दद्दा ध्यान चंद को भारत रत्न दिलाने निकला जांबाज

हाथ में तिरंगा लेकर पैदल खरगोन से दिल्ली को निकले रिटायर्ड पुलिसकर्मी तारक कुमार 
खेलपथ प्रतिनिधि
खरगोन: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न दिए जाने की मांग काफी समय से चल रही है। इसी को लेकर मध्य प्रदेश के खरगोन पुलिस विभाग से रिटायर हुए तारक कुमार पारकर (63) रविवार को तिरंगा हाथ में लेकर पैदल दिल्ली के लिए रवाना हो गए। खरगोन डीआरपी लाइन से तारक कुमार पारकर ने अपना सफर शुरू किया, जहां खरगोन के पुलिस अधीक्षक ने उनका स्वागत कर उन्हें रवाना किया।
उल्लेखनीय है कि तारक कुमार पारकर खरगोन से 1150 किलोमीटर दूर नई दिल्ली तक पैदल सफर तय करेंगे। तारक कुमार पारकर का कहना है कि मेजर ध्यानचंद ने देश को हॉकी में तीन स्वर्ण पदक दिलाये, उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पैदल तिरंगा हाथ में लेकर खरगोन से दिल्ली तक जाऊंगा। वहां सरकार के समक्ष मैं अपने दिल की बात रखूंगा।
तारक कुमार पारकर ने पीड़ा जाहिर करते हुए कहा है कि देश हाकी खेल में पिछड़ रहा है क्योंकि देश को खेल में ऊपर ले जाने वाले प्लेयर्स की कद्र नहीं की जाती। तीन बार स्वर्ण पदक दिलाने वाले मेजर ध्यानचंद को सरकार ने भारत रत्न देने में इतना समय लगा दिया। दद्दा ध्यानचंद के लिए भारत रत्न की मांग नहीं बल्कि समूचे खिलाड़ियों के दिल की बात सरकार को कहने के लिए मैं यह तिरंगा यात्रा कर रहा हूं।
श्री तारक कुमार पारकर पदयात्रा के दौरान युवाओं को नशा उन्मूलन, खेल जागरूकता के साथ ही पैदल चलने से स्वस्थ रहने का संदेश दे रहे हैं। 21 साल की उम्र में 1600 किलोमीटर की पहली नेपाल यात्रा के बाद अब दिल्ली के लिए 1145 किलोमीटर की यात्रा शुरू की है। वे बताते हैं दिल्ली की इस पदयात्रा का उद्देश्य हाॅकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिलाना है। सोमवार दोपहर जब वे धामनोद की सीमा से गुजरे तब मौसम बहुत ठंडा था, शीतलहर चल रही थी, लेकिन हाथ में तिरंगा और पीठ पर 12 किलो वजन का बैग लेकर चल रहे तारक के जोश में कोई कमी दिखाई नहीं दी। उन्होंने बताया 1978 में पहली बार मैंने नेपाल की पदयात्रा की थी। तब स्वयं मेजर ध्यानचंद ने यात्रा में मेरा जोश बढ़ाया था। तब से लगातार युवाओं को नशे से दूर रखने, उन्हें खेलों से जोड़ने का समाज में संदेश लेकर अब तक 19950 किलोमीटर की पदयात्रा कर चुका हूं। उम्र के इस पड़ाव पर अब आगे लम्बी यात्रा कर पाऊंगा या नहीं कह नहीं सकता लेकिन युवाओं में नशे के खिलाफ जागरूकता के लिए क्षेत्र में हर स्तर की पदयात्रा जीवन पर्यंत करता रहूंगा। ऐसा संकल्प है। फिलहाल समूचे देश में खिलाड़ियों, जनप्रतिनिधियों एवं जनता का समर्थन जुटाने निकला हूं। खरगोन से धामनोद फिर इंदौर, देवास, शाजापुर, गुना, शिवपुरी होकर झांसी में मेजर ध्यानचंद की समाधि पर माल्यार्पण करेंगे। आगे दतिया, ग्वालियर, आगरा होकर दिल्ली पहुंचेंगे। 22 दिन की पदयात्रा में 1145 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। तारक ने बताया मेजर ध्यानचंद ने 1928 में एम्सटर्डम, 1932 में लांस एंजेल्स,1936 में बर्लिन ओलंपिक में स्वर्ण जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे। वह एक हजार से ज्यादा गोल दाग चुके हैं। देश में उनका जन्मदिन खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1956 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया। तारक 22 दिनों की यात्रा में रोज 55 से 60 किलोमीटर पदयात्रा करेंगे। हर पड़ाव गायत्री शक्तिपीठ में होगा। 
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