्ली तक की अपनी पदयात्रा में तारक पारकर ने प्रतिदिन 40 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की। तारक कुमार पारकर को उम्मीद है कि केन्द्र सरकार ध्यान चंद को जल्द भारत रत्न से नवाजेगी। यदि ऐसा नहीं होता तो वह खरगौन में प्रतिदिन एक घंटे धरना देंगे। आज के समय में जब लोग अपनों की मदद करने से भी जी चुराते हैं ऐसे समय में तारक पारकर ने दद्दा को भारत रत्न दिलाने का संकल्प पूरा कर समाज के सामने एक नजीर पेश की है।

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