News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
हॉकी में आठ बार का ओलम्पिक चैम्पियन है भारत खेलपथ संवाद नई दिल्ली। हर ओलम्पिक की तरह इस बार भी भारतीय हॉकीप्रेमियों को अपनी पुरुष टीम से पदक की आस है। भारत आठ बार हॉकी में ओलम्पिक चैम्पियन रहा लेकिन 41 साल से उसे एक भी पदक मयस्सर नहीं हुआ है। टोक्यो में भारतीय रणबांकुरे इस बार करिश्मा कर सकते हैं। टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम से पदक की उम्मीद है। पूर्व में भारत ओलम्पिक खेलों में हॉकी स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करने में सफल रहा। ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम ने 8 स्वर्ण पदक जीते हैं। लेकिन इसे टीम इंडिया का दुर्भाग्य कहा जाएगा कि बीते 41 साल से भारतीय टीम ओलम्पिक से खाली हाथ लौट रही है। हॉकी ऐसी स्पर्धा है जिसमें भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है। भारतीय हॉकी की जादूगरी का दुनिया ने लोहा माना है। यह तस्वीर का एक पहलू है, हकीकत यह भी है कि हमें ओलंपिक के पोडियम पर पहुंचे 41 साल हो चुके हैं। पिछले दो-तीन वर्षों में कई बड़ी टीमों को प्रदर्शन से चौंकाने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम का मनोबल ऊंचा है और संभावनाएं मजबूत मानी जा रही हैं। मनप्रीत सिंह की अगुवाई में भारतीय हॉकी टीम को इस बार पदक की दावेदारी में शामिल किया जा रहा है। कोच ग्राहम रीड के मार्गनिर्देशन में भारतीय टीम ने पिछले साल एफआईएच प्रो लीग में दुनिया में नंबर एक बेल्जियम, नंबर दो नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया को हराने में सफल रही है। हालांकि कोरोना के चलते टीम की लय टूटी लेकिन बंगलूरू शिविर में टीम के खिलाड़ी एक साथ बेहतर संवाद और तालमेल करने में सफल रहे हैं। इस साल टीम ने यूरोप का दौरा किया जिसमें ब्रिटेन और जर्मनी की टीमों के सामने हारे नहीं। हालांकि यह सही है कि जर्मनी और ब्रिटेन ने अपने ए स्तर के खिलाड़ियों को नहीं उतारा। अप्रैल में एफआईएच प्रो लीग में हमने अर्जेंटीना को दो बार हराया जिसमें एक जीत पेनाल्टी शूटआउट में थी। अगर कोरोना की दूसरी लहर के कारण स्पेन जर्मनी और न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच रद्द नहीं होते तो टोक्यो से पहले अभ्यास का मौका मिल जाता। एक-दो अच्छे उलटफेर भरे नतीजे से भारतीय खिलाड़ी भी पदक लेने की कतार में आ सकते हैं। वहीं भारतीय हॉकी टीम के पूर्व सेंटर फॉरवर्ड और मौजूदा सहायक कोच शिवेंद्र सिंह का मानना है कि यह टीम दुनिया की सबसे फिट टीमों में से एक है और टोक्यो ओलंपिक में पदक की प्रबल दावेदार होगी। शिवेंद्र ने कहा, हमारा ध्यान रफ्तार, पैनापन, कौशल और फिटनेस पर है ताकि टोक्यो में पहुंचने पर टीम सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में रहे। हम खिलाड़ियों की मैदान पर पोजिशन के अनुसार ही अभ्यास पर फोकस कर रहे हैं। स्ट्राइकर डी के भीतर के प्रदर्शन पर ध्यान दे रहे हैं। मुझे इन खिलाड़ियों की काबिलियत पर भरोसा है और मुझे यकीन है कि यह दुनिया की सबसे फिट टीमों में से एक है। हम ओलंपिक में पदक के प्रबल दावेदार होंगे। पूर्व मिडफील्डर एमएम सौमेया ने कहा, मास्को ओलम्पिक में हमारी अग्रिम पंक्ति काफी मजबूत थी। हमने पांच फारवर्ड उतारे और आक्रमण की रणनीति अपनाई थी जो सफल रही और हम फाइनल में स्पेन को 4-3 से हराकर खिताब जीतने में सफल रहे। ये रहेगा ओलम्पिक में प्रारूप बारह देशों की टीमों को दो ग्रुपों में बांटा जाएगा जो राउंड रोबिन आधार पर भिड़ेंगी। दोनों ग्रुप की शीर्ष चार टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंचेंगी। उसके बाद नॉकआउट दौर में होगा। सेमीफाइनल में हारने वालीं टीमें कांस्य पदक के लिए आमने-सामने होंगी। 24 : जुलाई को जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच से होगी शुरुआत 08 : स्वर्ण पदक सहित 11 पदक जीते हैं भारत ने ओलंपिक में 1908 : में लंदन खेलों में हुई थी ओलंपिक में हॉकी की शुरुआत 1980 : मास्को ओलंपिक में जीता था भारतीय टीम ने अपना पिछला पदक सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भारतीय टीम ने 1932 के ओलंपिक में अमेरिकी की टीम को 24-1 से हराया था और यह ओलंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा गोल अंतराल से जीत का रिकॉर्ड है। कब-कब मिला कौन सा पदक 1928 एम्सटर्डम स्वर्ण 1932 लास एंजिलिस स्वर्ण 1936 बर्लिन स्वर्ण 1948 लंदन स्वर्ण 1952 हेलसिंकी स्वर्ण 1956 मेलबर्न स्वर्ण 1960 रोम रजत 1964 टोक्यो स्वर्ण 1968 मैक्सिको सिटी कांस्य 1972 म्यूनिख कांस्य 1980 मास्को स्वर्ण