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मीरा के कोच को यूपी ने बधाई लायक भी नहीं समझा ओलम्पिक से ज्यादा का इनाम राष्ट्रमंडल के पदक को खेलपथ संवाद नई दिल्ली। टोक्यो ओलम्पिक में जीते गए सात पदकों में से महज एक पदक ऐसा है जो विशुद्ध रूप से देसी कोच के दम पर जीता गया। भारोत्तोलक मीराबाई चानू के रजत पदक के पीछे मोदीनगर (उत्तर प्रदेश) के द्रोणाचार्य अवार्डी कोच विजय शर्मा का हाथ है। मीरा को तो देश ने हाथों-हाथ उठा लिया लेकिन उनके गुरु को उनके राज्य उत्तर प्रदेश ने ही बधाई के लायक नहीं समझा। जिला प्रशासन तक ने उन्हें बधाई संदेश तक नहीं दिया। नीरज के स्वर्ण पदक के पीछे जर्मनी के क्लॉस बार्टोनिएत्ज, रवि कुमार के रजत के पीछे रूस के कमाल मालीकोव, पीवी सिंधू के कांस्य के पीछे कोरियाई पार्क ताई सुंग, लवलीना के कांसे के पीछे इटली के राफेल बरगमास्को, बजरंग के कांस्य के पीछे जार्जिया के शाको बेंटीनिडीस और पुरुष हॉकी टीम के कांस्य के पीछे ऑस्ट्रेलियाई कोच ग्राहम रीड का हाथ था। विजय को खेल मंत्रालय की ओर से मीरा के ओलम्पिक पदक के लिए 10 लाख रुपये का नकद ईनाम मिलेगा। मीरा ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण पदक जीता था तब उन्हें मीरा के पुरस्कार 30 लाख का 50 प्रतिशत 15 लाख मिला था। ऐसा मंत्रालय की ओर से नकद ईनाम की योजना में संशोधन के बाद हुआ है। अब पदक विजेता के कोच का नकद पुरस्कार उसके बचपन के कोच और ईलीट कोच के बीच बांट दिया गया है। विजय जिस उत्तर रेलवे में काम करते हैं उस संस्थान ने भी उन्हें महज एक बुके देकर सम्मानित कर दिया। रेलवे बोर्ड ने जरूर मीरा को दो करोड़ और विजय को 20 लाख रुपये देने की घोषणा की है।