मैं टोक्यो ओलम्पिक में तिरंगा लहराना चाहती हूंः सपना कुमारी

रांची। हिन्दुस्तान अखबार की ओर से रांची में आयोजित 'पूर्वोदय 2019' सम्मेलन में झारखंड की युवा एथलीट सपना कुमारी मंच पर आईं। इस दौरान उन्होंने टोक्यो ओलंपिक के लिए अपनी तैयारियों और एथलेटिक्स की दुनिया में अब तक की अपनी यात्रा के बारे में बताया। सपना कुमारी 100 मीटर हर्डल इवेंट में पार्टिसिपेट करती हैं। सपना ने कहा कि मैं टोक्यो ओलम्पिक में तिरंगा लहराना चाहती हूं।
सपना ने कहा, 'मुझे स्पोर्ट्स में कोई इंटरेस्ट नहीं था। मैं अपनी बहन स्नेहा सिंह को देखकर दौड़ने जाती थी। साल 2012 में मैंने दौड़ना शुरू किया और तब सिर्फ एंज्वॉय के लिए जाती थी। मेरी दीदी कोलकाता के 'स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया' सेंटर में रहती थीं। मुझे भी घर से बाहर रहने का शौक था। दीदी के कहने पर दौड़ना शुरू किया। फिर 2013 में मेरा चयन 'स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया' के रांची सेंटर में हो गया।
सपना ने आगे बताया, 'मैं इसके बाद श्रीलंका इवेंट के लिए गई। सात देश इस इवेंट में भाग ले रहे थे। वहां मैं एक हर्डल की लीड के साथ पहला स्थान हासिल किया। विक्ट्री स्टैंड पर चढ़ने के बाद मुझे पता चला कि मैंने मीट रिकॉर्ड बनाया है। सबसे अच्छा फील तब हुआ जब मैंने दूसरे देश में जाकर अपना नेशनल एंथम गाया।'
जापान की राजधानी टोक्यो में साल 2020 में होने वाले ओलम्पिक खेलों की तैयारी के बारे में सपना ने कहा, 'मेरी प्रैक्टिस अच्छी चल रही है। अभी इंजर्ड हूं। अगले महीने से फुल प्रैक्टिस स्टार्ट करूंगी। मैं कोशिश करूंगी की अच्छा करूं और अपने देश का नाम रोशन करूं। अभी 10 महीने हैं टोक्यो ओलम्पिक के लिए और मेरे पास चार गेम्स हैं।' सपना ने कहा, 'मैं इन चार गेम्स में क्वालीफाई कर जाती हूं तो ओलम्पिक जाऊंगी। कोशिश करूंगी की ओलम्पिक में अपने देश का नाम रोशन करूं और वहां तिरंगा लहरा कर आऊं।'
सपना ने कहा, 'ओलम्पिक क्वालीफाई करने के लिए मुझे बचे हुए चार गेम्स में सिर्फ पहले स्थान पर ही नहीं आना होगा, बल्कि टाइमिंग भी सही करनी होगी। अगर मैं उस टाइमिंग के अंदर 100 मीटर बाधा दौड़ पूरी करती हूं तो ही ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करूंगी। 100 मीटर बाधा दौड़ में ओलम्पिक क्वालिफिकेशन टाइमिंग 12.84 सेकेंड है। अभी मेरी बेस्ट टाइमिंग 13.61 है।' सपना ने अपनी बेस्ट टाइमिंग के बारे में बताया, 'जब मैं 13.61 सेकेंड में दौड़ पूरी की थी तो कॉमनवेल्थ के लिए बहुत तैयारी करके गई थी। जब मैं क्वालिफिकेशन राउंड के लिए पटियाला गई तो बहुत ज्यादा बीमार पड़ गई। शायद मुझे पंजाब का पानी सूट नहीं किया। इवेंट के एक दिन पहले मैं हॉस्पिटल में एडमिट थी। मुझे दो बोतल ग्लूकोज चढ़ाया गया और सुबह मेरा इवेंट था। सभी मना कर रहे थे कि इवेंट मत करो, लेकिन मैं दौड़ी।'
उन्होंने आगे कहा, 'मेरे कोच विनोद कुमार सिंह ने मुझे बहुत मोटिवेट किया। मैं अपने कोच के कहने पर ट्रैक पर खड़ी हो गई। पूरे इंडिया के लोग मुझे देख रहे हैं। मुझे नहीं पता था मैं क्या करने वाली हूं। जब गन चली तो मैं तेजी से भागी और देखा कि सबसे आगे हूं। एक हर्डल से दूसरे हर्डल की दूरी 8.50 मीटर होती है। मैंने अपने प्रतिस्पर्धियों पर पूरे एक हर्डल की दूरी से बढ़त बनाई हुई थी। मैं पहले नंबर पर आई और अपने लाइफ की बेस्ट दौड़ भागी थी। लेकिन अफसोस इस बात का था कि मैं ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी थी क्योंकि मैं बहुत ज्यादा बीमार थी।'
सपना ने कहा, 'मैं इंजुरी में नहीं होती तो अभी तक बहुत आगे जाती। लेकिन मैं इंजुरी को दोष नहीं दे सकती। यह हर स्पोर्ट्समैन और स्पोर्ट्सवुमन के साथ होता है। बहुत सारे प्लेयर्स ऐसे होते हैं जो इंजुरी में टूट जाते हैं। ऐसे समय में कोई मोटिवेट करने वाला होना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'दिसम्बर में मेरे बाएं पैर में चोट लगी थी, उससे उबरी तो दाहिने पैर में चोट लग गई। अभी मैं ओलम्पिक के लिए ही तैयारी कर रही हूं। मेरे पास 10 महीने और चार गेम्स बचे हैं। मेरे पास 10 प्रतिशत चांस है और मैं कोशिश करूंगी कि इस 10 परसेंट चांस में ही ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करूं और अपने देश को गौरवान्वित करूं।'सपना जूनियर विश्व एथलेटिक्स मीट में झारखंड से भाग लेने वाली पहली एथलीट हैं। उन्होंने  5 से 6 मई 2018 तक श्रीलंका में आयोजित तीसरी साउथ एशियन जूनियर एथलेटिक्स चैंपियशिप में स्वर्ण पदक जीता था। सैफ गेम्स में भी वह 100 मीटर हर्डल्स में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।

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