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कहा- मैं 9/10 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में ही था खेलपथ संवाद नई दिल्ली। अमेरिका में आज ही के दिन 20 साल पहले दिल दहला देने वाला आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने न्यूयार्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दो टॉवरों को अपना निशाना बनाया था। इस आतंकी हमले में दो अपहृत जेट विमान 11 सितम्बर 2001 को न्यूयार्क के ट्विन टॉवरों से टकरा गए थे और बाद में पेन्सिलवानिया के मैदान में दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। इस हमले में लगभग तीन हजार लोगों की मौत हो गई थी। उस आतंकी हमले के बाद बहुत कुछ बदल गया है, खिलाड़ियों के लिए अब यात्रा करना पहले जैसा नहीं रहा। निशानेबाजों की बंदूकों और बैग की जांच होती है, टेनिस खिलाड़ियों के लिए भी रैकेट लेकर चलना कठिन हो गया है। अमेरिका में जब यह हमला हुआ था तब उसके एक दिन पहले भारतीय टेनिस दिग्गज लिएंडर पेस वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में मौजूद थे। 20 साल बाद पेस ने उस समय के अपने कड़वे अनुभव और खौफनाक मंजर को साझा किया है। पेस ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि जिस दिन यह आतंकी हमला हुआ उस दिन वह भारत के लिए उड़ान भर चुके थे और हवाई यात्रा पर थे। उन्होंने बताया कि उस दिन न्यूयॉर्क से फ्रैंकफर्ट की फ्लाइट में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन तभी फ्लाइट के लैंड करते ही अचानक जर्मनी के सुरक्षा अधिकारियों ने विमान की जांच शुरू कर दी और जांच खत्म होने के बाद पेस और बाकी के यात्रियों को निकलने की इजाजत दी। यह सब बेहद अजीब और डराने वाला था। पेस ने याद करते हुए बताया कि भारत की उड़ान भरने से पहले उन्होंने एक सीनियर सुरक्षा अधिकारी से इस संबंध में पूछा। इस पर सुरक्षा अधिकारी उन्हें अपने ऑफिस ले गए, उन्हें बैठने को कहा और टीवी चालू कर दिया। पेस ने टीवी न्यूज़ में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के खौफनाक मंजर को देखते कहा, 'एक दिन पहले मैं इसी जगह पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टॉवर एक में था और फिर एयरपोर्ट के लिए कार ली थी। पेस के उस समय के साथी महेश भूपति ने भी न्यूयॉर्क के अपने अपार्टमेंट से इस मंजर को टीवी पर देखा था। पेस-भूपति की जोड़ी तब यूएस ओपन के पहले दौर में हार गई थी और उन्हें कुछ दिन बाद डेविस कप में भारत का प्रतिनिधित्व करना था। भूपति ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, 'शुरुआत में हमें लगा कि कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है लेकिन उसके बाद हमने दूसरे प्लेन को भी बिल्डिंग में जाते देखा। वह बेहद खौफनाक और डरावना था। डब्ल्यूटीसी में उस वक्त मेरे कई दोस्त भी मौजूद थे, जो बाहर नहीं निकल पा रहे थे।' भूपति ने आगे कहा, 'उस समय हमारे दिमाग में टेनिस नहीं था, लोगों की जिंदगियां दांव पर थीं, सब कुछ बदल चुका था।'