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मुक्केबाज विकास कृष्ण टोक्यो ओलम्पिक में है उम्मीद की किरण खेलपथ संवाद नई दिल्ली। बीजिंग ओलम्पिक में भारतीय बॉक्सर विजेंद्र सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वह पुरुष बॉक्सिंग में भारत का पहला और आखिरी मेडल साबित हुआ है। टोक्यो ओलम्पिक में भारत का 13 साल का इंतजार खत्म हो सकता है क्योंकि तीसरी बार इस मेगा स्पोर्ट्स इवेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले 75 किलोग्राम कैटेगरी के विकास कृष्ण यादव अपने दमदार पंच की बदौलत मेडल के दावेदार हो सकते हैं। 75 किलोग्राम कैटेगरी में हिस्सा लेने वाले विकास इकलौते भारतीय बॉक्सर हैं, जिन्होंने लगातार तीन एशियाई गेम्स में मेडल जीते हैं। 2020 एशिया ओशियाना क्वॉलीफायर में विकास ने जापान के बॉक्सर को हराकर ओलम्पिक के लिए क्वॉलीफाई किया था। विकास का जन्म हरियाणा के हिसार जिले के सिंघवा खास में हुआ। उनका पूरा परिवार मौजूदा समय में भिवानी में रहता है। विकास के पिता कृष्ण यादव बिजली निगम के कर्मचारी हैं। वे चाहते थे कि विकास शुरू से स्ट्रांग बने। इसलिए उन्होंने विकास को बॉक्सिंग एकेडमी में भेजना शुरू किया। विकास कहते हैं- पापा चाहते थे कि मैं स्ट्रांग बनूं। इसलिए 2001-02 में बॉक्सिंग की ट्रेनिंग के लिए भेजने लगे। जब मैं सोचने के लायक हुआ, तब मेरा यह ड्रीम हो चुका था कि मैं देश को रिप्रेजेंट करूं। मैंने हरियाणा स्टेट कैडेट वर्ग में गोल्ड जीता। लेकिन दुर्भाग्यवश तब मेरा चयन नेशनल के लिए नहीं हो पाया। 2010 ग्वांगझू एशियन गेम्स में विकास ने गोल्ड मेडल जीता था। 12 साल बाद किसी भारतीय ने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। इससे पहले 1998 में डिंको सिंह ने गोल्ड मेडल जीता था वहीं 2014 इन्चियोन एशियन गेम्स में मिडिलवेट में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2018 एशियन गेम्स में भी उन्होंने कांसा अपने नाम किया था। 2018 में ही गोल्ड कोस्ट में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में विकास ने गोल्ड मेडल जीता। वे 2011 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल भी जीत चुके हैं। इसके अलावा उनके नाम एशियन चैम्पियनशिप के मिडिलवेट वर्ग में एक सिल्वर (2015 बैंकॉक) और एक ब्रॉन्ज मेडल (2017 ताशकंद) दर्ज है। वे 2010 में यूथ ओलम्पिक गेम्स में भी लाइटवेट में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। इसके अलावा यूथ वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। 2012 में लंदन ओलम्पिक गेम्स में हार के बाद विकास कृष्ण ने रिंग से दूरी बना ली थी। उस समय वे 20 साल के थे। 18 महीने तक बॉक्सिंग नहीं की। उन्होंने हरियाणा पुलिस में नौकरी के लिए प्रयास किया, लेकिन फिर उन्होंने वापसी की और 2016 में रियो ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। दरअसल 2012 लंदन ओलम्पिक में विकास को पूरा भरोसा था कि वे मेडल जीतेंगे। उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में अमेरिकन बॉक्सर एरॉल स्पेन्स को हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली थी। वे अपनी सफलता का जश्न मना ही रहे थे कि बॉक्सिंग गवर्निंग बॉडी AIBA ने वीडियो के जरिए विकास के फाउल देखकर एरॉल को 4 एक्सट्रा पॉइंट देते हुए उन्हें विजेता घोषित कर दिया। विकास इस घटना से इतने दुखी हुए कि उन्होंने बॉक्सिंग छोड़ने का मन बना लिया। 2018 एशियन गेम्स में क्वार्टर फाइनल के दौरान विकास को चोट लगने के कारण सेमीफाइनल खेलने से अयोग्य करार दिया गया और ब्रॉन्ज से ही संतोष करना पड़ा। चोट इतनी गंभीर थी कि डॉक्टरों ने विकास को आगे नहीं खेलने की सलाह दी। विकास कहते हैं- 2018 एशियन गेम्स के दौरान क्वार्टर फाइनल में चीन के बॉक्सर के साथ फाइट के दौरान मेरे आंख पर कट लग गई। टीम के डॉक्टर कर्ण ने आगे नहीं खेलने की सलाह दी। इसके बावजूद उन्होंने हौसला नहीं खोया और जोरदार वापसी की। विकास कहते हैं-सुबह-शाम मेरे दिमाग में एक ही बात है। वह है ओलम्पिक मेडल जीतना। मेरे पास पहले से ज्यादा अनुभव है। डिफेंस और अटैक में मैंने अपनी कमियों को दूर किया। टॉप्स (टारगेट फॉर ओलम्पिक पोडियम) में शामिल हूं और मुझे हर प्रकार की सुविधा मिली। उनके कोच जय पाटिल का कहना है कि विकास ओलम्पिक में मेडल के प्रबल दावेदार हैं। उनका पंच विपक्षी बॉक्सर चाहे जापान का हो, क्यूबा का या उज्बेकिस्तान का सभी को धराशायी करेगा।