News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
22 राज्यों के खिलाड़ियों की रही 32वें ओलम्पिक में सहभागिता नागालैंड, त्रिपुरा, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, अरुणाचल प्रदेश का कोई खिलाड़ी नहीं था खेलपथ संवाद नई दिल्ली। खेलों के महाकुंभ ओलम्पिक में इस बार भारत का सबसे बड़ा दल टोक्यो गया था। उम्मीद के मुताबिक भारत के पदक की संख्या नहीं आई लेकिन फिर भी भारतीय दल ने अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल सात मेडल जीते। एथलीट नीरज चोपड़ा ने भालाफेंक में गोल्ड मेडल जीता और देश का नाम रोशन किया। इस बार के ओलम्पिक में भारत के 28 में से 22 राज्यों के खिलाड़ियों ने भाग लिया था जबकि छह ऐसे राज्य रहे जहां से कोई खिलाड़ी नहीं था। टोक्यो ओलम्पिक में हरियाणा, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, झारखंड, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम, असम, मिजोरम के खिलाड़ियों ने भाग लिया। इन सभी ने किसी न किसी खेल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर टोक्यो का टिकट हासिल किया था वहीं नागालैंड, त्रिपुरा, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, अरुणाचल प्रदेश ऐसे राज्य रहे जिनका एक भी खिलाड़ी ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया। यह खेलों में इन राज्यों के पिछड़ेपन की कहानी वाकई चिन्ता की बात होनी चाहिए। इस बार के ओलम्पिक में हरियाणा की तरफ से सबसे ज्यादा 30 खिलाड़ियों ने पांच अलग-अलग खेलों में भाग लिया था। हरिणाया ने भारत को ओलम्पिक में सबसे ज्यादा पदक दिलाए हैं। बक्सिंग में विजेंदर सिंह तो कुश्ती में सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, साक्षी मलिक ने देश और अपने राज्य का सम्मान बढ़ाया है। इस बार की हॉकी टीम में 16 में से 9 खिलाड़ी हरियाणा से थे। पहलवानी में 4 पुरुष और 4 महिलाएं ओलम्पिक में खेले। सबसे ज्यादा ओलम्पियन देने के मामले में इस बार पंजाब दूसरे स्थान पर रहा। कुल 15 खिलाड़ियों ने चार अलग-अलग खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व किया। कांस्य पदक मुकाबले में हॉकी टीम की तरफ से जो पांच गोल किए गए वह सभी खिलाड़ी पंजाब से आते हैं। इस बार के ओलम्पिक में केरल के कुल आठ खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया था। इससे पहले भी पीटी ऊषा और अंजू बॉबी जार्ज जैसे चैम्पियन खिलाड़ी इस प्रदेश से देश के लिए ओलम्पिक में खेलने जा चुके हैं। तमिलनाडु की तरफ से टोक्यो में पांच अलग-अलग खेलों में 11 खिलाड़ी खेलने उतरे थे। तलवारबाजी में भारत की तरफ से पहली बार महिला खिलाड़ी भवानी देवी ने क्वालीफाई किया था। इसके अलावा टेबल टेनिस स्टार शरद कमल ने भी राज्य का मान बढ़ाया। इस राज्य से कुल छह खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलम्पिक के लिए जगह पक्की की थी। निशानेबाजी में राही सरनोबत और तेजश्विनी सावंत से मेडल की उम्मीद थी लेकिन इन्होंने निराश किया। उत्तर प्रदेश से इस बार के ओलम्पिक में कुल आठ खिलाड़ियों ने स्थान पक्का किया था। सौरव चौधरी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वह भी निशानेबाजी में भारत को पदक नहीं दिला पाए। भारत को इस बार ओलम्पिक का पहला पदक मणिपुर से आने वाली वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने दिलाया। इस स्टार खिलाड़ी ने 49 किलो भारवर्ग में सिल्वर मेडल जीता। इसके अलावा स्टार बॉक्सर एमसी मैरीकॉम भी ओलम्पिक में उतरी थीं पर वो इस बार खाली हाथ लौटीं। उड़ीसा से इस बार के ओलम्पिक में चार खिलाड़ियों ने अलग अलग दो खेलों में क्वालीफाई किया था। महिला और पुरुष हॉकी टीम में एक-एक खिलाड़ी इसी राज्य से थे। वहीं स्टार एथलीट दुती चंद भी पदक की उम्मीद लेकर उतरी थीं लेकिन निराश किया। टोक्यो में भारतीय दल में चार खिलाड़ी राजस्थान से भी थे। शूटिंग में अपूर्वी चंदेला से काफी उम्मीद थी लेकिन वह पदक से चूक गईं। टेबल टेनिस स्टार मनिका बत्रा दिल्ली से ही आती हैं जबकि निशानेबाजी में दीपक कुमार ने टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया था। भारत के लिए ओलम्पिक में पहला पदक पश्चिम बंगाल के नारमैन पिचार्ड ने 1900 में हासिल किया था। इसके बाद भारत के लिए 1996 अटलांटा ओलम्पिक में टेनिस स्टार लिएंडर पेस ने कांस्य पदक जीत देश का मान बढ़ाया था। इस साल तीरंदाजी में राज्य की तरफ से तीन खिलाड़ी उतरे थे। झारखंड से दुनिया की नम्बर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी इस बार भी ओलम्पिक मेडल जीतने से चूक गईं लेकिन उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा। इस राज्य के तीन खिलाड़ियों ने इस बार हिस्सा लिया था। कर्नाटक की महिला खिलाड़ी अदिति अशोक ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान हासिल किया। एक वक्त वह सिल्वर मेडल जीतने के बेहद करीब थीं लेकिन फिर वह पदक के दूर हो गईं। इस बार कर्नाटक के पांच खिलाड़ियों ने ओलम्पिक में जगह बनाई थी। टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने इस बार ओलम्पिक टिकट हासिल किया था और तेलंगाना की तरफ से खेली थीं। आंध्र प्रदेश की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने पिछली बार सिल्वर मेडल हासिल किया था जबकि इस बार के ओलम्पिक में कांस्य पदक भारत की झोली में डाला। गुजरात से अंकिता रैना ने टेनिस में जगह बनाई थी। इसके अलावा निशानेबाजी में एलावेनिल वालारिवान से भी पदक की उम्मीद थी लेकिन वह चूक गईं। मध्यप्रदेश से इस बार दो खिलाड़ी ओलम्पिक खेले। हाकी में विवेक सागर प्रसाद उस कांस्य पदक टीम का हिस्सा रहे जिसने 41 साल के ओलम्पिक पदक के सूखे को खत्म किया। हिमाचल प्रदेश से बॉक्सिंग स्टार आशीष कुमार ने 75 किलो भारवर्ग में ओलम्पिक का टिकट हासिल किया था। हालांकि वह भी कुछ खास नहीं कर पाए और पदक जीतने की उम्मीद अधूरी रह गई। भारतीय महिला हॉकी टीम ने इस बार के ओलम्पिक में शानदार खेल दिखाया। कांस्य पदक के करीब पहुंचकर चूकने वाली टीम के लिए वंदना कटारिया ने बहुत ही बेहतरीन खेल दिखाया। वंदना देवभूमि उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए देश की तरफ से खेलने उतरी थीं। सिक्किम से तीरंदाज तरुणदीप राय ने टोक्यो ओलम्पिक का टिकट पक्का किया था। वह व्यक्तिगत और मिक्स्ड दोनों इवेंट में खेलने उतरे लेकिन पदक नहीं जीत पाए। असम की महिला बॉक्सर लवलीना बोरोगोहाईं ने इस बार ओलम्पिक में भारत के लिए कांस्य पदक जीता। 69 किलो भारवर्ग में जैसा खेल उन्होंने दिखाया इसके लिए असम की इस बेटी को पूरे देश ने सिर आंखों पर बिठाया। हॉकी खिलाड़ी लालरेमसेईमी मिजोरम की तरफ से ओलम्पिक खेलों का हिस्सा बनने वाली एकमात्र खिलाड़ी थी। महिला हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में पहुंचकर जो ऐतिहासिक कमाल किया उसमें इस खिलाड़ी का भी योगदान रहा।