नरिंदर बत्रा पर भड़के खिलाड़ी

राष्ट्रमंडल खेलों को बताया 'समय की बर्बादी'
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) प्रमुख नरिंदर बत्रा ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेल समय की बर्बादी हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में प्रतिस्पर्धा का स्तर ऊंचा नहीं है और भारतीय खिलाड़ियों के लिए सही होगा कि वे बेहतर टूर्नामेंट में हिस्सा लें। बत्रा ने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के कार्यक्रम से निशानेबाजी को हटाने के बाद इंग्लैंड में होने वाले बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों का बहिष्कार करने को कहा था। बत्रा ने बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान बात करते हुए कहा, भारत को बर्मिंघम खेलों का बहिष्कार करने की बजाय इन खेलों से ही हट जाना चाहिए। इन खेलों की बजाय भारत को उन बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पर ध्यान लगाना चाहिए, जहां प्रतियोगिता का स्तर बड़ा हो। जहां 2020 ओलंपिक खेलों की तैयारी अच्छी तरह से हो सके।
आईओए प्रमुख ने कहा कि वह इस प्रस्ताव को आईओए की अगले महीने होने वाली कार्यकारी बैठक में रखेंगे। यदि सदस्य इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं तो ओलंपिक बॉडी  इस मसले को पहले सरकार और फिर राष्ट्रमंडल अध्यक्ष के सामने ले जाएगी। राष्ट्रमंडल अध्यक्ष नवंबर में भारत दौरे पर आएंगे। वहीं, राष्ट्रीय महासंघ के अधिकारी ने बत्रा के बयान पर नाराजगी जताई। इस अधिकारी ने कहा, अगर निशानेबाजी को वापस इन खेलों में शामिल कर लिया जाएगा तो बत्रा इसे अच्छी स्पर्धा मानेंगे। किसी को उनसे पूछना चाहिए कि क्या राष्ट्रमंडल खेलों की महत्ता फिर से बढ़ जाएगी। 
दिग्गजों को रास नहीं आई बेवजह की बात
यह हास्यास्पद बयान उस व्यक्ति से आया है जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों में कई अहम पदों पर काबिज है। राष्ट्रमंडल  ओलंपिक के बाद सबसे बड़ा टूर्नामेंट है। हॉकी के बारे में बात करें तो सभी शीर्ष देश जैसे आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ग्रेट ब्रिटेन इसमें खेलते हैं। -जफर इकबाल, पूर्व हॉकी कप्तान
राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार की बात सोचना भी हास्यास्पद है। मुझे नहीं लगता कि इनका स्तर कम होता है। 2010 के चरण में जब मैंने कांस्य पदक जीता और फिर 2014 खेलों के दौरान मैंने जितने खिलाड़ियों को हराया, यह आसान था? -पी कश्यप, शटलर
राष्ट्रमंडल खेलों में एथलेटिक्स की स्पर्धा एशियाई खेलों से ज्यादा कठिन होती है जबकि आमतौर पर खेल जगत एशियाई खेलों को कठिन मानता है। एथलेटिक्स के लिए यह खेल विश्व स्तरीय हैं। -कृष्णा पूनिया, एथलीट
यह निराशाजनक है। ऐसे तो भारत को आमंत्रण टूर्नामेंट में भी अपनी टीमें नहीं भेजनी चाहिए क्योंकि टूर्नामेंट का स्तर ओलंपिक या विश्व चैंपियनशिप जैसा नहीं है। -विजेंदर, मुक्केबाज 
मंत्रालय, संघ प्रतिक्रिया से बचे
वहीं दूसरी ओर, खेल मंत्रालय, राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) बत्रा के विवादस्पद बयान पर प्रतिक्रिया देने से बचे। खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, इस समय सरकार कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहती। वहीं, सीजीएफ के मीडिया एवं कम्यूनिकेशन मैनेजर टॉम डेगुन ने कहा, कथित तौर पर यहां की गई टिप्पणी पर हम प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते।

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