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खेलपथ संवाद नई दिल्ली। जसपाल राणा का मानना है कि अगर कोच और खिलाड़ियों के चयन में निष्पक्षता नहीं होगी, जवाबदेही तय नहीं की जाएगी और अनुशासन नहीं होगा तो भारतीय निशानेबाजी जल्द ही ऐसे बिंदु पर पहुंच जाएगी जहां से वापस लौटना सम्भव नहीं होगा। द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच राणा ने साथ ही कहा कि राष्ट्रीय महासंघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष रानिंदर सिंह के अलावा ‘कोई भी नहीं’ चाहता कि वह भारतीय निशानेबाजी कोचिंग ढांचे का हिस्सा बनें। टोक्यो ओलम्पिक में निशानेबाजों के लचर प्रदर्शन के बाद 1994 एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता ने कहा कि समय आ गया है कि देश में खेल के सामने आ रही समस्याओं का समाधान निकाला जाए। उन्होंने कहा,‘हमें कोच और निशानेबाजों दोनों के चयन में पूरी निष्पक्षता और जवाबदेही तय करने की जरूरत है। टीम में ऐसे लोगों की जगह नहीं होनी चाहिए जो प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।’ हालांकि 45 साल के इस पूर्व निशानेबाज ने कहा कि टोक्यो में नतीजा देने में विफल रहे अधिकतर निशानेबाज युवा थे जो अनुभव हासिल करेंगे और अगले ओलम्पिक तक परिपक्व हो जाएंगे। हमें उन्हें ट्रेनिंग देने की जरूरत नहीं, वे पहले ही अपने खेल को जानते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि महासंघ में अध्यक्ष के अलावा कोई भी मुझे नहीं चाहता।’ निशानेबाज लगातार दूसरे ओलम्पिक में पदक जीतने में नाकाम रहे और राणा ने कहा कि एनआरएआई अध्यक्ष को इसके लिए दोषी ठहराना उचित नहीं है।