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पूर्व अफगानी फुटबॉलर ने की साथी खिलाड़ियों से अपील काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से वहां की स्थिति भयावह और चिंताजनक बनी हुई है। यहां के लोग खासकर महिलाएं खौफ के साये में जी रही हैं। उन्हें तालिबान के क्रूर शासन और आतंक का डर सता रहा है। यही कारण है कि लोग अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहते हैं और अपने परिवार के लिए चिंतित हैं। इसका असर खिलाड़ियों पर भी साफ देखा जा रहा है। अफगानिस्तान की महिला फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान से जुड़ा ऐसा ही एक मामला सामने आया। पूर्व कप्तान ने साथी खिलाड़ियों से कहा है कि वे अपनी जान बचाने के लिए सोशल मीडिया से तस्वीरें डिलीट कर दें और अपने किट्स को जला दें। कोपहेगेन में मौजूद खालिदा पोपल ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से वीडियो इंटरव्यू के जरिए कहा कि आतंकियों ने अपने पुराने शासन में महिलाओं की हत्या की, उनके साथ रेप किया और पत्थर मारे, इसलिए महिला फुटबॉलर्स अपने भविष्य को लेकर डरी हुई हैं। अफगान महिला फुटबॉल लीग की को-फाउंडर ने कहा कि उन्होंने हमेशा युवा महिलाओं को मजबूती से खड़े होने और सामने आने के लिए प्रेरित किया है, लेकिन अब उनका संदेश अलग है। खालिदा ने कहा, 'आज मैं उनसे कह रही हूं कि अपना नाम बदल दें, पहचान हटा दें और अपनी सुरक्षा के लिए तस्वीरों को डिलीट करें। मैं उनसे नेशनल टीम की जर्सी हटा देने या जला देने के लिए कह रही हूं। यह मेरे लिए बहुत कष्टदायक है। चेस्ट पर बैच लगाने के लिए, देश के लिए खेलने के लिए, हमें कितना गर्व था।' गौरतलब है कि 1996-2001 के तालिबानी शासन में इस्लामिक कानून को देश में लागू करते हुए तालिबानियों ने महिलाओं की शिक्षा और रोजगार पर प्रतिबंध लगा दिया था। लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी थी, महिलाओं को बुर्का पहनना पड़ता था। उन्हें सिर्फ पुरुष साथी के साथ ही बाहर निकलने की इजाजत थी। इन सभी नियमों का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को बेहद कठोर और क्रूर सजा मिलती थी। खालिदा ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर कहा कि महिला खिलाड़ियों में काफी डर और चिंता है। ऐसा कोई नहीं है जिससे सुरक्षा या मदद मांगी जा सकती है। उन्हें डर है कि कभी भी कोई भी दरवाजा खटखटा सकता है। उन्होंने कहा, 'हम एक देश को ध्वस्त होते देख रहे हैं। सभी गर्व, खुशी, महिला सशक्तीकरण, सब व्यर्थ हो गया।'