रवि शास्त्री ही टीम इंडिया के साक्षी

कपिल का समझदारी भरा फैसला

श्रीप्रकाश शुक्ला

विदेशी प्रशिक्षकों के पूर्व के खट्टे-मीठे अनुभवों और कप्तान विराट कोहली सहित टीम के अन्य खिलाड़ियों की रजामंदी को तवज्जो देते हुए कपिल देव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय टीम ने रवि शास्त्री को ही एक बार फिर से टीम इंडिया का मुख्य प्रशिक्षक नियुक्त कर दिया है। विश्व कप 2019 में जब टीम इंडिया को सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा था तो उस समय ऐसा लग रहा था कि शायद रवि शास्त्री को इस बार टीम इंडिया की कमान नहीं सौंपी जाए लेकिन कपिल देव ने स्वदेशी शास्त्री को ही टीम इंडिया का साक्षी बनाकर सारी अटकलों पर विराम लगा दिया है। रवि शास्त्री को भारतीय टीम का पुनः मुख्य प्रशिक्षक बनाया जाना एक सही फैसला है क्योंकि कोई भी टीम तभी अच्छा प्रदर्शन करती है जब सभी खिलाड़ी एक-दूसरे को समझते हों और उनमें राष्ट्रभावना सर्वोपरि हो।

रवि शास्त्री के मुख्य प्रशिक्षक बनने में सबसे अच्छी बात जो एक रही है वह यह है कि शास्त्री को विराट कोहली सहित कई खिलाड़ियों का पूरा-पूरा समर्थन मिला हुआ है। तीन सदस्यीय चयन समिति कुछ भी कहे असलियत यही है। कपिल देव, अंशुमन गायकवाड़ और शांता रंगास्वामी की टीम द्वारा एकमत से रवि शास्त्री को टीम का मुख्य प्रशिक्षक बनाया जाना भारतीय क्रिकेट के हित में है। क्रिकेटप्रेमियों को याद होगा कि अनिल कुम्बले विराट कोहली का समर्थन नहीं मिलने के चलते ही दोबारा मुख्य प्रशिक्षक नहीं बन सके थे जबकि अनिल कुम्बले के कार्यकाल में टीम इंडिया चैम्पियन ट्रॉफी के फाइनल तक पहुंची थी।

सारी अटकलबाजियों से परे हमें शास्त्री को काम करने की पूरी छूट देनी चाहिए। रवि शास्त्री टीम इंडिया को लेकर कुछ अच्छे प्लान पहले ही बना चुके हैं और उनके ऊपर काम भी कर रहे हैं। टीम इंडिया को इस समय अगर कोई खिलाड़ी सबसे अच्छे तरीके से समझता है तो वह रवि शास्त्री ही हैं। शास्त्री की देख-रेख में टीम इंडिया वेस्टइंडीज में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। शास्त्री जानते हैं कि कम समय में खिलाड़ियों से कितना बेहतर प्रदर्शन करवाया जा सकता है। टी-20 विश्व कप को ज्यादा समय नहीं बचा है ऐसे में एक अच्छी टीम तैयार करना किसी नए मुख्य प्रशिक्षक के लिए आसान बात नहीं होती। रवि शास्त्री टीम इंडिया के हर खिलाड़ी की अच्छाई और बुराई से वाकिफ हैं ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में भारतीय टीम और बेहतर प्रदर्शन करेगी।

जैसे खिलाड़ियों का शास्त्री पर भरोसा है उसी तरह रवि शास्त्री को भी टीम इंडिया पर भरोसा है। वह कहते हैं कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। एक खराब दिन कभी किसी टीम की हसरतों पर पानी फेर सकता है। शास्त्री कहते हैं कि यह बात केवल तब के लिए नहीं है जब आप खेल रहे हैं बल्कि आपके खेल छोड़ने के बाद भी आने वाले खिलाड़ियों के लिए यह विरासत बनी रहना चाहिए। मेरा विश्वास है कि विराट सेना किसी भी टीम का मानमर्दन करने में सक्षम है। हमें विश्व कप के सेमीफाइनल को भूलते हुए भारतीय खिलाड़ियों पर भरोसा कायम रखना चाहिए। रवि शास्त्री फिलहाल उसी ट्रैक पर हैं।

टीम इंडिया में जहां तक सुधार की बात है तो यह उम्मीद हमेशा बनी रहती है। अब तो एक से बढ़कर एक युवा खिलाड़ी टीम में आ रहे हैं। मेरा मानना है कि यह वह समय है जब आप उत्साहित भी होते हैं और व्याकुल भी। आपको हर बात पर ध्यान देना होता है ताकि कुछ बेहतर का चुनाव किया जा सके। देखा जाए तो अगले दो साल में टीम इंडिया से कई युवा खिलाड़ी जुड़ेंगे ऐसे में रवि शास्त्री का दायित्व होगा कि वह नए खिलाड़ियों को परिवर्तन की प्रक्रिया से अवगत कराते हुए उनमें जीत सिर्फ जीत की भूख पैदा करेंगे। देखा जाए भारतीय टीम में किसी तरह के बड़े बदलाव की जरूरत नहीं है, फिर भी तीन-चार और गेंदबाजों की खोज कर उन्हें गेंदबाजी पूल में शामिल करना जरूरी है।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के नियमानुसार राष्ट्रीय टीम के मुख्य प्रशिक्षक की उम्र 60 साल से कम होनी चाहिए। उम्र के लिहाज से देखें तो टीम इंडिया के साथ रवि शास्त्री (57 साल) का यह अंतिम कार्यकाल है। रवि शास्त्री को अपने 26 महीने के कार्यकाल में एक बेजोड़ टीम तैयार करनी होगी ताकि टीम इंडिया भविष्य के लिए यादगार विरासत छोड़कर जाए। 2023  का वनडे विश्व कप तो अभी दूर है मगर शास्त्री की अगुआई में टीम इंडिया 2021 का टी-20  विश्व कप जीतकर एकदिनी विश्व कप की पराजय की कालिख को साफ कर सकती है।

देखा जाए तो रवि शास्त्री की कप्तान विराट कोहली और अन्य खिलाड़ियों के साथ अच्छी समझ है। पिछले दो साल में किसी तरह के विवाद की खबर नहीं आई। इस कारण शास्त्री को एक बार फिर से मौका दिया जाना स्वागतयोग्य कदम है। अनिल कुम्बले और कोहली के बीच विवाद रहा था। इतना ही नहीं जब 2005 से 2007 तक ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल टीम के मुख्य प्रशिक्षक थे, तब सीनियर खिलाड़ियों के साथ उनके सम्बन्ध अच्छे नहीं थे। सौरव गांगुली और चैपल प्रकरण आज भी विदेशी प्रशिक्षकों की नीति और नीयत पर संदेह पैदा करता है। शास्त्री की जहां तक बात है भारतीय टीम 2015 और 2019 विश्व कप और 2016 टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में बेशक हार गई हो उन्होंने टेस्ट और वनडे में टीम इंडिया को आईसीसी रैंकिंग में शीर्ष तक पहुंचाने का प्रशंसनीय कार्य जरूर किया है। रवि शास्त्री खिलाड़ियों को पूर्ण स्वतंत्रता देते हैं यही वजह है कि टीम के अधिकांश खिलाड़ी उन्हें ड्रेसिंग रूम में देखना पसंद करते हैं। स्वदेशी प्रशिक्षक रवि शास्त्री का चुना जाना अच्छा कदम है। स्वदेशी प्रशिक्षक होने से खिलाड़ियों के साथ संवाद की समस्या नहीं होगी क्योंकि वह प्लेयर के नेचर को अच्छे तरीके से समझता है।

आंकड़ों के आईने में रवि शास्त्री और टीम इंडिया

कपिल देव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय क्रिकेट सलाहकार समिति द्वारा रवि शास्त्री को भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम का मुख्य प्रशिक्षक पद पर बरकरार रखा जाना काबिलेतारीफ फैसला है। रवि शास्त्री तीसरी बार टीम इंडिया के साथ जुड़े हैं। भारतीय टीम के साथ सबसे लम्बे समय तक जुड़े रहने वाले शास्त्री ने पहली बार अगस्त 2014 में इंग्लैंड सीरीज के दौरान भारतीय टीम के निदेशक के रूप में कमान सम्हाली थी। शास्त्री के 19 माह के पहले कार्यकाल भारतीय टीम ने 14 टेस्ट, 40 एक दिवसीय और 21 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले थे जिसमें टी-20 और वनडे मैचों में भारतीय टीम की जीत का औसत सबसे शानदार रहा। रवि शास्त्री के कार्यकाल के दौरान भारतीय टीम की जीत का औसत वनडे में 61.54 और टी-20 में 66.67 फीसदी रहा जबकि टेस्ट मैचों में यह औसत 35.71 प्रतिशत रहा। इसके बाद 2017 में चैम्पियंस ट्रॉफी में मिली हार के बाद जब अनिल कुम्बले ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो सौरव गांगुली की अगुआई वाली तीन सदस्यीय क्रिकेट सलाहकार समिति ने रवि शास्त्री को टीम इंडिया के मुख्य प्रशिक्षक पद की जिम्मेदारी सौंपी।

दूसरी बार जुलाई 2017 में टीम इंडिया के प्रशिक्षक बने रवि शास्त्री का कार्यकाल विश्व कप 2019 तक तय किया गया, इस दौरान भारतीय टीम ने अपना टेस्ट रिकॉर्ड बेहतर करते हुए ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में हराने वाली पहली एशियाई टीम बनने का सम्मान हासिल किया। शास्त्री के दूसरे कार्यकाल के दौरान भारत का टेस्ट में जीत का औसत 52.38 फीसदी, एकदिवसीय में 74.19 तथा टी-20 में 69.44 फीसदी रहा। रवि शास्त्री के कार्यकाल में भारत विश्व कप 2015 और 2019 में सेमीफाइनल तक पहुंचा। 2016 में खेले गए टी-20 विश्व कप में भी टीम इंडिया ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। देखा जाए तो 2018-19  में टीम इंडिया ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में कोई टेस्ट सीरीज अपने नाम की। 2018  में संयुक्त अरब अमीरात में हुए एशिया कप को भारत ने जीता था। यद्यपि रवि शास्त्री के कार्यकाल में भारतीय टीम कोई भी आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीत सकी लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि शास्त्री अपने तीसरे कार्यकाल में टीम इंडिया से यह कारनामा करवाने में जरूर सफल होंगे।

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