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जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का। खेलपथ प्रतिनिधि ग्वालियर। किसी ने क्या खूब कहा है 'जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का'। इस कहावत को चरितार्थ किया मध्य प्रदेश की बेटी भावना डेहरिया ने। भावना ने अपने कदमों से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का कद नाप दिया। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के तामिया गांव की रहने वाली 29 वर्षीय भावना ने 2019 में तब इतिहास रच दिया था, जब उन्होंने पहली बार माउंट एवरेस्ट पर कदम रखा। वे तब दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह करने वाली मध्यप्रदेश की पहली महिला बनी थीं। भावना ने इस कीर्तिमान के साथ महिला सशक्तीकरण और उनके हौसले को एक बार फिर से दुनिया के सामने रखा। एवरेस्ट फतह करने के बाद उन्होंने कहा था, 'अगर मैं मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव के मध्यम वर्ग परिवार की लड़की माउंट एवरेस्ट फतह कर सकती हूं तो मेरा संदेश देश की लड़कियों को है कि किसी भी क्षेत्र में अगर वो दृढ़-निश्चय करें तो जीतना सम्भव है।' भावना का यह सफर रोमांच और खतरों से भरा हुआ था उनकी जान पर भी बन आई थी। उनके इस सफर में हर पल खतरा ही खतरा था। हर कदम पर मौसम, कठिन चढ़ाई एक चुनौती थी लेकिन भावना ने हर चुनौती को स्वीकार किया और अपने परिवार की फोटो हाथ में लिए मजबूत इरादे के साथ हिमालय की पर्वत श्रृंखला पर चढ़ती चली गईं। भावना ने तब एवरेस्ट फतह करने के बाद लिखा था, 'गहरी खाई पातालकोट से सबसे ऊंचे शिखर माउंट एवरेस्ट तक का ये सफर बहुत ही रोमांचक है। कभी हड्डियां गला देने वाली ठण्ड, कही बर्फ में ढंकी हुई लाशें। कभी हवाओं का ऐसा बवंडर जो साथ उड़ा ले जाये तो कहीं क्रवास की गहराई में झूलने का डर। आज मैंने 22 मई, 2019 को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया है।' उस समय उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए एक ऐसे ही खतरे के बारे में बात करते हुए बताया था, 'शिखर की चढ़ाई के वक्त मेरा ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर लीक करने लगा था। मैं लीकेज वाली जगह को पकड़ कर डेढ़ घंटे बैठी रही। हमारे पास एक्स्ट्रा रेगुलेटर नहीं था। शेरपा के अनुसार रेगुलेटर लेने के लिए हमें वापस कैम्प 4 लौटना पड़ता। यह कठिन समय था और मैं वापस नहीं लौटना चाहती थी। शेरपा के काफी कहने पर भी मैं नहीं मानी और मेरी जिद के आगे शेरपा मान गया। उसने मुझे अपना रेगुलेटर दिया और मुझे दूसरे ग्रुप के साथ आगे जाने को कहा। तब तक मेरा सिलेंडर भी खाली होने लगा था। मैंने इस परिस्थिति में अपने ऑक्सीजन सिलेंडर का वाल्व आधा ही ओपन रखा ताकि जरूरत के मुताबिक थोड़ी-थोड़ी ऑक्सीजन मुझे मिलती रहे। यही वजह रही कि मैं शिखर तक पहुंच पाई। इसी बीच मेरा शेरपा भी आ गया। उन्होंने रेगुलेटर ठीक कर लिया था। शिखर पर फोटो लेते वक्त अचानक मैं गिर पड़ी तब मेरा ऑक्सीजन सिलेंडर खाली हो चुका था। मेरे शेरपा ने उसे रिप्लेस किया और तब मैं वापस संभली और शिखर पर खुद को बधाई दी।' भावना का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है। उन्हें भारतीय हिमालय पर्वत श्रृंखला को विश्व भर में प्रमोट करने के लिए 15 अगस्त, 2020 को माउंटेन्स ऑफ इंडिया के साथ किए गए प्रयास के लिए यह अवॉर्ड दिया गया था। भावना ने मई, 2019 में एवरेस्ट फतह करने के बाद उसी साल अक्टूबर में अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो और 31 दिसम्बर को दक्षिण अमेरिका के माउंट अकोंकागुआ की चढ़ाई समिट में भाग लिया था। इसके एक साल बाद मार्च 2020 में ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट कोसीयुस्को पर पहुंचकर तिरंगा फहराया और यहां होली मनाई। इसके पहले भावना ने अगस्त 2018 में 6593 मीटर चढ़ाई चढ़कर माउंट मनिरंग (हिमाचल प्रदेश) समिट किया था वहीं, 2017 में माउंट डीकेडी-2 (5670 मीटर) घड़वाल समिट पूरी की थी।