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एक इंच से हाथ से निकल गया था पदक खेलपथ संवाद नई दिल्ली। लिएंडर पेस और महेश भूपति को एथेंस ओलम्पिक में क्रोएशियाई जोड़ी इवान लुबिचिच और मारियो आंचिच के हाथों कांस्य पदक मुकाबले की हार अब तक चुभती है। सिर्फ एक शॉट या एक इंच से मिली हार ने पेस से उनका दूसरा ओलम्पिक पदक छीन लिया। ली-हेश, इंडियन एक्सप्रेस के नाम से मशहूर लिएंडर और महेश अपने विवादों और ऊचांइयों को ब्रेकप्वाइंट वृत्तचित्र (डॉक्यूसीरीज) के जरिए दुनिया के सामने लाने जा रहे हैं। टेनिस के शिखर पर होकर अपनी राहें जुदा करने वाले लिएंडर पेस और महेश भूपति फिर एक हो गए हैं। हालांकि यह जोड़ी कोर्ट पर नहीं दिखने जा रही है, लेकिन टेनिस ने ही दोनों की दूरियां पाटी हैं। लिएंडर ने कहा, एक इंच से हाथ से निकल गया था पदक नहीं तो दो ओलम्पिक पदक होते उनके पास। दोनों कहते हैं कि एथेंस ओलम्पिक में क्रोएशियाई जोड़ी इवान लुबिचिच और मारियो आंचिच के हाथों कांस्य पदक मुकाबले की हार अब तक उन्हें चुभती है। सिर्फ एक शॉट या एक इंच से मिली हार ने पेस से उनका दूसरा ओलम्पिक पदक छीन लिया। महेश भी मानते हैं कि उनको यह हार सताती है। दोनों ने इस ओलम्पिक में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया था लेकिन चार घंटे चले मुकाबले में इतने पास आकर भी दूर रहे गए। महेश के मुताबिक उन दोनों की टेनिस यात्रा को पर्दे पर लाने के बारे में उनसे पहले भी कई बार लोगों ने संपर्क किया। 18 महीने पहले उन्हें पता लगा कि दबंग, छिछोरे जैसी फिल्में बनाने वाले नितेश तिवारी और ऐश्वर्या तिवारी भी इस बारे में इच्छुक हैं। फिर उन्होंने लिएंडर से बात की। लिएंडर कहते हैं कि उन्होंने जब अपनी कहानी नितेश और ऐश्वर्या को सुनानी शुरू की तो उन्होंने कहा कि इसे 90 या 120 मिनट की फीचर फिल्म में नहीं उतारा जा सकता। इसके लिए सात सीरीज का वृत्त चित्र बेहतर रहेगा। इसमें 15 और 16 की उम्र के दो लड़के जो ग्रैंडस्लैम जीत सकते हैं। दुनिया की सबसे मशहूर जोड़ी बनते हैं और उनमें अचानक विवाद हो गया। ये एकदम सच्ची कहानी है। इनमें जोड़ी टूटने के कारण भी हैं। आपसी विवादों के चलते लिएंडर-महेश की जोड़ी बनती और टूटती रही। दोनों की सफलता इससे कितनी प्रभावित हुई इस पर महेश कहते हैं कि दोनों ने मिलकर उस वक्त तीन ग्रैंडस्लैम साथ में जीते जब देश में किसी ने ग्रैंडस्लैम नहीं जीता था। उन्हें इसका गर्व है। फिर दोनों ने मिलकर 30 ग्रैंडस्लैम देश को दिए। लिएंडर कहते हैं कि 20 साल वे साथ खेले। 24 लगातार डेविस कप मैच जीतने का विश्व कीर्तिमान बनाया यही बड़ी बात है। देश में टेनिस की स्थिति पर महेश कहते हैं कि उनके पहले भी देश में इस खेल में कोई ऊंचाइयों पर नहीं था। रातों-रात ग्रैंडस्लैम चैम्पियन नहीं बनते। जब तक देश में सिस्टम नहीं बदलेगा तब तक चैम्पियन नहीं मिलेंगे।