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विश्व चैम्पियन नार्वे के मैग्नस कार्लसन को अपना आदर्श मानते हैं खेलपथ संवाद नई दिल्ली। दुनिया के सबसे युवा ग्रैंड मास्टर अभिमन्यु मिश्रा का लक्ष्य शतरंज का विश्व चैम्पियन बनना है। भारतीय मूल के 12 वर्षीय अमेरिकी शतरंज खिलाड़ी अभिमन्यु (12 साल, 4 माह, 25 दिन) बुधवार को रूस के सर्गेई कर्जाकिन (12 साल, सात माह, 2002) का 19 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़कर दुनिया के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। न्यूजर्सी में रहने वाले अभिमन्यु जानते हैं कि विश्व चैम्पियन बनने तक की राह काफी लम्बी है। इसीलिए अगले तीन वर्षों में उनका ध्यान सुपर ग्रैंडमास्टर बनने पर है। उन्होंने कहा कि मेरा अंतिम लक्ष्य विश्व विजेता बनने का है। लेकिन उससे पहले में 15 वर्ष से पहले में सुपर ग्रैंडमास्टर बनना चाहता हूं। अभिमन्यु ने काले मोहरों से खेलते हुए भारत के 15 वर्षीय ग्रैंडमास्टर लियोन ल्यूक मेंडोंका को हराकर तीसरा नार्म हासिल किया था। इसके बाद ही वह दुनिया के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। यह उनके कॅरिअर की सबसे बड़ी जीत थी। उन्होंने कहा कि मैं खेलते समय इस बारे में नहीं सोच रहा था। लेकिन निश्चित रूप से यह एक अद्भुत एहसास है। लियोन के खिलाफ अंतिम बाजी काफी कड़ी थी और मैं उसे जीतने में सफल रहा। इस जीत के साथ ही मुझ पर से एक बहुत बड़ा दबाव हट गया। हम यहां पिछले दो महीने से थी। मैं एक या आधे अंक से बाजी गंवा रहा था। पर अंत में सब कुछ मेरे हक में रहा जो बहुत अच्छा लग रहा है। ढाई वर्ष की उम्र में शह और मात का खेल शुरू करने वाले अभिमन्यु विश्व चैंपियन नार्वे के मैग्नस कार्लसन को अपना आदर्श मानते हैं। मुझे शतरंज इसलिए पसंद है क्योंकि आप बिना कोई नुकसान पहुंचाए अपने प्रतिद्वंद्वी को चित कर सकते हैं। मुझे माता-पिता का बहुत समर्थन मिलता है। उनके बिना मैं यह हासिल करने की कल्पना भी नहीं कर सकता। कठिन परिश्रम से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। पांच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद ने अभिमन्यु को उनकी उपलब्धि पर ट्वीट कर बधाई दी थी। अभिमन्यु ने कहा हां मैंने वो ट्वीट देखा था जिसमें उन्होंने मुझे बधाई दी थी। जब कोई दिग्गज खिलाड़ी आपके काम की सराहना करता है तो इसका अहसास ही कुछ और होता है। मैं जल्द ही उनसे मिलना चाहता हूं। उनके खिलाफ खेलना तो अद्भुत होगा। उनके खिलाफ खेलकर मुझे काफी कुछ सीखने को मिलेगा। सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर भी हैं। इससे पहले नवंबर 2019 में अभिमन्यु (10 साल, 9 माह, 3 दिन) दुनिया के सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर बने थे। तब उन्होंने भारत के आर प्रागनंदा (10 साल, 9 महीने, 20 दिन) का रिकॉर्ड तोड़ा था।