पैरा खिलाड़ियों को प्रोत्साहन की दरकार

भारत सरकार के साथ राज्य सरकारें भी दें विशेष ध्यान
खेलपथ प्रतिनिधि
ग्वालियर।
आजकल चर्चा का एक प्रमुख विषय खेल बन गया है, जिसका सबसे बड़ा कारण भारतीय खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन है। बात चाहे इंडोर गेम्स की हो या आउटडोर गेम्स की, खेल जगत में हर जगह भारतीय खिलाड़ियों का परचम लहरा रहा है। कुछ ऐसा ही कारनामा बीते दिनों हुआ जब भारतीय खिलाड़ियों ने विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में देश का नाम रोशन किया। आश्चर्य यह नहीं है कि खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, बल्कि पैरा-बैडमिंटन में भी भारतीय खिलाड़ियों ने पदकों की झड़ी लगा दी।
इसी क्रम में विजेताओं को सोशल मीडिया एवं उनके व्यक्तिगत पेज पर सभी ने बधाई दी। इन सबके बीच दुःख इस बात का है कि जहां बैडमिंटन के सामान्य प्रतिस्पर्धा के खिलाड़ी अधिक चर्चा में रहे, वहीं पैरा खिलाड़ियों का नाम उनके पीछे छिपा सा महसूस हुआ। विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में जहां महिला एकल वर्ग में पीवी सिंधु ने ऐतिहासिक कीर्तिमान रचते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया, वहीं पैरा-खिलाड़ी मानसी जोशी भी महिला एकल का स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं मगर यह बेहद दुखद है कि उनकी जीत पर अधिक चर्चा नहीं हुई।
एक पैर से असमर्थ होकर भी मानसी ने जिस तरीके से देश का नाम रोशन किया, यह वाकई में काबिल-ए-तारीफ है मगर उनकी मेहनत का उचित फल न मिल पाना दुर्भाग्यपूर्ण भी है। ठीक इसी प्रकार पैरा-बैडमिंटन पुरुष वर्ग में प्रमोद भगत ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बल पर सभी को अचंभित कर दिया। उन्होंने न केवल पुरुष एकल, बल्कि पुरुष युगल वर्ग में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
भारत ने पैरा विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में कुल 12 पदक जीते, जिनमें 4 गोल्ड मेडल भी शामिल हैं। देश के लिए यह काफी सम्मान का अवसर है क्योंकि पैरा खिलाड़ियों ने 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए देशवासियों की उम्मीदें बढ़ा दी है। आज से एक साल बाद होने वाले ओलम्पिक 2020 में पैरा-खिलाड़ियों से ज़्यादा से ज़्यादा पदक की उम्मीदें होंगी। वर्तमान में खेलों के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए ऐसा लगता है कि आगामी ओलम्पिक खेलों में भारतीय खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन करेंगे। ऐसे में खेल मंत्रालय को पैरा-खिलाड़ियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहन मिले। यह भारत देश के लिए वाकई में गौरव का पल है जब तमाम पैरा खिलाड़ी अपने शानदार खेल के दम पर इतिहास लिख रहे हैं। 2016 के रियो ओलंपिक में जब भारत का प्रदर्शन औसत से भी खराब था, तब केन्द्र सरकार ने टास्क फोर्स का गठन करते हुए कहा था कि अब स्कूलों में भी बच्चों को खेलों के प्रति प्रोत्साहित किया जाएगा।

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