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जापान में प्रिय घोड़े पर लगाएं दांव या नए पर खुद करते हैं घोड़ों की मालिश नई दिल्ली। ओलम्पिक का कुछ दिन पहले ही टिकट हासिल करने वाले घुड़सवार फुआद मिर्जा अब तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि टोक्यो में वह किस घोड़े पर दांव लगाएंगे। उन्होंने 2019 में चोटिल हुए अपने प्रिय घोड़े सिग्न्यूर मेडिकॉट और दूसरे दयारा दोनों के साथ क्वालीफाई किया है। लेकिन मेडिकॉट ही था जिस पर सवार होकर उन्होंने जकार्ता एशियाई खेलों में रजत समेत दो पदक हासिल किए। फुआद कहते हैं कि माह के अंतिम सप्ताह में फैसला लेंगे कि टोक्यो में वह मेडिकॉट के साथ उतरेंगे या फिर दयारा के साथ। अगर पिछले वर्ष ओलम्पिक होते तो यह तय था कि फुआद मेडिकॉट के साथ नहीं उतर सकते थे। उसके चोटिल होने से वह काफी निराश थे। उनका इसके साथ समन्वय और लगाव शानदार है। मेडिकॉट की गैरमौजूदगी में उन्होंने दयारा को अपनाया। फुआद के मुताबिक मेडिकॉट वाकई में योद्धा निकला। डॉक्टरों को भी उम्मीद नहीं थी कि वह इतनी जल्दी ठीक होकर वापसी कर लेगा। एक जुलाई तक उन्हें एंट्री भेजनी है कि वह किस घोड़े पर सवार होंगे। यह कठिन फैसला होगा। घोड़े को भी टोक्यो में सात दिन के एकांतवास में भेजना होगा। फुआद अभी जर्मनी में ओलम्पिक की तैयारियां कर रहे हैं। वह वहीं से सीधे टोक्यो जाएंगे। वह कहते हैं कि उनका पूरा दिन घोड़ों के साथ बीतता है। वह सुबह सात बजे अस्तबल पहुंच जाते हैं और शाम छह बजे तक वहीं रहते हैं। अस्तबल में वह घोड़ों को खुद खाना खिलाते हैं। उनकेे साथ काम करते हैं। उनके पैरों पर बर्फ मलते हैं। घुड़सवारी खर्चीला खेल है। वह खुशनसीब हैं कि उनके पास एंब्रेसिया के रूप में प्रायोजक है। लेकिन पिछले दो वर्षों की तैयारियों को ध्यान में रखें तो दो करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आ चुका है।