नीलू मिश्रा ने जो कहा सो कर दिखाया

मलेशिया में जीते दो पदक, नीलू के खाते में अब 74 अंतरराष्ट्रीय पदक

महिला सशक्तीकरण का नायाब उदाहरण

श्रीप्रकाश शुक्ला

वाराणसी। उम्र सिर्फ एक संख्या है। यदि आप में जीत और कुछ करने की इच्छा-शक्ति हो तो कोई कार्य असम्भव नहीं है। 47 साल की उम्र में 74 अंतरराष्ट्रीय पदक जीतकर वाराणसी की नीलू मिश्रा ने खेलों में एक नई पटकथा लिखी है। हाल ही मलेशिया में हुई 27वीं एशियन मास्टर्स एथलेटिक्स में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीतने वाली नीलू का कहना है कि वह अपनी अंतिम प्रतियोगिता में तीन पदक जीतना चाहती थी लेकिन दो ही जीत सकी। खैर, नीलू ने समाज के सामने महिला सशक्तीकरण का एक नायाब उदाहरण पेश किया है।

47 वर्षीय नीलू मिश्रा की यह सफलता तुक्का नहीं है इसके लिए उन्होंने मलेशिया जाने से पहले डा. सम्पूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में दिन-रात पसीना बहाया है। दो से सात दिसम्बर तक मलेशिया में हुई एशियन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में नीलू ने चार गुणा सौ मीटर रिले रेस में स्वर्ण तो ऊंचीकूद में कांस्य पदक जीता है। नीलू का कहना है कि मेरे लिए यह क्षण सबसे गौरवपूर्ण है क्योंकि मैंने देश के लिए पदक जीते हैं। नीलू कहती हैं कि जब विदेश में भारतीय राष्ट्रगान बजता है, उस समय खुशी का ठिकाना नहीं होता।

22 वर्षीय एक पुत्र की मां और एथलीट नीलू का कहना है कि यह सफलता मेरे नियमित अभ्यास का नतीजा है। मुझे पता है कि एक दिन अभ्यास छोड़ने का मतलब दो दिन पीछे हो जाना होता है। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक-एक सेकेंड का महत्व होता है। नीलू मिश्रा बताती हैं कि मैंने सबसे पहले वर्ष 2009 में फिनलैंड में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक चैम्पियनशिप में भारत के लिए ऊंचीकूद में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद से मैंने पदकों की संख्या 74 तक पहुंचा दी है। यह मेरी आखिरी अंतरराष्ट्रीय चैम्पियनशिप थी।  

छह साल तक बेड पर रहने के बाद भी आज नीलू मैदान में जब फर्राटा भरती हैं तो हर किसी की सांसें थम सी जाती हैं। नीलू एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने मौत से जंग जीतकर भारत की झोली सोने के तमगों से भरी है। बनारस की रहने वाली एथलीट नीलू मिश्रा अब तक भारत को 27 अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीतकर दे चुकी हैं। नीलू ने बताया कि 2002 में उनकी किडनी फेल हो गई तथा हार्ट की बीमारी की वजह से वह छह साल तक बेड पर रहीं। 85 किलो वेट हो गया था। इस दौरान मिसकैरेज से ब्लीडिंग को झेलना पड़ा। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कुछ दिनों बाद डॉक्टर की सलाह पर 2008 में ट्रैक पर फिर टहलना और दौड़ना शुरू किया। 2009 में हरियाणा में नेशनल खेला और गोल्ड हासिल किया।

नीलू खेलों के मैदान ही नहीं बल्कि रैम्प पर भी अपना जलवा बिखेर चुकी हैं। वह 23 जुलाई, 2017 को बेंगलूरु के चेयरमैन क्लब में मास्टर्स एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित एशिया मास्टर्स एथलेटिक्स-डे पर आयोजित ब्यूटी कांटेस्ट में ब्यूटी क्वीन का खिताब भी जीत चुकी हैं। अंतरराष्ट्रीय एथलीट नीलू वर्तमान में बनारस में डीपीआरओ के पद पर तैनात हैं। वह पिछले 10 वर्षों से खेलों के माध्यम से मलिन बस्ती के बच्चों को खेलों के द्वारा मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य भी कर रही हैं। इसके साथ ही थर्ड जेंडर, गर्भवती महिलाओं, बाल विवाह, यौन शोषण के खिलाफ भी समय-समय पर आवाज बुलंद कर रही हैं।

नीलू की सफलता- 2009 में पहली बार फिनलैंड में मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। -2010 में बैंकाक ओपन मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप में गोल्ड। -2010 चेन्नई एशियन टूर्नामेंट में तीन गोल्ड। -2010 मलेशिया- मास्टर्स एथलेटिक्स में चार गोल्ड और एक कांस्य पदक। -2011 मलेशिया में चार गोल्ड, एक सिल्वर मेडल। -2011 चंडीगढ़ में तीन गोल्ड और एक सिल्वर। -2012  बेंगलूरु- एशियन ओपन चैम्पियनशिप में एक गोल्ड ओर दो सिल्वर। -2012 थाईलैंड में मास्टर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पांच गोल्ड। -2012 चीन में ओपन मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप में दो गोल्ड। -2014 मलेशिया में मास्टर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो गोल्ड चार सिल्वर। -2014 जापान में मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप में चार सिल्वर। -2016 सिंगापुर मास्टर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज। -2017 दिल्ली में आयोजित एथलेटिक्स प्रतियोगिता में कांस्य पदक। -2018 तमिलनाडु में आयोजित एथलेटिक्स प्रतियोगिता में रजत पदक। -2019 मलेशिया में आयोजित मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता। इसके अलावा नीलू मिश्रा 300 से ज्यादा मेडल लोकल और स्टेट व डिस्ट्रिक लेवल पर जीत चुकी हैं।

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