प्रो लीग में से होगी ओलंपिक की तैयारीः आकाशदीप

खेलपथ प्रतिनिधि

नई दिल्ली। भारत के सबसे अनुभवी और भरोसेमंद स्ट्राइकर आकाशदीप सिंह कहते हैं कि नीदरलैंड सरीखी दुनिया की तीसरे नंबर की हॉकी टीम के खिलाफ एफआईएच प्रो लीग मैच से पहले यहां शिविर में सभी खिलाड़ियों ने स्ट्रक्चर पर काबिज रहकर खेलने पर सबसे ज्यादा जोर दिया है। उन्होंने नीदरलैंड के खिलाफ यहां शनिवार और रविवार के मैचों से पहले बृहस्पतिवार को खास बातचीत में कहा, ‘हमने इस बात पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है कि जब गेंद पर हमारे कब्जे में है तो तब स्ट्रक्चर के मुताबिक कैसे खेलना है और जब गेंद न तो तब कैसे खेलना है।

खिलाड़ी स्ट्रक्चर के मुताबिक शिविर में खेले भी। फिलहाल हमारा ध्यान एफआईएच प्रो लीग के यहां दुनिया की तीसरे नंबर की टीम नीदरलैंड, दुनिया की नंबर एक टीम ऑस्ट्रेलिया और दुनिया की दूसरे नंबर की टीम बेल्जियम के खिलाफ ‘डबल हेडर’ यानी यहां दो-दो मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन करने पर है।
प्रो लीग के इन शुरू के छह मैचों में बढ़िया प्रदर्शन करते हैं टोक्यो ओलंपिक के लिए बढ़िया प्रदर्शन का विश्वास जगेगा। हमें अब ओलंपिक और विश्व कप जैसे दुनिया के बड़े हॉकी टूर्नामेंट में दुनिया की बड़ी टीमों के खिलाफ दबाव वाले बड़े मैच जीतनना सीखना होगा। तभी हमारी भारतीय हॉकी दुनिया में अपना नाम कर पाएगी। हमें ओलंपिक और विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में क्वॉर्टर फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल जैसे बड़े मैचों में बड़ी टीमों से बढ़त लेने के साथ उसे आखिर तक कायम रख कर जीत में बदलना सीखना होगा। हम रियो ओलंपिक में भी बेल्जियम के खिलाफ क्वॉर्टर फाइनल में बढ़त लेने के बाद और यहां विश्व कप में नीदरलैंड के खिलाफ बढ़त लेने के बाद 1-2 से हार कर बाहर हो गए थे। संयोग से इन दोनों मैचों में मैंने ही शुरू में गोल किए और इसके बावूजद हमारी भारतीय टीम की इसमें हार बहुत सालती है।
इससे सबक यही है कि इसमें किसी एक खिलाड़ी की मेहनत काफी नहीं है बड़े मैच में जीत के लिए हमें बतौर टीम खेल कर जीत की मंजिल हासिल करने की बाबत सोचना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘ हम जब यहां विश्व कप के क्वॉर्टर फाइनल में करीबी मैच में नीदरलैंड से हार गए थे उस हार ने भी हमें काफी कुछ सिखाया है।
ओलंपिक में भारत को पदक जिताने का सपना पूरा करना चाहता हूं
पिछली बार आखिरी करीब दस मिनट हम दस खिलाड़ी से खेले थे। तब अंपायर के कुछ फैसले भले हमारे खिलाफ गए, लेकिन मैच पर ‘बॉस’ वही होता है उसका फैसला अंतिम होता है उसे मानना ही होता है। हमने अब इस बात को जेहन में लग कर तैयारी की है कि यदि फिर नीदरलैंड के खिलाफ दस खिलाड़ी से खेलना पड़े तो तब हमें कैसे अपने गोल की हिफाजत करनी है और कैसे प्रतिद्वंद्वी टीम के गोल पर हमला बोलना है। नीदरलैंड के खिलाफ प्रो लीग के दोनों मैचों उसके सहायक कोच रह चुके हमारे मौजूदा चीफ कोच ग्राहम रीड की उनके खिलाड़ियों की बाबत जानकारी बहुत काम आएगी।
अब मेरी, सुनील, मनदीप और ललित उपाध्याय जैसे सीनियर स्ट्राइकरों की कोशिश खुद बतौर टीम एक इकाई के रूप में खेलने के साथ टीम के नौजवान स्ट्राइकरों को मैदान और उससे बाहर उनका मार्गदर्शन और हौसलाअफजाई कर उन्हें बेहतरीन खेल के लिए प्रेरित करने की रहती है। मैं जब भारत के लिए पहले पहल चैंपियंस ट्रॉफी में खेला था तो तब मुझे वहां कुछ समय ही नहीं आया और लगा कि मैं कहां आ गया। तब मेरी सरदार सिंह, पीआर श्रीजेश और बलजीत चंडी जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने मदद की थी।’
आकाशदीप कहते हैं, ‘सुरजीत एकेडमी में खेलने आने वाले गगनअजित सिंह, बलजीत ढिल्लों और जुगराज सिंह को ओलंपिक में खेलते देखकर मैंने भी भारत के लिए ओलंपिक में खेलने का सपना संजोया और संयोग से मैं इसे पूर कर पाया। अब ओलंपिक में भारत को पदक जिताने का सपना पूरा करना चाहता हूं।

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