दीपा समुद्री तैराकी में निजी रिकॉर्ड बनाने को उत्सुक

कैंसर से खेल रत्न तक की संघर्षगाथा

खेलपथ प्रतिनिधि

गुड़गांव। हौसलों की उड़ान क्या होती है, इसे अपने अदम्य साहस से दीपा मलिक ने चरितार्थ कर दिखाया। लोग कहते थे कि वह चल नहीं सकतीं सो वह बाइकर, स्वीमर और एथलीट बन गईं। पैरालम्पिक में भारत को चांदी का पदक दिलाने वाली पहली महिला में संघर्ष का जज्बा कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। जिस उम्र में खिलाड़ी संन्यास की सोच लेते हैं उस उम्र में दीपा मलिक कामयाबी की नई इबारत लिख रही हैं। दीपा अब समुद्री तैराकी में निजी रिकॉर्ड बनाने को लेकर काफी उत्सुक हैं। दीपा के पराक्रमी प्रयासों का ही कमाल है कि उन्हें इस बार राजीव गांधी खेल रत्न के लिए नामित किया गया है।

पैरालम्पिक 2016 में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी दीपा मलिक चोटों के कारण अगले पैरालम्पिक में शायद एक तैराक के रूप में उतरें। वैसे दीपा का खेलों में पदार्पण तैराकी से ही हुआ है। दीपा ने पैरालम्पिक 2016 में गोला फेंक में सिल्वर मेडल जीता था लेकिन उन्होंने खुलासा किया है कि टोक्यो में 25 अगस्त 2020 से होने वाले अगले पैरालम्पिक में उनके वर्ग में गोला फेंक और भाला फेंक की स्पर्धाएं नहीं हैं, सो वह तैराकी में जौहर दिखा सकती हैं।

दीपा ने कहा, ‘यह काफी दुर्भाग्यशाली है कि 2020 पैरालम्पिक और आगामी विश्व चैम्पियनशिप में 53 वर्ग में मेरी स्पर्धाएं गोला फेंक और भाला फेंक नहीं हैं। मेरे वर्ग में सिर्फ चक्का फेंक की स्पर्धा की पेशकश की जा रही है। तैराकी से जुड़ने की उत्सुकता पर दीपा ने कहा कि उन्होंने चक्का फेंक का अभ्यास करने का प्रयास किया था लेकिन रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण आगे नहीं बढ़ पाईं। उन्होंने कहा, ‘मैंने चक्का फेंक सीखने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया जो मेरा मुख्य खेल नहीं है। 2020 पैरालम्पिक की तैयारी के दौरान मैंने जकार्ता में एशियाई खेल 2018 में चक्का फेंक में कांस्य पदक जीता लेकिन चक्का फेंक से मुझे ‘सर्वाइकल क्षेत्र’ में चोट लग रही थी। मेरी रीढ़ की हड्डी की चोट भी बड़ी थी। चक्के के लिए होने वाली मूवमेंट और झटका मेरे शरीर के अनुकूल नहीं थे, इसलिए मुझे पीछे हटना पड़ा।

दीपा समुद्री तैराकी से जुड़ने को लेकर उत्सुक हैं। दीपा ने कहा, ‘हालांकि मैं अपनी फिटनेस और ट्रेनिंग नहीं रोकना चाहती। मैं इस साल तैराकी करने की सोच रही हूं जिससे मैं पहले से जुड़ी हुई थी। तैराकी पैरालम्पिक स्तर की नहीं लेकिन राष्ट्रीय स्तर की जिससे कि मैं ट्रेनिंग जारी रख सकूं।’ दीपा ने कहा, ‘इस साल मैं समुद्री तैराकी में निजी रिकॉर्ड बनाना चाहती हूं लेकिन प्रतिस्पर्धी तौर पर नहीं और अपनी जिंदगी में एक और उपलब्धि हासिल करना चाहती हूं। सिर्फ इतनी सी बात है कि समुद्र पीछे छूट गया है और मैं समुद्र के पानी को छूना चाहती हूं।’

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