दीपा मलिक बनीं ‘खेल रत्न’, समारोह में भाग नहीं ले सके बजरंग

पैरालंपिक रजत पदक विजेता दीपा मलिक राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार हासिल करने वाली पहली भारतीय पैरा एथलीट और सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बन गयीं लेकिन इसी पुरस्कार को हासिल करने वाले पहलवान बजरंग पूनिया ट्रेनिंग प्रतिबद्धताओं के कारण यहां राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में शिरकत नहीं कर पाये। दीपा ने 2016 रियो पैरालंपिक में गोला फेंक एफ53 में रजत पदक जीता था।

उन्हें एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों के चैम्पियन पूनिया के साथ संयुक्त विजेता घोषित किया गया था जो कजाखस्तान में होने वाली आगामी चैम्पियनशिप की तैयारियों में जुटे हैं। इस तरह दीपा इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को हासिल करने वाली दूसरी पैरा एथलीट बन गयी क्योंकि पैरालंपिक का दोहरा स्वर्ण पदक जीतने वाले भाला फेंक एथलीट देवेंद्र झझारिया को 2017 में इससे सम्मानित किया गया था। वह 49 साल की उम्र में इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली सबसे उम्रदराज एथलीट भी बन गयीं। विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप के कांस्य पदकधारी बीसाई प्रणीत, महिला क्रिकेटर पूनम यादव, एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हेप्टाथलीट स्वप्ना बर्मन, फुटबालर गुरप्रीत सिंह संधू, दो बार की विश्व रजत पदक विजेता मुक्केबाज सोनिया लाठेर, एशियाई खेलों के रजत पदक विजेता घुड़सवार फवाद मिर्जा, मोटरस्पोर्ट्स के दिग्गज खिलाड़ी गौरव गिल और कबड्डी टीम के कप्तान अजय ठाकुर उन 19 खिलाड़ियों में शामिल थे जिन्होंने यहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अर्जुन पुरस्कार प्राप्त किया।

3 साल से दीपा की अनदेखी 
दीपा चौथी बार भाग्यशाली रही क्योंकि पिछले 3 साल उनके नाम की अनदेखी की गयी जिस पर उन्होंने सवाल उठाये और फैसले की आलोचना की। क्रिकेटर रविंद्र जडेजा, एशियाई खेलों के स्वर्ण पदकधारी गोला फेंक एथलीट तेजिंदर पाल सिंह तूर और 400 मीटर स्पर्धा के रजत पदक मोहम्मद अनस समारोह में अर्जुन पुरस्कार लेने नहीं आ सके। दीपा ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं। यह पूरी यात्रा लोगों के दिव्यांगों और दिव्यांग लोगों की छुपी काबिलियत के प्रति लोगों के रवैये को बदलने के बारे में रही है।’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह पुरस्कार महिला दिव्यांग खिलाड़ियों को काफी प्रेरित करेगा। स्वंतत्र भारत को पैरालंपिक में पदक जीतने में 70 साल लगे।’

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