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फिटनेस से ज्यादा जरूरी है स्किल नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम में चयन के तीन स्टेप हैं। इसमें परफॉर्मेंस, यो यो टेस्ट और दो किलोमीटर का रनिंग ट्रायल शामिल है। इन तीनों में पास होने के बाद ही किसी खिलाड़ी को टीम में जगह मिलती है। हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज में टीम इंडिया में चुने गए वरुण चक्रवर्ती और राहुल तेवतिया बस इसलिए क्योंकि वे फिटनेस टेस्ट में पास नहीं हो सके थे। भारत के पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने एक शो के दौरान फिटनेस टेस्ट पर अपनी राय देते हुए कहा कि अगर यो यो टेस्ट हमारे समय में होता तो सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण कभी इस टेस्ट को पास नहीं कर पाते। सहवाग का जवाब एक फैन के उस सवाल पर था जिसमें उसने फिटनेस को लेकर सिलेक्शन पर सवाल उठाए थे। फैन ने पूछा कि अगर हार्दिक पंड्या बॉलिंग के लिए अनफिट थे, तो टीम मैनेजमेंट ने उन्हें टी-20 टीम में क्यों रखा। क्यों वरुण चक्रवर्ती को टीम में जगह नहीं मिली। वह तो बॉलिंग के लिए फिट थे। हार्दिक के केस में फिटनेस क्यों नहीं देखा गया? सहवाग ने जवाब देते हुए कहा कि मैं यो यो टेस्ट के बारे में बात कर रहा हूं। हार्दिक को दौड़ने में कोई दिक्कत नहीं है। वे वर्कलोड से परेशान हैं। गेंदबाजी इसकी वजह है वहीं, अश्विन और वरुण ने यो यो टेस्ट पास नहीं किया था। इसलिए उन्हें टीम में नहीं शामिल किया गया। सहवाग ने कहा कि मैं इन सब चीजों पर विश्वास नहीं करता। अगर यह सिलेक्शन प्रोसेस हमारे जमाने में होता, तो तेंदुलकर, लक्ष्मण और गांगुली कभी पास नहीं कर पाते। हमारे समय में बीप टेस्ट होता था और उसका पासिंग स्कोर 12.5 था। मैंने इन तीनों को कभी बीप टेस्ट पास करते नहीं देखा। वे हमेशा पासिंग स्कोर से कम रह जाते थे।जहां एक तरफ भारतीय कप्तान विराट कोहली फिटनेस टेस्ट की अहमियत को लेकर कई बयान दे चुके हैं वहीं, सहवाग इसमें विश्वास नहीं रखते। उनका कहना है कि फिटनेस एक ऐसी चीज है, जिसी समय के साथ कोई भी खिलाड़ी हासिल कर सकता है। सहवाग ने कहा कि खेलने के लिए स्किल ज्यादा जरूरी है। अगर कोई खिलाड़ी टीम में खेलने के लिए फिट है, लेकिन उसमें स्किल नहीं है, तो फिर कोई भी टीम हार जाएगी। उन्हें उनके स्किल पर खेलने का मौका दीजिए। फिर धीरे-धीरे फिटनेस पर काम करना चाहिए। अगर कोई खिलाड़ी 10 गेंदबाजी और फील्डिंग कर सकता है, तो यह काफी है। हमें इससे ज्यादा नहीं सोचना चाहिए।