पदक नहीं, पुश-अप है बिंद्रा का सर्वश्रेष्ठ लम्हा

ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के शानदार करियर का सर्वश्रेष्ठ पल कोई पदक जीतना नहीं बल्कि दिसंबर के ठंडे मौसम में पुश-अप का शतक पूरा करना है। किसी भी खिलाड़ी के लिए ओलंपिक पदक जीतना उसके खेल करियर का सबसे गौरवशाली क्षण होता है लेकिन बिंद्रा ने कहा कि खेलों में उनका सर्वश्रेष्ठ पल तब आया जब कोई उसे देख नहीं रहा था।
17वीं अंतर्राष्ट्रीय ब्रिज चैम्पियनशिप में पहुंचे भारत के इकलौते व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा ने कहा, ‘खेलों में मेरा सर्वश्रेष्ठ पल वह था जिसे किसी ने नहीं देखा। यह प्रशिक्षण के दौरान एक दिन हुआ, यह 31 दिसंबर की बात है जब मैं खेलों में सक्रिय था।’ बीजिंग ओलंपिक में 11 साल पहले पदक जीतने वाले इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘यह मेरा शारीरिक प्रशिक्षण सत्र था और वहां काफी ठंड थी। मुझे 100 पुश-अप करने थे। मेरे प्रशिक्षक ने गिनती में गलती की और मेरे 95 पुश-अप के बाद ही कहा कि मैंने इसे पूरा कर लिया। मैंने उन्हें कहा, ‘नहीं अभी 5 बाकी हैं’। इसलिए मुझे लगता है कि लक्ष्य के साथ ईमानदारी बरतने से नतीजे निकलते हैं।
बिंद्रा ने कहा, ‘आप जीतें या हारें, आप में हमेशा आत्म सम्मान होना चाहिए और यही सबसे बड़ा सम्मान है। मैं आश्वस्त हूं कि आप सबके दिमाग में ये बात होगी।’ 36 साल के पूर्व निशानेबाज ने इस मौके पर हल्के फुल्के अंदाज में कहा , ‘इस चैम्पियनशिप की पुरस्कार राशि और अपने संघर्षपूर्ण करियर को देखूं तो मैं आपके खेल में हाथ आजमाना चाहूंगा।’

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