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यहां पहले भी पिच पर उठते रहे हैं सवाल क्यूरेटर ने कहा- बल्लेबाजों को मदद मिलेगी खेलपथ संवाद कानपुर। कानपुर का ग्रीन पार्क स्टेडियम 25 नवंबर को भारत और न्यूजीलैंड के बीच होने वाले पहले टेस्ट के लिए तैयार है लेकिन पिच के दोनों छोर पर अलग-अलग उछाल की बात सामने आई है। बीते दो महीनों से ग्रीन पार्क में टीमों के चयन के साथ ही कई अभ्यास मैच हुए हैं। इस दौरान मीडिया सेंटर की ओर वाले छोर पर गेंद कमर की ऊंचाई से अधिक उठ ही नहीं पा रही जबकि पुराने पैवेलियन छोर पर से गेंद सिर के ऊपर से गुजर रही है। यही नहीं पिच पर एक घंटे बाद ही धूल उड़ने लगती है। इस पिच में हो रहे परिवर्तन के बारे में अभ्यास मैच के दौरान एक चयनकर्ता ने भी अपनी शिकायत नोडल अधिकारी से दर्ज कराई थी। लेकिन शिकायत को अनसुना कर दिया गया था। हालांकि, ग्रीन पार्क के क्यूरेटर शिवकुमार ने कहा कि पिच बल्लेबाजी और गेंदबाजी के लिए अनुकूल है। इससे बल्लेबाजों को ज्यादा मदद मिल सकती है। ग्रीन पार्क विकेट का विवाद लगभग 13 साल पुराना है, जब पहली बार तीन दिन में टेस्ट मैच समाप्त होने पर दक्षिण अफ्रीकी टीम ने पिच के साथ छेड़छाड़ कर टीम को हरवाने का आरोप लगाया था। इस पर आईसीसी ने क्यूरेटर समेत बीसीसीआई से स्पष्टीकरण तक मांग लिया था। क्यूरेटर के खिलाफ साल 2008 में भारत-अफ्रीका टेस्ट मैच के दौरान पिच के साथ छेडछाड़ की शिकायत पर केस दर्ज हुआ था। हालांकि, यूपीसीए के निवर्तमान पदाधिकारी ने आईसीसी से माफी मांग कर मामला रफा-दफा करवा दिया था। ग्रीनपार्क की पिच का जिन्न एक बार फिर से निकल सकता है। साढ़े चार साल पहले आईपीएल में जिस पिच क्यूरेटर पर सट्टेबाजों की नजर थी, आज भी यूपीसीए उस पर भरोसा जता रहा है। इसके बाद 2009 में श्रीलंका के ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने भी अपनी टीम के हार जाने के बाद कप्तान कुमार संगकारा के साथ संयुक्त रूप से आईसीसी से पिच के साथ छेडछाड़ करने का आरोप लगाया था। इसके बाद साल 2010 में घरेलू मैचों की रणजी ट्रॉफी स्पर्धा में यूपी और बंगाल के मैच दो दिन में ही समाप्त हो गए थे। इस दौरान बंगाल के कप्तान सौरव गांगुली ने बीसीसीआई से शिकायत की थी और पिच क्यूरेटर पर भी जमकर नाराजगी जताई थी।